किसानों ने अपने लंगर का खाना खाया सरकार का खाना खाने से इनकार किया

आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि दी, दिल्ली के विज्ञान भवन में चल रही 8वें राउंड की बातचीत, कृषि मंत्री तोमर, रेल मंत्री गोयल व वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश मौजूद

किसानों ने अपने लंगर का खाना खाया सरकार का खाना खाने से इनकार किया

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान 40 दिन से आंदोलन कर रहे हैं। दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों की सरकार के साथ 8वें राउंड की बातचीत चल रही है। मीटिंग के दौरान सरकार ने किसानों के लिए खाने की व्यवस्था की थी, लेकिन, किसानों ने सरकार का खाना खाने से इनकार कर दिया। उन्होंने अपने लंगर का खाना ही खाया। किसानों की बैठक के दौरान करीब 200 लोगों का खाना लंगर से विज्ञान भवन पहुंचाया गया था। पिछली मीटिंग में भी किसानों ने लंगर का खाना ही खाया था। उस समय केंद्रीय मंत्रियों ने भी किसानों के साथ ही लंच किया था। मीटिंग में सरकार की तरफ से कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश मौजूद हैं। न्यूज एजेंसी के अनुसार किसानों को समझाने के लिए सरकार कानूनों के हर पहलू पर चर्चा कर सकती है। मीटिंग में जाने से पहले कृषि मंत्री ने कहा कि आज पॉजिटिव सॉल्यूशन की उम्मीद है। वहीं किसान संगठनों ने कहा कि सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो प्रदर्शन तेज किया जाएगा। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हन्नान मोला ने कहा है कि यह सरकार पर है कि वह किसानों की समस्याओं का हल निकालना चाहती है या फिर उनके खिलाफ साजिश कर उनके संघर्ष को कमजोर करना चाहती है। हमें उम्मीद है कि सरकार मानवीय सोच रखेगी। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि आंदोलन के दौरान अब तक 60 किसानों की जान चा चुकी। हर 16 घंटे में एक किसान मर रहा है। सरकार की जवाबदेही बनती है।

30 दिसंबर की मीटिंग में 2 मुद्दों पर सहमति बनी थी
किसान आंदोलन के समर्थन में पंजाब और हरियाणा में रिलायंस जियो के टावरों और ऑफिसों में पिछले दिनों काफी तोड़फोड़ हुई थी। ऐसे में रिलायंस ने सोमवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। कंपनी ने कहा कि सरकार को तुरंत दखल देकर गुंडागर्दी रोकनी चाहिए। किसान मजदूर संघर्ष समिति, पंजाब के जॉइंट सेक्रेटरी सुखविंदर सिंह ने कहा है कि कृषि कानूनों को वापस लेने और एमएसपी की गारंटी की मांगें पूरी नहीं हुईं तो 6 जनवरी को भी ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे। 30 दिसंबर की मीटिंग में 2 मुद्दों पर सहमति बनी थी। पहला पराली जलाने पर केस दर्ज नहीं होंगे, अभी 1.करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रोविजन है। सरकार इसे हटाने को राजी हुई। दूसरा बिजली अधिनियम में बदलाव नहीं होगा, किसानों को आशंका है कि इस कानून से बिजली सब्सिडी बंद होगी। अब यह कानून नहीं बनेगा।