बिहार की सियासत: घोटाले व पक्षपात के आरोप की वजह से शिक्षा मंत्री ने दिया रिजाइन
गुरुवार को चार्ज लेने के ढाई घंटे बाद ही मेवालाल चौधरी ने पद छोड़ा चौधरी ने कहा- बदनाम करने वालों को 50 करोड़ रु. की मानहानि का नोटिस भेजेंग
बिहार की सियासत में एक नया मामला सामने आया है. बिहार के शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने गुरुवार को ही पद संभाला था। करीब ढाई घंटे बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। चौधरी ने नीतीश कुमार के साथ 10 नवंबर को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली थी। मेवालाल चौधरी को कैबिनेट में शामिल करने का फैसला नीतीश सरकार के लिए किरकिरी माना जा रहा था। 2010 में जब वे बिहार एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कुलपति थे, तब उन पर भर्ती घोटाले का आरोप लगा था। इसके चलते उन्हें अपनी कुर्सी तक गंवानी पड़ी थी। पौने एक बजे मेवालाल ने शिक्षा विभाग में पहुंचकर पदभार संभाला और करीब ढाई घंटे के अंदर ही उन्होंने राज्यपाल को इस्तीफा भी दे दिया। एजुकेशन का पोर्टफोलियो दिए जाने के बाद से चर्चा थी कि मेवालाल शिक्षा मंत्री का पद संभालेंगे यानी नहीं। उन्होंने जदयू के प्रदेशाध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात भी की थी। इस्तीफे के बाद कहा जा रहा है कि नीतीश करप्शन पर समझौता नहीं कर सकते। पदभार संभालते हुए मेवालाल बोले कि मुझ पर कोई चार्जशीट नहीं है। जिन लोगों ने बदनाम करने की साजिश रची है, उन्हें 50 करोड़ रुपए की मानहानि का नोटिस भेजेंगे। कहा जाता है कि पटना हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएमएम आलम की जांच कमेटी के सामने मेवालाल ने कबूल किया था कि उन्होंने नियुक्तियों में पक्षपात किया है और उन्होंने उम्मीदवारों के लिए रिमार्क्स, वायवा और एग्रीगेट कॉलम खुद भरा था। यह घोटाला तब सामने आया था, जब राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा में फेल हुए 30 से ज्यादा उम्मीदवारों का चयन किया गया था।