लव स्टोरी: 57 के विधुर वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक एवं 56 की अविवाहित आईएएस मार्टिन लेेंगे 7 फेरे 

डॉ. पाठक से प्रभावित हुई आईएएस शैलबाला, पाठक सोशल मीडिया पर स्वयं किया इजहार 

लव स्टोरी: 57 के विधुर वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक एवं 56 की अविवाहित आईएएस मार्टिन लेेंगे 7 फेरे 

भोपाल/ग्वालियर। मध्यप्रदेश में एक आईएएस और एक सीनियर जर्नलिस्ट की लव स्टोरी मीडिया की सुर्खियों में है। मध्यप्रदेश कैडर की 2009 बैच की आईएएस शैलबाला मार्टिन और वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक जल्द ही शादी करने वाले है। डॉ. राकेश पाठक की पत्नी प्रतिमा 2015 में कैंसर से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गई थीं। पांच साल तक उनकी पत्नी ने ब्लड कैंसर से जंग लड़ीं। कई मीडिया संस्थानों में संपादक रह चुके हैं। डॉ. पाठक की यह दूसरी शादी होगी और होने वाली मंगेतर शैलबाला अविवाहित हैं। रिपोर्ट के अनुसार डॉ. राकेश पाठक को टीवी डिबेट में देखकर आईएएस शैलबाला मार्टिन उनसे प्रभावित हुई थीं। इसके बाद दोनों लोगों में वार्तालाप जारी हो गया। बातचीत होते-होते फिर भेंट-मुलाकात होने लगी। इसके बाद दोनों ने एक साथ रहने का मन बना लिया। ग्वालियर के रहने वाले डॉ. राकेश पाठक (57) और इंदौर की शैलबाला (56) ने सार्वजनिक तौर पर सोशल मीडिया पर अपने प्यार का इजहार करते हुए शादी करने की सूचना दी। डॉ. राकेश पाठक के मुताबिक कुछ दिन पहले एक पारिवारिक समारोह में उनकी दोनों बेटियों सौम्या और शची ने शैलबाला मार्टिन का पूरे परिवार के साथ परिचय करवाया। बेटियों की नानी सहित पूरे कुटुम्ब ने शैल का पाठक परिवार में स्वागत किया। शैल के बड़े भाइयों विनय और विनोद सहित पूरे परिवार का आशीर्वाद भी हम दोनों के साथ है।

डॉ. राकेश पाठक के फेसबुक से
आत्मीय स्वजनों,
आज हम आपसे अपने सुख-दुख की साथी मिस शैलबाला मार्टिन का परिचय करवा रहे हैं। शैल जी इंदौर की निवासी हैं। मध्यप्रदेश कैडर की आईएस हैं। कलेक्टर, निगम कमिश्नर रही हैं। मप्र सरकार में अनेक अहम पदों पर दायित्व निभा चुकी हैं। इन दिनों राज्य मंत्रालय, वल्लभ भवन भोपाल में एडिशनल सेक्रेटरी (सामान्य प्रशासन विभाग) के पद पर पदस्थ हैं। एक कर्मठ और संवेदनशील प्रशासक होने के साथ शैल यदा-कदा लिखती भी हैं। उनकी सीरीज श्अमी एक जाजाबोरश् (मैं एक यायावर), उनकी फेसबुक वॉल पर पढ़ी जा सकती है। इसमें वे अपने आसपास की दुनिया को एक अलग नजर से देखती और दर्ज करती हैं। अगर ऐसे ही लिखती रहीं तो भविष्य में इसी शीर्षक से उनकी किताब आएगी। जाहिर है लिखेंगी ही। हम बीते लगभग दो बरस से मित्र हैं। इस संग साथ में हमने जाना कि शैल हमारी हमखयाल होने के साथ एक बेहतरीन इंसान हैं। अब हम जीवनसाथी होने जा रहे हैं। इसलिए हम दोनों अपना-अपना शीश उतारकर प्रेम के घर में बस रहे हैं। बाबा कबीर कह गए हैं... ये तो घर है प्रेम का खाला का घर नाय सीस उतारे भूँय धरे तब बैठे घर माय।