मोरेटोरियम: लोन 2 करोड़ रुपए से कम है तो नहीं देना होगा ब्याज पर ब्याज
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 6 महीने के ब्याजमाफी की जानकारी दी वित्त मंत्रालय ने कहा- ब्याज पर ब्याज माफी के बोझ को सरकार उठाएगी
केंद्र सरकार ने पूर्व कैग राजीव महर्षि की अध्यक्षता वाली कमेटी की सिफारिशों को पलटते हुए ब्याज पर ब्याज की माफी का फैसला किया है। एमएसएमई, हाउसिंग, ऑटो और एजुकेशन लोन लेने वालों को लाभ मिलेगा. 2 करोड़ रुपए या इससे कम का लोन है तो लाभ मिलेगा. यदि किसी ने इंडीविजुअल तौर पर दो करोड़ से ज्यादा का लोन लिया है तो उनको इसका लाभ नहीं मिलेगा। वित्त मंत्रालय ने कहा कि ब्याज पर ब्याज माफी के बोझ को सरकार उठाएगी. केंद्र सरकार ने लोन लेने वाले इंडिविजुअल और एमएसएमई को बड़ी राहत दी है। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दाखिल कर कहा है कि वह मोरेटोरियम अवधि के छह महीनों के ब्याज पर ब्याज की माफी को तैयार है। इस ब्याज माफी का लाभ केवल दो करोड़ रुपए तक के लोन पर मिलेगा।
ये उपभोक्ताओं लाभ के पात्र: उन उपभोक्ताओं को ब्याज पर ब्याजमाफी लाभ मिलेगा, जिन्होंने एमएसएमई लोन, एजुकेशन लोन, हाउसिंग लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन, क्रेडिट कार्ड ड्यू, ऑटो लोन, प्रोफेशनल्स का पर्सनल लोन एवं कंजप्शन लोन लिया है. जिन लोगों ने मार्च से अगस्त तक के बकाया का भुगतान कर दिया है, उन्हें भी ब्याज पर ब्याज की माफी का लाभ मिलेगा। ब्याज पर ब्याज की माफी का लाभ केवल इंडीविजुअल और एमएसएमई लोन पर मिलेगा, कॉरपोरेट सेक्टर को इसका लाभ नहीं मिलेगा.
एक याचिकाकर्ता ने 6 माह के सभी ब्याज माफ करने की मांग की थी
एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मोरेटोरियम अवधि यानी 6 महीने के सारे ब्याज को समाप्त करने की मांग की थी। वित्त मंत्रालय ने एफिडेविट में कहा है कि यदि सभी प्रकार के लोन की मोरेटोरियम अवधि का ब्याज माफ किया जाता है तो इससे छह लाख करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा। इससे बैंकों की कुल नेटवर्थ में बड़ी कमी आ जाएगी। यही कारण है कि केवल 2 करोड़ या इससे कम वाले लोन के ब्याज पर ब्याज की माफी का फैसला लिया गया है।
सरकार पर 15 हजार करोड़ रुपए तक का बोझ आएगा
बैंकर्स का कहना है कि केंद्र की योजना के तहत ब्याज पर ब्याज की माफी से पांच से छह हजार रुपए का बोझ पड़ेगा। अगर सभी वर्गों के कर्जदारों को ब्याज पर ब्याज की माफी दी जाती है तो इससे 15 हजार करोड़ रुपए तक का बोझ पड़ेगा। बैंकर्स का कहना है कि केंद्र सरकार इस ब्याज माफी को अपने सोशल वेलफेयर उपायों के तहत कंपनसेट कर सकती है। वित्त मंत्रालय के एफिडेविट में मोरेटोरियम अवधि के दौरान ईएमआई या क्रेडिट कार्ड के ड्यू का भुगतान करने वालों के लिए किसी लाभ को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है।
तीन महीने तक लागू था मोरेटोरियम, बढ़ाकर 6 माह किया गया
कोरोना संक्रमण के आर्थिक असर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मार्च में तीन महीने के लिए मोरेटोरियम (लोन के भुगतान में मोहलत) की सुविधा दी थी। शुरुआत में इसे 1 मार्च से 31 मई तक तीन महीने के लिए लागू किया गया था। बाद में आरबीआई ने इसे तीन महीनों के लिए और बढ़ाते हुए 31 अगस्त तक के लिए लागू कर दिया था। यानी कुल छह महीने की मोरेटोरियम सुविधा दी गई थी।
पहले जानें मोरेटोरियम की सुविधा
जब किसी प्राकृतिक या अन्य आपदा की वजह से कर्ज लेने वालों की वित्तीय हालत खराब हो जाती है, तो कर्ज देने वालों की ओर से भुगतान में कुछ समय के लिए मोहलत दी जाती है। कोरोना संकट के कारण देश में भी लॉकडाउन लगाया गया था। इस कारण बड़ी संख्या में लोगों के सामने रोजगार का संकट पैदा हो गया था। इस संकट से निपटने के लिए आरबीआई ने छह महीने के मोरेटोरियम की सुविधा दी थी। इस अवधि के दौरान सभी तरह के लोन लेने वालों को किस्त का भुगतान करने की मोहलत मिल गई थी।
अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी
मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने और ब्याज पर ब्याज की माफी को लेकर कई लोगों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। 28 सितंबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने ब्याज पर ब्याज माफी पर फैसला करने के लिए कोर्ट से समय मांगा था। केंद्र सरकार ने कहा था कि वह अपने फैसले को लेकर दो-तीन दिन में एफिडेविट दाखिल कर देगी। अब इस मामले में 5 अक्टूबर सोमवार को सुनवाई होगी। इसी दिन कोर्ट ब्याज पर ब्याज की माफी को लेकर फैसला दे सकता है।
3 नवंबर तक एनपीए पर जारी रहेगी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 3 सितंबर को कहा था कि लोन का भुगतान नहीं करने वाले बैंक खातों को दो महीने या अगले आदेश तक एनपीए घोषित नहीं किया जाए। 28 सितंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि बैंक खातों को दो महीने तक एनपीए घोषित नहीं करने का आदेश जारी रहेगा। यानी बैंक 3 नवंबर तक भुगतान नहीं करने वाले खातों को एनपीए घोषित नहीं कर सकेंगे।