कौन है भद्रा, क्यों इसके साए में भाई की कलाई पर राखी बांधने से डरती हैं बहनें?

इस साल रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा। राखी पर इस साल भद्रा का साया पाताल लोक में है। इसलिए पृथ्वी पर होने वाले शुभ और मांगलिक कार्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दरअसल, रक्षाबंधन पर भद्रा के साए में भाई की कलाई पर राखी बांधना अपशकुन समझा जाता है। आइए इसी कड़ी में आज आपको बताते हैं कि आखिर भद्रा है कौन और इसके साय में राखी बांधने से बहनें क्यों डरती हैं।

कौन है भद्रा, क्यों इसके साए में भाई की कलाई पर राखी बांधने से डरती हैं बहनें?
भद्रा के साए में शुभ या मांगलिक कार्य, यात्रा और निर्माण कार्य निषेध माने गए हैं। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर जब भद्रा का साया रहता है, तब भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधी जाती है।

9 अगस्त 22।रक्षाबंधन का त्योहार 11 अगस्त 2022 को है और राखी के इस त्योहार पर लोग भद्रा के साए को लेकर बहुत कन्फ्यूज़ हैं। ज्योतिषियों का कहना है कि इस साल भद्रा का साया पाताल लोक में है। इसलिए पृथ्वी पर होने वाले शुभ और मांगलिक कार्यों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। दरअसल, रक्षाबंधन पर भद्रा के साए में भाई की कलाई पर राखी बांधना अपशकुन समझा जाता है। आइए इसी कड़ी में आज आपको बताते हैं कि आखिर भद्रा कौन है और इसके साए में राखी बांधने से बहनें क्यों डरती हैं।

कौन है भद्रा? (Who is Bhadra?)

शास्त्रों के अनुसार, भद्रा सूर्यदेव की बेटी और ग्रहों के सेनापति शनिदेव की बहन है। शनि की तरह इनका स्वभाव भी कठोर माना जाता है। इनके स्वभाव भी कठोर माना जाता है। इनके स्वभाव को समझने के लिए ब्रह्मा जी ने काल गणना या पंचांग में एक विशेष स्थान दिया है। भद्रा के साए में शुभ या मांगलिक कार्य, यात्रा और निर्माण कार्य निषेध माने गए हैं। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर जब भद्रा का साया रहता है, तब भाई की कलाई पर राखी नहीं बांधी जाती है।

हिंदू पंचांग के कुल 5 प्रमुख अंग होते हैं- तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इसमें करण का विशेष स्थान होता है जिसकी संख्या 11 होती है। 11 करणों में से 7वें करण विष्टि का नाम ही भद्रा है। भद्रा के साए में शुभ कार्य करने से लोग डरते हैं। ऐसा कहते हैं कि लंकापति रावण की बहन सूर्पनखा ने भद्रा के साए में ही उसे राखी बांधी थी और इसके बाद उसके साम्राज्य का विनाश हो गया था।