मध्‍य प्रदेश में ग्वालियर में होता "एनिमल ओलंपिक"

ग्वालियर जिले में जगन्नाथ की नगरी के नाम से मशहूर कुलैथ गांव में हर साल होता"एनिमल ओलंपिक"

मध्‍य प्रदेश में ग्वालियर में होता "एनिमल ओलंपिक"

ग्वालियर। ग्वालियर में पशुओं का ओलंपिक होता है। इसमें आसपास के तमाम पशु पालक अपने पशु लेकर पहुंचते हैं। ये ट्रेंड पशु होते हैं जो दौड़ सहित अन्य खेलों में शामिल होते हैं। इस आयोजन का मकसद पशुओं की रक्षा और उनके प्रति प्रेम बढ़ाना है। इस ओलंपिक को लेकर लोगों में इतना क्रेज है कि करीब 20 हजार लोग इसे देखने पहुंचे।

  • आपने ओलंपिक, पैरा-ओलंपिक, वर्ल्ड कप जैसी प्रतियोगिताओं को देखा होगा। लेकिन आपने "एनिमल ओलंपिक" का शायद नाम भी नहीं सुना होगा। ग्वालियर जिले में जगन्नाथ की नगरी के नाम से मशहूर कुलैथ गांव में हर साल "एनिमल ओलंपिक" होता है। इसमें बैल, घोड़े, भैंस जैसे पशुओं के बीच खेल स्पर्धाएं आयोजित होती हैं। इसमे बैलगाड़ी दौड़, घुड़दौड़, भैंसा दौड़ में जीतने वाले पशुओं को हज़ारों रुपए का इनाम भी मिलता है।

  • कुछ साल पहले गांव के युवाओं की टीम ने पशुओं के प्रति प्रेम बढ़ाने और परंपरागत खेलों को जिंदा रखने के लिए "एनिमल ओलंपिक" की शुरुआत की। इस आयोजन में MP के साथ ही पंजाब, गुजरात के बैल, घोड़ी, भैंस दौड़ में शामिल होते हैं। किसान इस प्रतियोगिया में शामिल होने वाले पशुओं को सालभर तैयारी कराते हैं। "एनिमल ओलंपिक" को लेकर लोगों में जुनून भी ऐसा होता है। पशुओं की दौड़ देखने के लिए गांव के मैदान में 25 हज़ार से ज्यादा लोगों की भीड़ जुटती है।
  • ग्वालियर जिले के कुलैथ गांव के लंबे चौड़े मैदान, फर्राटे भरते बैल, पूरी जान लगाकर दौड़ते घोड़े किसी फिल्म या TV सीरियल की शूटिंग का जैसा नज़ारा लगता है। असल मे यहां शूटिंग नहीं बल्कि असली दौड़ होती है। ग्वालियर जिले के कुलैथ गांव में आयोजित "एनिमल ओलिंपिक" में बैल, घोड़ी और भैंसों ने अपना जलवा दिखाया।
  • आज के‌ दौर में जब चारों ओर टैक्नोलॉजी का बोलबाला है, मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेल जाते हैं, उस दौर में पशुओं के प्रति प्रेम बढ़ाने और परंपरागत खेलों को ज़िंदा रखने के लिए कुलैथ गांव के युवाओं ने "एनिमल ओलिंपिक" की शुरूआत की।
  • इस ओलंपिक में बैलगाड़ी दौड़, घुड़दौड़, पड़ा कुश्ती जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। आयोजन करने वाले युवाओं की टीम के अध्यक्ष शिवराज यादव का कहना है इस आयोजन से लोगों में पशुओं और परम्परागत खेलों के प्रति लोगों का प्रेम और रुझान बढ़ेगा।
  • "एनिमल ओलंपिक" को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह रहता है। ग्वालियर चंबल के साथ ही प्रदेश के अन्य इलाकों से भी लोग अपने जानवरों को इस प्रतियोगिता में दौड़ाने के लिए लाते हैं। पशु मालिकों का कहना है जिस तरह से बच्चों को मिलिट्री के लिए तैयारी कराई जाती है वैसे ही पशुओं को भी इस इस प्रतियोगिता के लिए साल भर तैयार किया जाता है। पशुओं की बेहतर खिलाई,पिलाई के साथ ही उनको रोजाना दौड़ाया जाता है ताकि वह इस प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन कर पाए।
  • कुलैथ गांव के खुले मैदान पर हुए "एनिमल ओलंपिक" देखने के लिए लोगों में उत्साह अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं से कम नही होता है। इस साल भी दो दिन तक आयोजित इस प्रतियोगिता को देखने के लिए 20000 से ज्यादा लोग मैदान में जमा हुए। 2 किलोमीटर लंबे मैदान के दोनों तरफ दर्शक खचाखच भरे थे। आसपास के किसानों से लेकर दूर के शहरों से भी लोग इस प्रतियोगिता को देखने के लिए पहुंचे। मैदान भर गया तो लोग ट्रक, ट्रैक्टर और वाहनों की छत पर बैठकर लुत्फ लेते नज़र आए।
  • जलालपुर से आए दीपक के बैलों ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए विजेता का खिताब जीता। दीपक ने बताया कि उनके पूर्वज बैलों को प्रतियोगिता में दौड़ाते आ रहे हैं। पिछले साल से ग्वालियर  प्रतियोगिता में भी अपने बैलों को दौड़ाने के लिए लाए हैं। दीपक ने सवा दो लाख रुपए कीमत की यह बैल जोड़ी पंजाब से खरीदी है।
  • आज के तकनीकी दौर में जब लोग ऑनलाइन गेम खेलते- देखते हैं। उस दौर में इस तरह के परम्परागत ग्रामीण खेल मन को सुकून देते हैं। इस बार प्रतियोगिता में जीतने वाले खुश होकर लौटे तो वहीं पीछे रह गए पशु अब साल भर तैयारी कर अगले साल बेहतर प्रदर्शन के लिए फिर इस मैदान में जुटेंगे। इससे लोगों में पशुओं के प्रति प्रेम बढ़ेगा और ये  परम्परागत खेल हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ज़िंदा रहेंगे।