ईरान में पहली बार हिजाब विरोधी को होगी फांसी, दंगे कराने का आरोप

ईरान में पहली बार हिजाब विरोधी को होगी फांसी, दंगे कराने का आरोप
ईरान में महसा अमीनी की मौत के बाद देश में शुरू हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों में शामिल एक प्रदर्शनकारी को मौत की सजा सुनाई गई है। वहीं इस मामले में पांच लोगों को जेल की सजा सुनाई गई है। कहा गया है कि सभी दोषी इस फैसले को अदालत में चुनौती दे सकते हैं।

14 नवंबर 22। ईरान में हिजाब विरोधी प्रदर्शन 16 सितंबर से लेकर अब तक जारी है। इस बीच ईरान से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। इस मामले में तेहरान कोर्ट ने फैसला सुनाया है। देश में लगातार जारी अशांति के बीच सरकार विरोधी एक प्रदर्शनकारी को फांसी और 5 लोगों को 10 साल की जेल की सजा सुनाई गई है। ईरान में पहली बार किसी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा सुनाई गई है।

दोषी शख्स पर सरकारी इमारतों में आग लगाने, दंगे भड़काने और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया गया है। इसलिए कहा जा रहा है कि इस मामले में जिन लोगों को सजा हुई है, वे सभी इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं। बता दें, सितंबर में महसा अमीनी की मौत के बाद सरकार की जड़ें हिला देने वाले इस प्रदर्शन में शामिल किसी प्रदर्शनकारी को मौत की सजा सुनाए जाने का यह पहला मामला है।

महसा अमिनी की मौत के बाद शुरू हुआ था हिजाब विरोधी आंदोलन 

16 सितंबर को पुलिस हिरासत में 22 वर्षीय महसा अमिनी की मौत के बाद हिजाब विरोधी आंदोलन शुरू हुआ था। महसा 13 सितंबर को अपने परिवार से मिलने तेहरान आई थीं। उसने हिजाब नहीं पहना हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने तुरंत महसा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के 3 दिन बाद महसा की मृत्यु हो गई। अमिनी की मौत का कारण सिर में चोट बताया गया था, लेकिन उसके रिश्तेदारों ने दावा किया कि उसे पहले से कोई बीमारी नहीं थी।

बता दें, महसा अमिनी को देश के सख्त ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के बाद हिरासत में लिया गया था। 1979 में इस्लामी क्रांति के बाद ही ईरान में महिलाओं पर कई तरह की पाबंदियां बढ़ा दी गई थीं। कपड़े पहनने के लिए कानून बनाया गया। हिजाब पहनने को 1981 से अनिवार्य भी कर दिया गया। इसके बाद से करीब 10 साल से अधिक उम्र की लड़कियां और महिलाएं हिजाब से सिर ढकने के लिए मजबूर हैं। मगर, महसा की मौत के बाद लोग सरकार के इस सख्त कानून का विरोध कर रहे हैं।