मुन्नालाल गोयल द्वारा सरकारी बंगले पर कब्जे का मामलाः 18000 के बजाय 1800 की दर से किराया देने की जुगाड़

पीडब्ल्यूडी को पत्र लिखकर कहा-बंगला खाली कर दिया है, एनओसी करें जारी

मुन्नालाल गोयल द्वारा सरकारी बंगले पर कब्जे का मामलाः 18000 के बजाय 1800 की दर से किराया देने की जुगाड़

द लीड स्टोरी द्वारा काल्पी ब्रिज स्थित शासकीय बंगला नंबर डी-2 पर ग्वालियर पूर्व विधानसभा से कांग्रेस से विधायक रहे और अब उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मुन्नालाल गोयल के कब्जे का खुलासा होने के बाद विवाद शुरू हो गया है। विवाद से बचने के लिए पीडब्ल्यूडी के अफसरों पर बंगले का पजेशन वापस लेने और बाजार दर 18 हजार रुपए के बजाय सरकारी किराए यानी 1800 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से ही किराया जमा कराने को लेकर जुगाड़ लगाई जा रही है। गत छह अक्टूबर को द लीड स्टोरी के खुलासे के बाद पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल के पीए ने पीडब्ल्यूडी के अफसरों को फोन कर बंगले का पजेशन सौंपने व 1800 रुपए मासिक किराया निर्धारित कर राशि जमा करने के संबंध में बातचीत की। इसके अलावा एक लेटर भेजकर बंगला खाली करने की सूचना देते हुए चुनाव के लिए एनओसी भी मांगी है। इस लेटर पर सात अक्टूबर की डेट दर्ज है, लेकिन यह लेटर गत नौ अक्टूबर को अफसरों को प्राप्त हुए है। पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने नियम के मुताबिक 18 हजार रुपए प्रतिमाह के हिसाब से 15 महीने का किराया यानी 2 लाख 70 हजार रुपए जमा करने के लिए कहा है। जब तक यह राशि जमा नहीं होगी, तब तक मुन्नालाल गोयल को पीडब्ल्यूडी की ओर से एनओसी जारी नहीं की जाएगी।

बंगले में अब भी रखा है सामान

मुन्नालाल गोयल का प्रयास है कि इस बंगले को कैसे भी पीडब्ल्यूडी अपने पजेशन में ले ले, जबकि पीडब्ल्यूडी के अमले का कहना है कि पहले इस बंगले में रखे सामान को भी यहां से हटाया जाए। इसके बाद वे बंगले का पजेशन लेंगे। पीडब्ल्यूडी के क्षेत्रीय सब इंजीनियर संजय राठौर के मुताबिक बंगले में अब भी मुन्नालाल गोयल का सामान है और जब तक सामान नहीं हटाया जाएगा, तब तक पीडब्ल्यूडी इसे अपने पजेशन में नहीं लेगा। इसके अलावा गोयल को चालान से किराए की राशि भी जमा करानी होगी।

बाजार दर से किराया वसूली का है नियम

पीडब्ल्यूडी मैनुअल के मुताबिक किसी भी शासकीय आवास में अलॉटमेंट होने के बाद सरकारी दर से ही किराया वसूल किया जाता है। इसके बाद यदि शासकीय कर्मचारी का ट्रांसफर या रिटायरमेंट हो जाता है, तो उसे आवास खाली करने के लिए अधिकतम चार माह का समय दिया जाता है। इन चार माह में उक्त क्षेत्र की बाजार दर के हिसाब से ही किराया वसूल किया जाता है। ठीक यही फॉर्मूला अवैध रूप से कब्जे के मामले में भी होता है। ऐसे में मुन्नालाल गोयल से अब बाजार दर के हिसाब से किराया मांगा जा रहा है।

क्या है मामला

पूर्व विधायक मुन्नालाल गोयल का स्वयं का निवास मुरार स्थित बारादरी चौराहे के नजदीक है। विधायक कार्यकाल के दौरान इस क्षेत्र में मंत्रियों की तरह अपना कार्यालय संचालित करने के लिए उन्होंने पीडब्ल्यूडी से काल्पी ब्रिज के नजदीक स्थित सरकारी बंगला नंबर डी-2 अलॉट करने की मांग की थी। अफसरों ने इस पत्र को तत्कालीन संभागीय आयुक्त एमबी ओझा के पास अलॉटमेंट के लिए भेजा, लेकिन पात्रता न होने के कारण आयुक्त ने इसे शासन को फॉरवर्ड कर दिया। तब से लेकर अभी तक इस मामले में कोई आदेश जारी नहीं हुआ। इसके बावजूद उन्होंने जुलाई 2019 में इस बंगले पर जबरन अपनी नेम प्लेट लगा दी और बाहर रोड किनारे बैनर लगाकर इसे अपने जनसंपर्क कार्यालय के रूप में परिवर्तित कर लिया। इसको देखते हुए पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने शुरूआत में आपत्ति जताई, लेकिन बाद में सिर्फ एक नोटिस जारी कर इस फाइल को ठंडे बस्ते में डाल दिया। आचार संहिता लगने के बाद मुन्नालाल गोयल ने इस बंगले का इस्तेमाल करना बंद कर दिया और यहां अपना ताला जड़ दिया है। पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने आचार संहिता लगने के बाद गत तीन अक्टूबर को इस बंगले का निरीक्षण किया था। इस दौरान पता चला कि बंगले पर मुन्नालाल गोयल का ताला लगा हुआ है और वे अवैध रूप से बंगले पर काबिज हैं। इसकी रिपोर्ट पीडब्ल्यूडी के क्षेत्रीय सब इंजीनियर संजय राठौर ने बनाकर एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ओमहरि शर्मा को भी सौंप दी है।