दंगे फैलाने के लिए चरमपंथी संगठन पीएफआई को मिले थे 100 करोड़, 50 करोड़ मॉरिशस से आए, 4 कार्यकर्ता 14 दिन की हिरासत में

एफआईआर दर्ज कर 6 स्मार्टफोन, एक लैपटॉप, जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम लिखे हुए पम्पलेट मिले

दंगे फैलाने के लिए चरमपंथी संगठन पीएफआई को मिले थे 100 करोड़, 50 करोड़ मॉरिशस से आए, 4 कार्यकर्ता 14 दिन की हिरासत में

हाथरस में गैंगरेप की कथित घटना के बहाने दंगे फैलाने की साजिश को लेकर हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। नई जानकारी चरमपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को लेकर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक पीएफआई को हाथरस कांड के बहाने यूपी में जातीय दंगे फैलाने के लिए 100 करोड़ रुपए की फंडिंग मिली थी, इसमें से 50 करोड़ मॉरिशस से आए थे। पीएफआई वही संगठन है जिसका नाम सीएए के विरोध में दिल्ली में हुए दंगों में भी आया था। दिल्ली से हाथरस जा रहे 4 कार्यकर्ता मंगलवार रात मथुरा में पकड़े गए थे। इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई है। इनके पास 6 स्मार्टफोन, एक लैपटॉप, जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम लिखे हुए पम्पलेट मिले थे। स्थानीय कोर्ट ने चारों आरोपियों को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।


वेबसाइट्स का मकसद जातिगत दुश्मनी को बढ़ावा देना व अस्थिरता पैदा करना
शुरुआती जांच में सामने आया है कि दंगे फैलाने और फिर बचकर भागने के टिप्स बताने वाली वेबसाइट जस्टिस फाॅर हाथरस से भी चारों आरोपियों का कनेक्शन है। यह भी पता चला है कि कुछ लोग कार्डडाटको वेबसाइट के जरिए फंड जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। विदेशों से मिलने वाली फंडिंग का इस्तेमाल दंगे भड़काने में किया जाता है। इनसे जुड़े संगठन और कार्यकर्ता भीड़ जमा करने, अफवाह फैलाने, चंदा जुटाने और पीड़ितों को न्याय दिलाने की आड़ में देश विरोधी काम करते हैं।


इनके जरिए भारत के खिलाफ प्रचार किया जा रहा है। जैसे मॉब लिंचिंग की घटना का दुष्प्रचार, हाल में मजदूरों के पलायन और कश्मीर को लेकर दुष्प्रचार किया जा रहा है। वेबसाइट्स का मकसद जातिगत दुश्मनी को बढ़ावा देना और समाज में अस्थिरता पैदा कर दंगे फैलाना है। इनके जरिए बताया जाता है कि दंगों के दौरान पहचान कैसे छिपाएं और माहौल कैसे बिगाड़ें। पुलिस अब जांच करेगी कि ये प्लेटफॉर्म किसने और किस मकसद से बनाए। अब तक इन वेबसाइट्स से कितना पैसा जुटाया गया। जो फंड जुटाया उसे कहां इस्तेमाल किया और किस-किस के खाते में पैसे भेजे गए। अवैध फंडिंग को लेकर ईडी भी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से शुरुआती जांच कर रहा है। जल्द केस भी दर्ज कर सकता है।