एमपी में 500 से अधिक पौधों की डीएनए बारकोडिंग कोडिंग, जड़ी-बूटियों व आयुर्वेदिक उत्पादों में मिलावट की हो सकेगी जांच

जबलपुर के कृषि विष्वविद्यालय की पहल: मूल रूप से इस प्रक्रिया से विलुप्त हो रही प्रजातियों को बारकोडिंग के जरिए उनकी जेनेटिक प्रोफाइल को बचाना है

एमपी में 500 से अधिक पौधों की डीएनए बारकोडिंग कोडिंग, जड़ी-बूटियों व आयुर्वेदिक उत्पादों में मिलावट की हो सकेगी जांच

जबलपुर। शहर के कृषि विश्वविद्यालय ने जैव विविधता के क्षेत्र में नया काम किया है। उसने देशभर में फैले 500 दुर्लभ औषधीय पौधों की पहचान कर उनकी डीएनए बारकोडिंग की है। इनमें हल्दी और तुलसी भी शामिल हैं। जड़ी-बूटियों और आयुर्वेदिक उत्पादों में मिलावट की जांच डीएनए बारकोडिंग के जरिए की जा सकेगी। भारत में जैव विविधता याने अकूत बायो डायवर्सिटी है, लेकिन वन्य क्षेत्रों सहित अन्य स्थानों पर पाये जाने वाले औषधीय पौधे या फसलें किस प्रजाति की हैं और इनमें कौन से जींस हैं, इस बात की जानकारी अमूमन नहीं होती हैं इसी बात को ध्यान में रखते हुए जबलपुर के कृषि विश्वविद्यालय ने नयी पहल की है। बायो टेक्नोलॉजी सेंटर ने ऐसे संकटग्रस्त 500 प्लांट की डीएनए बारकोडिंग तैयार की है। इससे इनकी विश्वस्तरीय पहचान को सुरक्षित कर लिया गया है। ये अपने आप में सराहनीय पहल है। भारत में सैकड़ों किस्म के औषधीय पौधे और जड़ी-बूटियां पायी जाती हैं, लेकिन इनकी अब तक लिस्टिंग नहीं की गयी है। एक रिपोर्ट के अनुसार कृषि क्षेत्र से जुड़े शोधकर्ता दिन-रात एक कर ऐसे महत्वपूर्ण काम में जुटे हैं, जिससे आने वाले समय में फसलों, जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की प्रजातियों को विलुप्त होने से बचाया जा सकेगा। इसके साथ ही उनके उपयोग से समाज भी वाकिफ होगा। पूरे देश में फैली अकूत जड़ी बूटियों और औषधीय पेड़ों का उपयोग हो सकेगा