मप्र के गृहमंत्री ने कहा- पुलिस रेगुलेशन में कर रहे संशोधन, एसआई को टीआई व एएसआई को देंगे एसआई का प्रभार

प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित, पीएचक्यू ने ऑनरेरी प्रमोशन का प्रस्ताव भेजा, गृह विभाग में अटकी फाइल

मप्र के गृहमंत्री ने कहा- पुलिस रेगुलेशन में कर रहे संशोधन, एसआई को टीआई व एएसआई को देंगे एसआई का प्रभार

मध्य प्रदेश पुलिस के करीब 12 हजार पुलिसकर्मियों (कांस्टेबल से लेकर सब इंस्पेक्टर तक) को प्रमोशन का इंतजार है। इसकी वजह से महकमे को थानों में प्रभारियों से लेकर जांच करने वाले अधिकारियों की कमी से जूझना पड़ रहा है। प्रमोशन इसलिए नहीं हो पा रहे हैं, क्योंकि इसमें आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। ऐसे में पुलिस मुख्यालय ने ऑनरेरी प्रमोशन का प्रस्ताव सरकार को भेजा था, लेकिन यह फाइल पिछले तीन माह से गृह विभाग में अटकी है। ऐसे में कांस्टेबल को हेड कांस्टेबल, हेड कांस्टेबल को सहायक उप निरीक्षक (एएसआई), एएसआई को एसआई और थाना प्रभारी यानी टीआई का प्रभार सब इंस्पेक्टर को देने की तैयारी है। गृह मंत्री डाॅ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पुलिस रेगुलेशन 72 में संशोधन करने जा रहा है। पहले एएसआई को एसआई का प्रभार दिया जाता था, लेकिन अब कांस्टेबल को हेड कांस्टेबल का प्रभार दिया जा सकेगा। इसी तरह सब इंस्पेक्टर को टीआई का प्रभार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पुलिस रेगुलेशन में संशोधन की प्रक्रिया मार्च माह तक पूरी हो जाएगी। गृह मंत्री ने कहा कि कोरोनाकाल में जान जोखिम में डालकर ड्यूटी करने वाले पुलिस कर्मियों को कोरोना मेडल दिए जाने का निर्णय भी लिया गया है। मार्च माह में पुलिस जवानों को पुरस्कृत किया जाएगा।

इंवेस्टिगेशन ऑफिसर की कमी को पूरा किया जाएगा
प्रदेश में हेड कांस्टेबल, एएसआई, सब इंस्पेक्टर, इंस्पेक्टर और डीएसपी रैंक (इनवेस्टिगेशन ऑफिसर) के 12,810 पद खाली हैं। पीएचक्यू का कहना है, इन रिक्त पदों को ऑनरेरी प्रमोशन से भरा जा सकता है, ताकि इन सभी से संबंधित पदों के अनुसार पेंडिंग मामलों में जांच करवाई जा सके। दूसरी सुरक्षा एजेंसी में पुलिस अधिकारी कर्मचारियों के काम के मापदंड को देखकर ऑनरेरी प्रमोशन दिया जाता है।

शिवराज सरकार ने हर साल 5-5 हजार जवानों की भर्ती का लक्ष्य रखा 
मध्य प्रदेश पुलिस में 93 हजार से ज्यादा पुलिस बल व 26 हजार से ज्यादा एसएएफ के जवान हैं। इस तरह प्रदेश में करीब 1 लाख 20 हजार पुलिसकर्मी हैं, जिनमें से सैकड़ों जवान व पुलिस अधिकारी हर साल सेवानिवृत्त भी होते हैं। शिवराज सरकार ने हर साल पांच-पांच हजार जवानों की भर्ती का लक्ष्य रखा था, लेकिन चुनावी वर्ष 2018 में तत्कालीन सरकार ने पुलिस भर्ती को लेकर विचार ही नहीं किया, इसलिए भर्ती नहीं हो पाई। मई 2016 में पदोन्नति में आरक्षण का नियम खत्म कर देने से प्रमोशन पर रोक लग गई थी। यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। बीते दो साल में मप्र पुलिस के करीब 2 हजार पुलिसकर्मी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो चुके हैं। आगे भी ये संख्या बढ़ेगी।