नपा और ओरेवा कंपनी के जिम्मेदारों की साठगांठ ने ली 136 की जान, खुलासा

नपा और ओरेवा कंपनी के जिम्मेदारों की साठगांठ ने ली 136 की जान, खुलासा
अगर सभी तथ्यों को सिलसिलेवार देखें तो पाएंगे कि नपा और अजंता ओरेवा कंपनी के जिम्मेदारों की साठगांठ थी। लाभ कमाने के चक्कर में दोनों ने ही सुरक्षा मानकों की तरफ से आंखें मूंद लीं, जिसकी वजह से 136 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।

31 अक्टूबर 22। गुजरात के मोरबी में पैदल यात्रियों के लिए बना सस्पेंशन ब्रिज रविवार रात को टूट गया। कुछ दिन पहले ही इसकी मरम्मत हुई थी। आम लोगों के लिए खोले जाने के महज 5 दिन बाद ही यह ब्रिज टूट गया। पुल पर मौजूद करीब 500 लोग नदी में जा गिरे। इनमें से 136 की अब तक मौत हो चुकी है। 

  • मोरबी का यह पुल गुजरात के राजकोट से 64 किलोमीटर दूरी पर बना हुआ है। विक्टोरियन लंदन स्टाइल में बने इस पुल को मोरबी के पूर्व शासक सर वाघजी ने बनवाया था। इसके लिए मटेरियल इंग्लैंड से मंगाया गया था। तब इसे यूरोप में उपलब्ध सबसे बेहतरीन तकनीक के जरिए बनाया गया था।
  • मोरबी की पहचान कहा जाने वाला यह ब्रिज 143 साल पुराना था। इसकी चौड़ाई 1.25 मीटर (4.6 फीट) है। यानी करीब इतनी ही कि दो लोग आमने-सामने से गुजर सकें। इसकी लंबाई 233 मीटर (765 फीट) थी। इतनी कि अगर 500 लोग एक साथ पुल पर खड़े हों तो हर कोई लगभग एक दूसरे से टच करता हुआ ही दिखाई देगा।
  • ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक के लिए पुल की मरम्मत, रख-रखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था। पुल पर कंपनी के नाम का बोर्ड तो मौजूद था, लेकिन क्षमता को लेकर दोनों छोरों पर कोई सूचना या चेतावनी नहीं लिखी गई थी। हाल ही में 2 करोड़ रुपए की लागत से 6 महीने तक ब्रिज का रेनोवेशन हुआ था। गुजराती नववर्ष यानी 26 अक्टूबर को ही यह दोबारा खुला था। गुजरात विधानसभा चुनाव की घोषणा एक-दो दिन में ही होने वाली है।
  • मोरबी के नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीप सिंह झाला ने कहा कि ओरेवा ने प्रशासन को सूचना दिए बिना ही लोगों को पुल पर जाने की इजाजत दे दी। अब बड़ा सवाल ये कि 26 अक्टूबर को ओरेवा कंपनी के MD जयसुख पटेल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुल को चालू करने की घोषणा की थी, तब नगर पालिका ने इसे क्यों नहीं रोका?
  • जिस अंजता ओरेवा ग्रुप को पुल के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, इसे इस काम का अनुभव नहीं है। यह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियां, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाती है। ओरेवा ने सालभर पहले वारंटी वाले एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी।
  • अगर सभी तथ्यों को सिलसिलेवार देखें तो पाएंगे कि नपा और अजंता ओरेवा कंपनी के जिम्मेदारों की साठगांठ थी। लाभ कमाने के चक्कर में दोनों ने ही सुरक्षा मानकों की तरफ से आंखें मूंद लीं, जिसकी वजह से 136 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
  • यह ब्रिज पिकनिक स्पॉट के तौर पर मशहूर था। दिवाली बाद के वीकेंड में लोग घूमने निकले हुए थे। ब्रिज 6 महीने बाद खुलने की वजह से भी इसको लेकर लोगों में आकर्षण था। इस वजह से इतने ज्यादा लोग एकसाथ पर घूमने पहुंच गए।टिकट देकर करीब 400 लोग एकसाथ ब्रिज पर भेज दिया गया। जिम्मेदारों ने इस बात का ध्यान क्यों नहीं दिया कि यह संख्या पुल की क्षमता से कई गुना ज्यादा है।