सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट पर लगाई रोक, कहा- जांच करने वाले होंगे दोषी
31 अक्टूबर 22। सुप्रीम कोर्ट ने रेप केस में टू-फिंगर टेस्ट के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने यह चेतावनी भी दी है कि इस तरह के टेस्ट करने वाले व्यक्तियों को कदाचार का दोषी ठहराया जाएगा। बेंच ने कहा कि दुर्भाग्य है कि यह टेस्ट आज भी जारी है।
बेंच ने स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश दिया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी स्थिति में यौन उत्पीड़न या रेप सर्वाइवर का टू फिंगर टेस्ट नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट, तेलंगाना HC के एक फैसले के खिलाफ चल रहे केस पर फैसला सुना रही थी, जिसने एक निचली अदालत के रेप केस के मामले में दर्ज दोषसिद्धि को उलट दिया था।
बेंच ने एक रेप केस में फैसला सुनाते हुए कहा कि कोर्ट ने बार-बार रेप केस में टू फिंगर टेस्ट नहीं करने का आदेश दिया है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। यह महिलाओं को बार-बार रेप की तरह ही प्रताड़ित करता है। यह टेस्ट एक गलत धारणा पर आधारित है कि एक सेक्शुअली एक्टिव महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है।
बेंच ने केंद्र और राज्य सरकारों को यह निर्देश भी दिया कि टेस्ट से जुड़े दिशा निर्देश सभी सरकारी और निजी अस्पतालों तक पहुंच जाएं। इसके अलावा हेल्थ वर्कर्स को वर्कशॉप के जरिए विक्टिम की जांच करने वाले दूसरे टेस्ट की ट्रेनिंग दी जाए। साथ ही मेडिकल सिलेबस का रिव्यू करने कहा गया, ताकि भावी डॉक्टर्स इस टेस्ट की सलाह न दें।