जज्बात : पुलिसवाले ने पिता को थप्पड़ मारा था, बेटे ने जज बनकर दिया जवाब

जज्बात : पुलिसवाले ने पिता को थप्पड़ मारा था, बेटे ने जज बनकर दिया जवाब
कमलेश के पिता ने घर चलाने के लिए चांदनी चौक पर खाने का ठेला लगाना शुरू किया। उसी वक्त एक पुलिसवाला वहां आया और उनसे ठेला हटाने को कहा। इसके बाद पुलिसवाले ने कमलेश के पिता को थप्पड़ मार दिया और उनकी दुकान बंद करा दी। इसी घटना ने कमलेश के जीवन को बदलकर रख दिया।

17 नवंबर 22। ये कहानी यूपी के मशहूर आईपीएस नवनीत सिकेरा से मिलती जुलती है जिनके पिता के अपमान की वजह से उन्होंने UPSC पास कर आईपीएस रैंक चुना। बिहार के कमलेश ने इससे भी दो कदम आगे का काम किया है।

पिता के थप्पड़ का जवाब : बिहार में सहरसा जिले के निवासी कमलेश ने बिहार की ज्यूडिशयरी के इम्तिहान में 64वीं रैंक हासिल की है। कमलेश बेहद ही गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता ने उन्हें पढ़ाने के लिए कुली, मजदूर के काम से लेकर ठेला तक लगाया। इसी दौरान एक पुलिसवाले ने कमलेश के पिता को थप्पड़ मार दिया। ये बात कमलेश के सीने में अंदर तक चुभ गई। कमलेश ने इसका जवाब देने की ठान ली और आखिर में जज बनकर वो जवाब दिया भी।

जज बनकर दिया जवाब : कमलेश का परिवार बेहद ही गरीब था। घर की हालत सुधारने के लिए पिता काम की तलाश में परिवार के साथ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली आ गए। सर पर छत नहीं थी तो उन्होंने झुग्गी को अपना आशियाना बनाया। लेकिन यहां भी बदकिस्मती ने उनका पीछा नहीं छोड़ा, दिल्ली नगर निगम ने उनका आशियाना यानि लाल किले के पीछे की सभी झुग्गी झोपड़ियों को हटा दिया। इसके बाद कमलेश के पिता परिवार समेत ट्रांस यमुना में एक घर में किराए पर रहने लगे। ये वो वक्त था जब कमलेश दसवीं पास कर चुके थे।

पुलिसवाले ने पिता को मारा थप्पड़ : कमलेश के पिता ने घर चलाने के लिए चांदनी चौक पर खाने का ठेला लगाना शुरू किया। उसी वक्त एक पुलिसवाला वहां आया और उनसे ठेला हटाने को कहा। इसके बाद पुलिसवाले ने कमलेश के पिता को थप्पड़ मार दिया और उनकी दुकान बंद करा दी। इसी घटना ने कमलेश के जीवन को बदलकर रख दिया।

दिल्ली विवि में लॉ में लिया दाखिला : कमलेश ने इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून की पढ़ाई शुरू की। ये भी तय कर लिया कि उन्हें वकील नहीं बल्कि जज बनना है। कमलेश ने जो लक्ष्य तय किया था उसकी तरफ वो बेहद खामोशी से बढ़ते रहे। आखिर में साल 2017 में उन्होंने बिहार ज्यूडिशयरी के इम्तेहान की तैयारी शुरू की। पहली बार में वो नाकाम हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारी। कोरोना काल में भी उनका समय जाया हुआ, लेकिन इस साल यानि 2022 में उन्होंने वो कर दिखाया जिसका सपना देखा था। कमलेश अब जज बन चुके हैं और अपने जैसे युवकों के लिए नजीर भी।