छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरी और आदिवासियों के बीच टकराव

छत्तीसगढ़ के नारायणपुर से नए साल की शुरुआत में आदिवासियों के गुस्से की खबर आई।

छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरी और आदिवासियों के बीच टकराव

रायपुर/नई दिल्लीi छत्तीसगढ़ में ईसाई मिशनरी और आदिवासियों के बीच टकराव है। कहा जा रहा है कि ईसाई मिशनरी कथित रूप से धर्मांतरण कर रही है। नाराज भीड़ ने पहले चर्च में तोड़फोड़ की। इसके बाद यह टकराव हिंसा में तब्दील हुआ। भीड़ ने पुलिस पार्टी पर हमला किया, जिसमें SP का सिर फूट गया।
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में कथित धर्मांतरण के मुद्दे पर 1 जनवरी को लोगों ने एक चर्च में जमकर तोड़फोड़ की थी। भीड़ ने पुलिस को पीटा थाi हिंसा और बवाल के बीच सवाल यह है कि आखिरकार जब भीड़ SP पर हमला कर रही थी, तो पुलिस ने बल प्रयोग क्यों नहीं किया। जब हमने इस सवाल का जवाब खोजा, तो तीन अहम वजह सामने आईं...

  • आदिवासियों के लिए बनाया गया कड़ा कानून
  • सरकार की तरफ से एक्शन के आदेश न होना
  • राज्य में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव

आदिवासियों के खास कानून के तहत बिना जांच गिरफ्तारी, पहले बेल भी नहीं

अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) एक्ट 1989 के तहत पहले शिकायत होने पर थ्प्त् के बगैर गिरफ्तारी का प्रावधान है। गिरफ्तारी के लिए पहले से मंजूरी लेने की जरूरत भी नहीं होगी। इसके तहत CrPC की धारा 438 के तहत अग्रिम जमानत भी नहीं दी जा सकती। ऐसे मामलों में केवल कोर्ट यह तय कर सकता है कि मामला कायम करने में कानून की धारा 18-ए के तहत किसी के मौलिक अधिकारों का ध्यान रखा गया है या नहीं। साथ ही केवल कोर्ट ही तय कर सकता है कि ऐसे मामलों में जीने के अधिकार, समानता और स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन तो नहीं हुआ है। यानी पुलिस के पास मामला पहुंचने पर गिरफ्तारी तय है।

राज्य सरकार से एक्शन लेने के लिए आदेश न मिलना
छत्तीसगढ़ के नारायणपुर से जो विजुअल्स सामने आए, उनमें पुलिस भीड़ के सामने डिफेंसिव ही नजर आ रही थी। यहां तक कि भीड़ में शामिल लोगों के पास लाठी-डंडे थे, उन पर भी पुलिस ने बल प्रयोग नहीं किया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि ऐसे हालात इसलिए बने कि सरकार की तरफ से आदिवासियों पर बल प्रयोग न करने के निर्देश मिले थे। ऐसे में जब भीड़ हमलावर हो गई, तब भी पुलिस खुद को बचाने के लिए भागती नजर आई।
साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव
छत्तीसगढ़ समेत देश की 10 विधानसभाओं के लिए 2023 के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं। राज्य की कुल 90 विधानसभा सीटों में से 29 आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं। चुनाव से चंद महीने पहले कोई भी राजनीतिक पार्टी राज्य की एक तिहाई सीटों के नतीजे तय करने वाले आदिवासी समुदाय की नाराजगी मोल लेना नहीं चाहेगी। यह भी एक वजह है कि इस मामले में नाराज आदिवासी लोगों पर सख्ती नहीं बरती गई।