बेड़े में बढ़ेंगे सुखोई, चीन और पाक की चुनौतियों से निपटने की तैयारी में IAF

बेड़े में बढ़ेंगे सुखोई, चीन और पाक की चुनौतियों से निपटने की तैयारी में IAF
इसके अलावा, एक पारंपरिक (गैर-परमाणु) ब्रह्मोस मिसाइल का 800 किलोमीटर रेंज वाला संस्करण भी है, जिसका वर्तमान में विकासात्मक परीक्षण चल रहा है। कथित तौर पर जनवरी में पहली बार बालासोर में अंतरिम परीक्षण रेंज से इसका परीक्षण किया गया था। इस मिसाइल के साल 2023 के अंत तक उत्पादन के लिए तैयार होने की उम्मीद है।

21 अक्टूबर 22। भारत अपनी सैन्य क्षमताओं और देश में ही रक्षा सामग्री उत्पादन में लगातार वृद्धि कर रहा है। अब भारतीय वायुसेना ने अपने बेड़े में हवा से लॉन्च की जाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को ले जाने की क्षमता रखने वाले सुखोई एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ाने की योजना बनाई है। 

यह है वजह और यह है तैयारी

चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी की हिंद महासागर क्षेत्र में गतिविधियां बढ़ रहीं हैं। ऐसे में हिंद महासागर में दूर तक लक्ष्य को भेदने की क्षमता भारत के लिए जरूरी है। इसलिए अगस्त 2020 में वायुसेना ने तमिलनाडु के तंजावुर में सुखोई एसयू-30 एमकेआई की 222 'टाइगर शार्क' स्क्वाड्रन को शुरू किया। इसमें 18 लड़ाकू विमान शामिल थे, जिनमें से छह ब्रह्मोस से लैस हैं।

ब्रह्मोस की मारक क्षमता 500 किलोमीटर तक होगी जो 1500 किलोमीटर तक बढ़ सकती है। इसका वजन करीब 2500 किलोग्राम है और यह सबसे अच्छी अमेरिकी मिसाइलों के बराबर है। साल 2020 में एक परीक्षण के दौरान इस मिसाइल से लैस सुखोई ने पंजाब के एक एयरबेस से उड़ान भरी और करीब 4000 किलोमीटर दूर हिंद महासागर में स्थित एक लक्ष्य को भेदा।

वायुसेना ने ब्रह्मोस एयर लॉन्च क्रूज मिसाइल को संचालित करने में सक्षम बनाने के लिए 40 सुखोई-30 विमानों को संशोधित करने की योजना को मंजूरी दी थी। इन विमानों का संशोधन हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा हो रहा है। अब तक 35 संसोशित विमान वायुसेना को मिल चुके हैं। इनके अलावा 20 से 25 लड़ाकू विमानों को संशोधित किए जाने की योजना है।

इसके अलावा डीआरडीओ लगातार घातक हथियारों को और परिष्कृत कर रहा है। संभावित शत्रुओं की शक्ति का आकलन कर लगातार भारतीय सेना को मजबूत किया जा रहा है।