जज की सख्त टिप्पणी से हरकत में आई एसीबी, एडीजीपी को किया गिरफ्तार
7 जुलाई 22। कर्नाटक हाई कोर्ट के एक जज ने जब ये धमकी दी कि चाहे उनके जज का पद ही क्यों न चला जाए, वो 'बिल्ली के गले में फंदा' लगा कर रहेंगे तो एक वरिष्ठ नौकरशाह और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) रैंक के एक अधिकारी को गिरफ़्तार करने में पुलिस को महज़ कुछ ही घंटे लगे।
दो दिन पहले जस्टिस एचपी संदेश ने एक खुली अदालत में भ्रष्टाचार निरोध ब्यूरो के वकील को जब खरी खरी सुनाई तो आमजनों और ईमानदार नौकरशाहों बीच इसे ज़ोरदार समर्थन मिला, साथ ही इसने अन्य नौकरशाह भी अलर्ट मोड में आ गए।
कर्नाटक हाई कोर्ट के इतिहास में यह पहली बार है कि किसी जज ने 'चाहे जो हो जाए' जैसा बयान दिया है।
जस्टिस संदेश ने खुली अदालत में कहा, "आपका एडीजीपी निश्चित तौर पर ताक़तवर दिखता है। किसी ने हाई कोर्ट के एक जज से बात की थी जिन्होंने मुझसे किसी और जज के ट्रांसफर का उदाहरण दिया था। इस जानकारी को देने वाले जज का नाम लेने में मैं संकोच नहीं करूंगा। इस कोर्ट में ट्रांसफर का ख़तरा मंडरा रहा है। मैं अपने जज के ओहदे की कीमत पर न्यायपालिका की आज़ादी की रक्षा करूंगा।"
उनकी टिप्पणी उस अभियुक्त की दायर आपराधिक याचिका की सुनवाई के दौरान आई, जिसे कथित तौर पर एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने डिप्टी कमिश्नर बेंगलुरु शहर (जिसे अन्य राज्यों में कलेक्टर कहा जाता है) की ओर से रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ़्तार किया था। इस मामले की पहले की सुनवाई के दौरान जज ने पूछा था कि एफआईआर में डिप्टी कमिश्नर का नाम क्यों नहीं लिया गया।
नौकरशाही की खिंचाई
कोर्ट ने अपने पहले की सुनवाई में एसीबी के कामकाज की आलोचना की थी। जज एसीबी की ओर से दायर डेटा जैसे कि 'बी' रिपोर्ट और चार्जशीट फाइल करने में हुई देरी को लेकर नाराज़ थे। एसीबी के वरिष्ठ वकील के एक जवाब में जस्टिस संदेश ने कहा कि कोर्ट ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान एसीबी के कामकाज के तरीके पर भी जा सकती है।
"ये (भ्रष्टाचार) कैंसर जैसी बीमारी है। चौथे स्टेज में पहुंचने से पहले इसे रोक दिया जाना चाहिए। इसमें मेरा कोई निजी हित नहीं है। मेरे पास पिता की चार एकड़ की ज़मीन है। अगर मैं जज का पद छोड़ दूं तो भी कुछ लोगों को खाना खिला सकता हूं, लेकिन इस हद तक नहीं गिरुंगा। मैं यहां किसी को खुश करने के लिए नहीं बैठा हूं। यह और कुछ नहीं बल्कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमला है।"
न्यायाधीश संदेश की टिप्पणी की वजह से महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवदगी दोपहर में पेश हुए और उन्होंने आश्वासन दिया कि कोर्ट से मांगे गए सभी डेटा जमा कराए जाएंगे।
ये सुनवाई हाई कोर्ट में चल रही थी तो एसीबी अधिकारियों ने औपचारिक रूप से बेंगलुरु शहरी ज़िला से तत्कालीन उपायुक्त जे मंजूनाथ को गिरफ़्तार कर लिया। न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के कुछ घंटों बाद ही सरकार ने उन्हें सेवा से निलंबित करने का आदेश दे दिया।
एक नौकरशाह ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा, "तत्कालीन डीसी और वर्तमान एडीजीपी की गिरफ़्तारी में सरकार की त्वरित कार्रवाई इस बात का स्पष्ट संकेत है कि उनकी बोली गई बात से नौकरशाही हिल गई। ज़ाहिर तौर पर ये जज भ्रष्टाचार के मुद्दे पर नौकरशाही की खिंचाई के लिए अपने अनुभव का इस्तेमाल कर रहे हैं।"