चीनी सैनिकों से निपटने के लिए जवान ले रहे इजरायली मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग

पहले जहां एलएसी पर चीनी सैनिकों के साथ फेसऑफ की स्थिति में धक्कामुक्की और गुत्थमगुत्था की लड़ाई हो जाती थी और भारतीय सैनिक इसके लिए तैयार रहते थे, वहीं अब उन्हें मार्शल आर्ट भी सिखाया जा रहा है। खासकर गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हुई खूनी झड़प के बाद इसकी ज्यादा जरूरत महसूस हुई। अब ऑर्गनाइज्ड तरीके से यूनिट स्तर पर सैनिकों को इजरायली मार्शल आर्ट कर्व मागा सिखाया जा रहा है।

चीनी सैनिकों से निपटने के लिए जवान ले रहे इजरायली मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग
सैनिकों को कर्व मागा दूसरी मार्शल आर्ट के साथ मिलाकर सिखाया जा रहा है ताकि यह ज्यादा प्रभावी हो। इससे सैनिकों में कॉन्फिडेंस आएगा और वह फेसऑफ की स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे। सूत्रों के मुताबिक, अभी कोर बैटल स्कूल की ट्रेनिंग में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है लेकिन थ्रेट बेस्ड ट्रेनिंग (खतरों के हिसाब से ट्रेनिंग) धीरे धीरे बदल रही है।

16 जुलाई 22। ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीन के साथ तनाव होने के बाद भारतीय सेना (unarmed combat) अनआर्म्ड कॉम्बेट ( बिना हथियारों की लड़ाई) के लिए भी अपने सैनिकों को ट्रेनिंग दे रही है। वैसे तो सेना की पूर्वी कमान में पहले से इस तरह की ट्रेनिंग दी जा रही थी, लेकिन अब सेना की उत्तरी कमान ने भी एलएसी पर तैनात सैनिकों को अनआर्म्ड कॉम्बेट की ट्रेनिंग देनी शुरू की है। पहली बार इस ट्रेनिंग को ऑर्गनाइज्ड तरीके से शुरू किया गया है। सेना की उत्तरी कमान के पास ही जम्मू-कश्मीर से लेकर लद्दाख तक एलओसी और एलएसी का जिम्मा है। एलएसी पर चीनी सैनिकों से निपटने के लिए भारतीय सैनिकों को इजरायली मार्शल आर्ट कर्व मागा की ट्रेनिंग (Israeli Martial Arts Training) देना शुरू किया गया है।

सूत्रों के मुताबिक, पहले जहां एलएसी पर चीनी सैनिकों के साथ फेसऑफ की स्थिति में धक्कामुक्की और गुत्थमगुत्था की लड़ाई हो जाती थी और भारतीय सैनिक इसके लिए तैयार रहते थे, वहीं अब उन्हें मार्शल आर्ट भी सिखाया जा रहा है। खासकर गलवान में चीनी सैनिकों के साथ हुई खूनी झड़प के बाद इसकी ज्यादा जरूरत महसूस हुई। अब ऑर्गनाइज्ड तरीके से यूनिट स्तर पर सैनिकों को इजरायली मार्शल आर्ट कर्व मागा सिखाया जा रहा है। सैनिकों को कर्व मागा दूसरी मार्शल आर्ट के साथ मिलाकर सिखाया जा रहा है ताकि यह ज्यादा प्रभावी हो। इससे सैनिकों में कॉन्फिडेंस आएगा और वह फेसऑफ की स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार होंगे। सूत्रों के मुताबिक, अभी कोर बैटल स्कूल की ट्रेनिंग में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ है लेकिन थ्रेट बेस्ड ट्रेनिंग (खतरों के हिसाब से ट्रेनिंग) धीरे धीरे बदल रही है।

दरअसल भारत और चीन के बीच तय प्रोटोकॉल और समझौते यह कहते हैं कि एलएसी पर पट्रोलिंग के दौरान दोनों तरफ से सैनिकों को यह कोशिश करनी चाहिए कि तनाव ना बढ़े। ऐसी स्थिति ना हो कि फायरिंग करनी पड़े। इसलिए एलएसी पर जब भी भारतीय और चीनी सैनिकों का आमना सामना होता है और तनाव बढ़ता है तो धक्का- मुक्की होती है और यह बढ़कर कई बार गुत्थम -गुत्था की लड़ाई तक भी पहुंच जाती है। दोनों तरफ से यही कोशिश रहती है कि फायरिंग ना हो। सूत्रों के मुताबिक चीनी सैनिक जब पट्रोलिंग यानी गश्त पर आते हैं तो वह अपने साथ नॉन लीथल वेपन जैसे डंडा, करंट वाली छड़ी, पैपर स्प्रे साथ लाते हैं। भारतीय सेना की तरफ से पूरी कोशिश रहती है कि संयम बरता जाए। लेकिन चीनी सैनिक अगर एलएसी पार करने की कोशिश करते हैं तो उन्हें बिना फायरिंग के गुत्थम-गुत्था की लड़ाई में सबक सिखाया जाता है। मार्शल आर्ट की ट्रेनिंग भारतीय सैनिकों को और कॉन्फिडेंस और मजबूती देगी।