आरबीआई ने 0.35 प्रतिशत बढ़ाई ब्याज दरें, अब ज्यादा भरनी पड़ेगी ईएमआई

रेपो रेट 5.90 प्रतिशत से बढ़कर 6.25 प्रतिशत हो गई, अब होम लोन, ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ हो जाएगा महंगा

आरबीआई ने 0.35 प्रतिशत बढ़ाई ब्याज दरें, अब ज्यादा भरनी पड़ेगी ईएमआई

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत का इजाफा किया है। इस कारण रेपो रेट 5.90 प्रतिशत से बढ़कर 6.25 प्रतिशत हो गई है। अब होम लोन, ऑटो और पर्सनल लोन सब कुछ महंगा हो जाएगा और आपको ज्यादा ईएमआई चुकानी होगी। ब्याज दरों पर फैसले के लिए 5 दिसंबर से मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग चल रही थी। आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास आज यानी बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ब्याज दरों से जुड़ी घोषणा की। इससे पहले सितंबर में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 5.40 से बढ़ाकर 5.90 प्रतिशत किया गया था। मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग हर दो महीने में होती है। इस वित्त वर्ष की पहली मीटिंग अप्रैल में हुई थी। तब आरबीआई ने रेपो रेट को 4 प्रतिशत पर स्थिर रखा था, लेकिन आरबीआई ने 2 और 3 मई को इमरजेंसी मीटिंग बुलाकर रेपो रेट को 0.40 बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया था। 22 मई 2020 के बाद रेपो रेट में ये बदलाव हुआ था। इसके बाद 6 से 8 जून को हुई मीटिंग में रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत इजाफा किया। इससे रेपो रेट 4.40 से बढ़कर 4.90 प्रतिशत हो गई। फिर अगस्त में इसे 0.50 प्रतिशत बढ़ाया गया, जिससे ये 5.40 प्रतिशत पर पहुंच गई। सितंबर में ब्याज दरें 5.90 प्रतिशत हो गई। अब ब्याज दरें 6.25 प्रतिशत पर पहुंच गई है।

रेपो रेट महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल 
आरबीआई के पास रेपो रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तो, त्ठप् रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होगा तो बैंकों को त्ठप् से मिलेने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देंगे। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होगा। मनी फ्लो कम होगा तो डिमांड में कमी आएगी और महंगाई घटेगी।

इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाना जरूरी
जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है। इस उदाहरण से समझते है। कोरोना काल में जब इकोनॉमिक एक्टिविटी ठप हो गई थी तो डिमांड में कमी आई थी। ऐसे में आरबीआई ने ब्याज दरों को कम करके इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया था।