खुलासा: कछुआ और मछली जैसे जीव इशारों से नहीं बोलकर करते हैं संवाद

खुलासा: कछुआ और मछली जैसे जीव इशारों से नहीं बोलकर करते हैं संवाद
वैज्ञानिकों ने अब तक मूक समझे जाने वाले कुछ जानवरों की बोली और बातचीत रिकॉर्ड की है। कछुए और मछलियों जैसे कुछ जीवों की प्रजातियां आपस में बोल कर संवाद करती हैं। इन्हें यह खूबी करोड़ों साल पहले के साझे पूर्वज से मिली है।

26 अक्टूबर 22। जानवरों की कम से कम 50 से ज्यादा ऐसी प्रजातियां हैं जो आपस में बोल कर संवाद करती हैं। इन्हें पहले मूक पशु समझा जाता था। हाल ही में प्रकाशित एक रिसर्च रिपोर्ट में दावा किया किया गया है कि इन जीवों में बोल कर संवाद करने की खूबी एक साझे पूर्वज से करीब 40 करोड़ साल पहले विकसित हुई थी।

इस रिसर्च रिपोर्ट के प्रमुख लेखक और इवॉल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट गाब्रियेल योर्गविच-कोहेन ने बताया कि ब्राजील के अमेजन वर्षावनों में कछुओं पर रिसर्च करने के दौरान उन्हें मूक जानवरों की आवाज को रिकॉर्ड करने का विचार आया। योर्गविच-कोहेन का कहना है, "जब मैं वापस घर आया तो अपने पालतू जानवरों की रिकॉर्डिंग शुरू करने का फैसला किया।"

इसमें होमर नाम का एक कछुआ भी था जिसे उन्होंने बचपन से ही पाला था। उन्हें यह देख कर बड़ी हैरानी हुई कि होमर और उनके दूसरे पालूत कछुए गले से आवाज निकाल रहे थे। इसके बाद उन्होंने कछुओं की दूसरी प्रजातियों की रिकॉर्डिंग शुरू की। इसके लिए कभी कभी वो हाइड्रोफोन यानी पानी के अंदर काम करने वाला माइक्रोफोन इस्तमाल करते थे। स्विट्जरलैंड की ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में रिसर्चर योर्गविच-कोहेन का कहना है, "हर एक प्रजाति जिसकी मैंने रिकॉर्डिंग की वह आवाज निकाल रहा था। इसके बाद हमने यह सवाल पूछना शुरू किया और कितने ऐसे जानवर हैं जिन्हें हम मूक समझते हैं लेकिन वो आवाज पैदा करते हैं।"

योर्गविच-कोहिन की यह रिसर्च रिपोर्ट नेचर कम्युनिकेशंस जर्नल में छपी है। रिसर्च में कछुओं की 50 प्रजातियों के साथ ही तीन और बेहद अनोखे जीवों की रिकॉर्डिंग है जिन्हें मूक समझा जाता है। इनमें एक लंगफिश मछली की एक प्रजाति है जिसमें गलफड़ के साथ ही फेफड़े भी होते हैं।

रिसर्चरों की टीम ने अपनी खोज को 1800 दूसरी प्रजातियों के अकूस्टिक कम्युनिकेशन के उत्पत्ति के इतिहास के आंकड़ों के साथ मिलाया। इसके बाद उन्होंने "पैतृक अवस्था पुनर्रचना" नाम के विश्लेषण का इस्तेमाल कर यह संभावना तलाशी कि इसका पुराने समय के जीवों से क्या संबंध है। पहले यह समझा गया था कि चार पैरों वाले जानवर और लंगफिश के कंठ से निकलने वाला संवाद अलग अलग रूप से विकसित हुआ है। हालांकि योर्गविच-कोहन का कहना है, "अब हमने इसका उल्टा देखा है, वे सब एक ही जगह से आते हैं। हमने देखा है कि इस ग्रुप का एक साझा पूर्वज है जो पहले से ही आवाज निकाल रहा था और उन आवाजों को जान बूझ कर संवाद में इस्तेमाल कर रहा था।"

इनका यह साझा पूर्वज कम से कम 40.7 करोड़ साल पहले पुराजीवी काल में पृथ्वी पर जी रहा था। अमेरिका की एरिजोना यूनिवर्सिटी में इवॉल्यूशनरी बायोलॉजी के प्रोफेसर जॉन वीन्स का कहना है कि लंगफिश और चौपाया जीवों में एक साझे पूर्वज से ध्वनि संवाद का उदय होना काफी दिलचस्प और हैरान करने वाली खोज है।"