अग्निपथ स्कीम को लेकर अपने-अपने दावे, सेना के विशेषज्ञ भी एकमत नहीं

राजनाथ सिंह ने कहा, "नौजवानों को सेना में सेवा का मौक़ा दिया जाएगा। ये योजना देश की सुरक्षा को मज़बूत करने और हमारे युवाओं को मिलिट्री सर्विस का अवसर देने के लिए लाई गई है।" उन्होंने कहा कि इस साल 46,000 अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। इस योजना से नौकरी के मौक़े बढ़ेंगे और सेवा के दौरान अर्जित हुनर और अनुभव उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में नौकरी भी उपलब्ध कराएगा। क्या ये भारतीय सेना की शक्ल बदल देगी?

अग्निपथ स्कीम को लेकर अपने-अपने दावे, सेना के विशेषज्ञ भी एकमत नहीं
रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह कहते हैं,

16 जून 22। सरकार की मानें तो योजना का मक़सद युवाओं में राष्ट्रीयता की भावना मज़बूत करना, भारतीय सेना के चेहरे को युवा शक्ल देना, युवाओं को भारतीय सेना में सेवा देने की आकांक्षा को पूरा करना है। योजना के आलोचक इसे एक ग़लत क़दम बता रहे हैं जो भारतीय सेना के परंपरागत स्वरूप से छेड़खानी कर रहा है और जिससे सैनिकों के हौसले पर असर पड़ सकता है।
रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह इसे मूर्खतापूर्ण क़दम बताते हैं और कहते हैं, "पैसा बचाना अच्छा है लेकिन इसे रक्षा सेना की क़ीमत पर नहीं किया जाना चाहिए।"
माना जा रहा है कि इस सरकारी क़दम का मक़सद भारतीय सेना पर वेतन और पेंशन के बोझ को कम करना है। रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह कहते हैं, "बीजेपी दिखाना चाहती है कि हमने कुछ कर दिखाया है, कि ये फ़ैसला लेने वाली पार्टी है। ये बोर्ड पर निशाना लगाने जैसा है। नतीजों से किसे मतलब है?"
क्या ये बेरोजगारी की दवा है?
भारतीय सेना में 68 प्रतिशत उपकरण पुराने हैं, 24 प्रतिशत उपकरण आज के और आठ प्रतिशत स्टेट-ऑफ़-द-आर्ट कैटिगरी के। वजह साफ़ है। साल 2021-22 में रक्षा बजट का 54 प्रतिशत तन्ख्वाहों और पेंशन पर खर्च हुआ था। 27 प्रतिशत कैपिटल खर्च पर, यानी नए कामों को अंजाम देने में। बाक़ी का खर्च स्टोर, उपकरणों की देखभाल, सीमा पर सड़कें, रिसर्च, प्रबंधन पर हुआ।
एक आँकड़े के मुताबिक़ पिछले 10 सालों में रक्षा पेंशन पर ख़र्च में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जबकि रक्षा बजट में औसत बढ़ोत्तरी 8.4 प्रतिशत की है। रक्षा बजट में पेंशन का प्रतिशत 26 प्रतिशत तक बढ़ा फिर कम होकर 24 पर पहुंचा।
सरकार की घोषणा ऐसे वक़्त आई है जब देश में नौकरी का न मिलना एक बड़ी समस्या है। भारतीय अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली संस्था सीएमआईई के महेश व्यास के मुताबिक़ भारत में बेरोज़गारी एक गंभीर समस्या है क्योंकि जिस दर पर लोगों को नौकरी की ज़रूरत है, रोज़गार उस तेज़ी से नहीं बढ़ रहा है।
