शराब नीति के खिलाफ बीजेपी का मनीष सिसोदिया के घर के बाहर प्रदर्शन

शराब नीति के खिलाफ बीजेपी का मनीष सिसोदिया के घर के बाहर प्रदर्शन
सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल को ‘शीर्ष राजनीतिक स्तर पर वित्तीय लेन-देन’ के ‘ठोस संकेत’ मिले हैं, जिसमें आबकारी मंत्री ने ‘वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर प्रमुख फैसले लिए, उन्हें लागू किया’ और आबकारी नीति अधिसूचित की, जिसके ‘व्यापक वित्तीय असर’ हैं।

23 जुलाई 22। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ बीजेपी लगातार हमलावर है। दिल्ली की नई आबकारी नीति को लेकर सीबीआई जांच की सिफारिश के बाद दिल्ली बीजेपी की इकाई ने डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के घर के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। 

इस दौरान बीजेपी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने मनीष सिसोदिया की बर्खास्तगी की मांग (Demand for dismissal of Manish Sisodia) करते हुए कहा, ‘हम लोग यहां सड़क पर हैं। केजरीवाल की कौन सी मजबूरी है जो शराब माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए बिना कैबिनेट अप्रूवल के पैसा दे देते हैं। ये लोग शराब माफिया को हज़ारों करोड़ का फायदा पहुंचा रहे हैं। मनीष सिसोदिया को बर्खास्त करना चाहिए।’ 

दरअसल उप राज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति-2021-22 में कथित नियमों और प्रक्रिया का उल्लंघन करने के आरोपों की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश कर आदमी पार्टी (आप) सरकार के सामने नई मुश्किल खड़ी कर दी है। दिल्ली सरकार के आबकारी मंत्री होने के नाते सिसोदिया की भूमिका जांच के दायरे में आ गई है। उन्होंने भी घटनाक्रम पर जवाब देते हुए कहा कि ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केजरीवाल से भयभीत हैं।’ सिसोदिया ने कहा कि आप नेताओं पर और ‘फर्जी मुकदमे’ दर्ज होंगे, क्योंकि पार्टी का प्रभाव पूरे देश में बढ़ रहा है। 

क्या है मामला

वहीं सूत्रों ने बताया कि उपराज्यपाल को ‘शीर्ष राजनीतिक स्तर पर वित्तीय लेन-देन’ के ‘ठोस संकेत’ मिले हैं, जिसमें आबकारी मंत्री ने ‘वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर प्रमुख फैसले लिए, उन्हें लागू किया’ और आबकारी नीति अधिसूचित की, जिसके ‘व्यापक वित्तीय असर’ हैं। 

सूत्रों ने कहा, ‘मंत्री ने निविदाएं दिए जाने के बावजूद शराब ठेकों के लाइसेंसधारियों को अनुचित वित्तीय लाभ दिए, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।’ उन्होंने दावा किया कि आबकारी विभाग ने कोविड-19 महामारी की विशेष स्थिति के तहत 144.36 करोड़ रुपये की छूट दी। उसने एयरपोर्ट जोन के लाइसेंस के सबसे कम बोली लगाने वाले को 30 करोड़ रुपये की बयाना राशि भी वापस कर दी, क्योंकि वह हवाईअड्डा प्राधिकारियों से ‘अनापत्ति प्रमाणपत्र’ हासिल नहीं कर सका। 

उन्होंने बताया कि सिसोदिया द्वारा लिए गए कुछ फैसलों पर तत्कालीन उपराज्यपाल ने रोक लगा दी थी, क्योंकि उन्हें दिल्ली मंत्रिमंडल की मंजूरी के बिना लिया गया था। सूत्रों ने दावा किया, ‘पूर्व में लिए गए अवैध फैसलों को हाल में 14 जुलाई को मंत्रिमंडल की मुहर लगाकर वैध बनाने का प्रयास किया गया, जो अपने आप में नियमों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन है।’ 

बीजेपी हमलावर, केजरीवाल ने किया बचाव

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस इस आबकारी नीति का पुरजोर तरीके से विरोध कर रही थीं। उन्होंने सीबीआई जांच की सिफारिश का स्वागत किया है। केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता मीनाक्षी लेखी ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने नियमों व प्रक्रिया का उल्लंघन कर शराब कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए ‘व्यवसायी समूहन’ को बढ़ावा दिया। 

हालांकि, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने उप मुख्यमंत्री और आबकारी मंत्री मनीष सिसोदिया का बचाव करते हुए उन्हें ‘कट्टर ईमानदार’करार दिया है। उन्होंने साथ ही आशंका जताई है कि कुछ दिनों में भी सिसोदिया को ‘फर्जी’ मामले में गिरफ्तार किया जा सकता है। केजरीवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘ अदालत के समक्ष यह मामला टिक नहीं पाएगा। मनीष कट्टर ईमानदार व्यक्ति हैं और वह पाक साफ साबित होंगे।’ 

पिछले साल लागू की गई थी नई आबकारी नीति

गौरतलब है कि नई आबकारी नीति 2021-22 पिछले साल 17 नवंबर से लागू की गई थी, जिसके तहत 32 जोन में विभाजित शहर में 849 ठेकों के लिए बोली लगाने वाली निजी संस्थाओं को खुदरा लाइसेंस दिए गए। कई शराब की दुकानें खुल नहीं पायीं। ऐसे कई ठेके नगर निगम ने सील कर दिए। यह नीति विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई थी। इसपर सिसोदिया की अध्यक्षता वाली मंत्रियों के समूह ने विचार किया था, जिसका उद्देश्य दिल्ली में शराब के कारोबार में सुधार करना था ताकि कदाचार या कर चोरी पर रोक लग सके।

इसके तहत ड्राइ डे के दिनों की संख्या सालाना 21 से घटाकर तीन कर दी गई थी। सरकार शराब की खुदरा बिक्री से बाहर चली आई और होटल, रेस्तरां को पुलिस की अनुमति के साथ रात तीन बजे तक शराब परोसने की अनुमति दी। 

हालांकि, नयी नीति के तहत कई शराब की दुकानें शहर के अनुपयुक्त स्थानों पर होने की वजह से नहीं खोली जा सकीं। कई दुकानों को नगर निगम ने मास्टर प्लान का कथित उल्लंघन होने की वजह से सील किया। 

बता दें कि जांच के दायरे में आई आबकारी नीति 2021-22 की अवधि 30 अप्रैल को समाप्त हो गई थी, जिसे सरकार ने 31 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया था। आबकारी विभाग, आबकारी नीति 2022-23 पर काम कर रहा है, जिसमें लोगों को घर पर शराब की आपूर्ति करने का प्रावधान हो सकता है।