आपदा में अवसर #Gwalior

आपदा में अवसर #Gwalior

 स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट की लिस्ट में शुमार ग्वालियर शहर सफाई के मामले में 13वें नंबर पर आ गया है। नगर निगम के अफसरों ने कागज़ों में सफाई दिखाने पर पूरा ध्यान झोंक दिया, लेकिन इस बीच जनता की अन्य बेसिक ज़रूरतों को भूल ही गए। इस मानसून में जलभराव से लेकर जर्जर सड़कों की समस्या से लोग परेशान हैं। जब जनता की मांग के बावजूद ज़िम्मेदारों की आँखें नहीं खुलीं, तो मजबूरन द लीड स्टोरी ने इन दिक्कतों को 'आपदा में अवसर' के एंगल से देखा। हमारी टीम ने शहर के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में सड़क जैसी मूलभूत सुविधा में फैली कीचड़ की समस्या की नकारात्मकता के बीच सकारात्मकता देखने की कोशिश की। इस दौरान महसूस हुआ कि क्यों जनता गड्ढों में बरसाती पानी भर जाने का रोना रोती है? जब इलाके में पानी सप्लाई न हो, तो यहां कपड़े धोए जा सकते हैं। आम के आम गुठलियों के दाम।

ज़िम्मेदार अफसर इस कोरोना काल में आपको शहर के बीचोंबीच ही नैचुरली डेवलप हुए पिकनिक स्पॉट उपलब्ध करा रहे हैं। यहां आराम से कीचड़ में बैठकर कपल चाय-कॉफी और कोल्ड ड्रिंक्स का आनंद ले सकते हैं। सिर्फ आपके कपड़े ही गंदे होंगे, लेकिन वो तो तब भी होते हैं जब राह चलते कोई भी बाइक-कार ड्राइवर आपको छपाक से नहला कर चला जाता है, तो इसे मड बाथ मानकर स्वीकार करने में बुराई ही क्या है?

इसे आपदा मानें या अवसर, लेकिन अफसर हम न सुधरेंगे और न हालात सुधारेंगे की तर्ज पर काम कर रहे हैं। यहां हमने भी बहुत पॉजिटिविटी के साथ सोचा लेकिन अंत में यही समझ आया

गोबर का यारों हेलुवा
हमसे ना कहा जाई

In Frame: Abhi Verma Poonam Rana
Pic: Ravi Upadhyay