उनके मुताबिक कोविड के सबसे बुरे काल में जहाँ भारत में बेरोज़गारी दर 25 प्रतिशत तक पहुंच गई थी, अभी ये दर सात प्रतिशत है। शहरी इलाक़ों में लंबे समय से युवाओं (15-29 साल) में बेरोज़गारी दर 20 प्रतिशत से ऊपर मंडरा रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री की अगले डेढ़ साल में 10 लाख लोगों की मंत्रालयों और डिपार्टमेंट की भर्ती की घोषणा को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है।
योजना अच्छी या बुरी?
रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह के मुताबिक़ भारतीय सेना में किसी का चार साल के लिए शामिल होना बहुत कम समय है और अगर ये अच्छा आइडिया था तो इसे चरणों में लागू किया जाना चाहिए था। चिंता ये भी है कि इतने कम वक़्त में कोई युवा मिलिट्री ढांचे, स्वभाव से ख़ुद को कैसे जोड़ पाएगा।
वो कहते हैं, "चार साल में से छह महीने तो ट्रेनिंग में निकल जाएंगे। फिर वो व्यक्ति इन्फैंट्री, सिग्नल जैसे क्षेत्रों में जाएगा तो उसे विशेष ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी, जिसमें और वक़्त लगेगा। उपकरणों के इस्तेमाल से पहले आपको उसकी अच्छी जानकारी हासिल होनी चाहिए।"
रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह की फ़िक्र है कि इतना वक़्त ट्रेनिंग आदि में गुज़र जाने के बाद कोई भी व्यक्ति सेवा में कितना आगे बढ़ पाएगा। वो कहते हैं, "वो व्यक्ति एयरफ़ोर्स में पायलट तो बनेगा नहीं। वो ग्राउंड्समैन या मेकैनिक बनेग। वो वर्कशॉप में जाएगा। चार साल में वो क्या सीख पाएगा? कोई उसे हवाई जहाज़ हाथ नहीं लगाने देगा। अगर आपको इन्फ़ैंट्री में उपकरणों की देखभाल नहीं करनी आती तो वहां आप काम नहीं कर पाएंगे।"
"अगर आप युद्ध में किसी अनुभवी सैनिक के साथ जाते हैं तो उसकी मौत पर क्या चार साल की ट्रेनिंग लिया हुआ व्यक्ति उसकी जगह ले पाएगा? ये काम ऐसे नहीं होते। इससे सुरक्षा बलों की कुशलता पर असर पड़ता है।"
रिटायर्ड मेजर जनरल शेओनान सिंह कहते हैं कि भारत को युद्ध के बजाय इंसर्जेंसी या राजद्रोह से ख़तरा है, जिससे निपटने के लिए एक अनुभवी और परिपक्व दिमाग़ की ज़रूरत होती है।
उधर, रिटायर्ड मेजर जनरल एसबी अस्थाना के मुताबिक़ सरकार के इस क़दम से भारतीय सेना की प्रोफ़ाइल छह साल कम हो जाएगी, जिससे उसे फ़ायदा होगा।
वो कहते हैं, "अगर आप लोगों को आईटीआई से लेते हैं तो वो तकनीकी रूप से अच्छे होंगे। पुराने लोगों को तकनीकी तौर पर सशक्त करना मुश्किल होता है। ये पीढ़ी तकनीकी मामले में ज़्यादा सक्षम है।" रिटायर्ड मेजर जनरल एसबी अस्थाना के मुताबिक इस योजना से सेना को ये आज़ादी होगी कि सबसे बेहतरीन 25 प्रतिशत सैनिकों को रखे और बाकी को जाने दे।
वो कहते हैं, "अभी हमारा सिस्टम है कि अगर कोई जवान भर्ती हो गया और उसके बारे में लगा कि वो ठीक नहीं है तो जब तक उसके खिलाफ़ अनुशासन या अक्षमता का केस न चलाया जाए उसे नहीं निकाला जा सकता।"
इसी बहस के बीच सरकारी घोषणा आई है कि चार साल पूरा करने के बाद अग्निवीरों को असम राइफ़ल और सेंट्रल आर्म्ड पुलिस फोर्सेज़ में प्राथमिकता दी जाएगी।