राज्यसभा की हार ने बिगाड़े समीकरण, शिवसेना की दो टूक - एकला चलो

महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में शिवसेना की हार ने महाविकास अघाड़ी के सहयोगियों में दूरी बढ़ा दी है। इसके चलते एमएलसी चुनावों का समीकरण गड़बड़ा गया है। शिवसेना ने स्पष्ट कह दिया है कि वह अपने वोट किसी को ट्रांसफर नहीं करेगी। इस बात से कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं।

राज्यसभा की हार ने बिगाड़े समीकरण, शिवसेना की दो टूक - एकला चलो

19 जून 22। विधान परिषद चुनाव से ठीक पहले शिवसेना ने स्पष्ट कह दिया है कि वह अपने वोट किसी को भी ट्रांसफर नहीं करेगी। शिवसेना के इस दो-टूक फरमान से यहां कांग्रेस के लिए मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं।
महाराष्ट्र में राज्यसभा चुनाव में शिवसेना की हार ने महाविकास अघाड़ी के सहयोगियों में दूरी बढ़ा दी है। इसके चलते एमएलसी चुनावों का समीकरण गड़बड़ा गया है। शिवसेना ने स्पष्ट कह दिया है कि वह अपने वोट किसी को ट्रांसफर नहीं करेगी। इस बात से कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। बता दें कि राज्यसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा ने शिवसेना उम्मीदवार को शिकस्त देते हुए छठवीं सीट जीत ली थी। इसके पीछे वजह यह मानी जा रही है कि कांग्रेस ने अपने वोट शिवसेना को ट्रांसफर नहीं किए। यही वजह है कि 20 जून को होने वाले महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव के लिए महाविकास अघाड़ी के सभी दल अपने लिए खुद से समर्थन जुटाने में लगे हैं। 
10 सीटें और 11 प्रत्याशी
यहां पर 10 सीटों के लिए 11 प्रत्याशी मैदान में हैं। सारी मारामारी दसवीं सीट के लिए है। भाजपा ने इसके लिए पांच प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं। वहीं कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने 2-2 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। इसमें शिवसेना और एनसीपी के उम्मीदवार तो आसानी से जीतते दिखाई दे रहे हैं, लेकिन पेंच फंस रहा है भाजपा और कांग्रेस के बीच। अभी तक न तो शिवसेना और न ही इसके मुखिया उद्धव ठाकरे ने महाविकास अघाड़ी गठबंधन के सभी छह उम्मीदवारों को जिताने के लिए कोई संयुक्त योजना जारी नहीं की है। शुक्रवार को इस बारे में मीडिया से बात करते हुए शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि हमारे पास अपने दोनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए पर्याप्त वोट हैं। हमें कोई परेशानी नहीं होगी।
सभी दल अपना वोट जुटाएंगे
जब संजय राउत पूछा गया कि क्या वह अपने अतिरिक्त वोट कांग्रेस को ट्रांसफर करेंगे उनका जवाब था कि हम अपने वोट अपने उम्मीदवारों के लिए सुरक्षित रखना सुनिश्चित करेंगे। सभी पार्टियां खुद से अपने उम्मीदवारों के लिए वोट जुटाएंगी। सूत्रों का कहना है कि शिवसेना ने राज्यसभा में मिली हार को दिल से लगा लिया है। सेना को लगता है कि राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने अतिरिक्त वोट उसके उम्मीदवार संजय पवार को ट्रांसफर नहीं कराए। इसी का नतीजा रहा कि संजय पवार भाजपा के धनंजय महाडिक से मात खा गए। यही वजह है कि इस बार पार्टी अपने अतिरिक्त वोटों को बांटकर किसी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहती है। 
ऐसे फंस रही कांग्रेस की नैया
महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में हर उम्मीदवार को जीतने के लिए 25.91 वोट चाहिए। कांग्रेस के पास फिलहाल 44 वोट हैं। अगर उसके दोनों उम्मीदवारों भाई जगताप और चंद्रकांत हंडोरे को जीतना है तो उसे कुल 52 वोटों की जरूरत होगी। अब यह आठ वोट उसके पास या तो सहयोगी दलों से आएं या फिर अन्य छोटे दलों से। वहीं एनसीपी के पास 51 वोट हैं। ऐसे में उसे महज एक अतिरिक्त वोट की जरूरत है और उसके दोनों उम्मीदवार रामराजे निंबालकर व एकनाथ खड़से जीत जाएंगे। शिवसेना के पास कुल 55 वोट हैं और उसके दोनों उम्मीदवारों आम्यशा पडवी और सचिन अहीर की जीत के बाद भी उसके पास तीन वोट सरप्लस बचेंगे। हालांकि इसके लिए जरूरी है कि क्रॉस वोटिंग न हो और कोई भी मत अवैध न हो। ऐसी हालत में वह इन वोटों को कांग्रेस को ट्रांसफर कर सकती है। भाजपा के पांचों उम्मीदवार, प्रवीण दारेकर, राम शिंदे, श्रीकांत भारतीय, उमा खापरे और प्रसाद लाड को जिताने के लिए कुल 130 वोटों की जरूरत होगी। वहीं विधानसभा में 106 सदस्यों के साथ भाजपा को यहां 24 अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी। 
संयोजन का अभाव
ऐसे नाजुक मौके पर भी महाविकास अघाड़ी में संयोजन का अभाव दिखाता है कि राज्यसभा चुनाव के बाद वहां किस कदर अविश्वास बढ़ चुका है। एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता ने भी इस बात को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि हमारे दो उम्मीदवारों को जिताने के लिए हमें सहयोगियों और छोटे दलों से आठ वोटों की जरूरत होगी। लेकिन में इसके लिए खुद से तैयारी करनी होगी क्योंकि सेना या एनसीपी से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है। वहीं भाजपा अपने उम्मीदवारों की जीत को लेकर आश्वत है। पार्टी के नेता आशीष शेलार ने कहा कि हमारे पास फूलप्रूफ रणनीति है। हम जरूरी वोट जुटा लेंगे और हमारे सभी उम्मीदवार जीतेंगे।