साइबर क्राइम की उलझी पहेलियों को चुटकी में सुलझा देती है कामाक्षी

साइबर क्राइम की उलझी पहेलियों को चुटकी में सुलझा देती है कामाक्षी
फिलहाल कामाक्षी डार्क नेट पर ड्रग्स तस्करी और दूसरे काले धंधों का खुलासा करने में लगी हैं। उनकी इस कामयाबी पर धाकड़ फिल्म के निर्माता दीपक मुकुट एक (biopic being made)बायोपिक भी बनाने जा रहे हैं।

6 सितंबर 22  साइबर क्राइम (cyber crime)के फैलते शिकंजे हर रोज नए शिकार कर रहे हैं। हमारे पर्सनल डेटा से लेकर हमारे बैंक तक बस हमारी एक चूक की भेंट चढ़ सकते हैं। लेकिन गाजियाबाद की एक बेटी कामाक्षी (Kamakshi, a daughter of Ghaziabad)न केवल देश बल्कि विदेश में भी साइबर क्राइम के खिलाफ चल रही लड़ाई में सुरक्षा एजेंसियों के हाथ मजबूत कर रही है। उनकी इस कामयाबी पर एक बायोपिक भी बनने जा रही है।

50 हजार से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को ट्रेनिंग

कामाक्षी अब तक 50 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों और सेना के जवानों को साइबर सुरक्षा में शिक्षित कर चुकी हैं। आज पुलिस लेकर सेना तक कामाक्षी से साइबर क्राइम की उलझी पहेलियां सुलझाने में मदद ले रहे हैं। भारत पर सीमा पार से होने वाले साइबर हमलों में कामाक्षी ने सुरक्षा एजेंसियों का बहुत सहयोग किया है।

श्रीलंका और दुबई पुलिस को भी सिखाया

गाजियाबाद की पंचवटी कॉलोनी में रहने वाली कामाक्षी ने अभी तक भारत, श्रीलंका और दुबई पुलिस के साथ काम कर पुलिस कर्मियों को साइबर अपराध रोकने की ट्रेनिंग दी है। उन्होंने भारत के लगभग सभी राज्यों पुलिस को इसकी ट्रेनिंग दी है।

कश्मीर में मिली सबसे बड़ी कामयाबी

उनकी मुहिम की सबसे बड़ी कामयाबी थी भारत-पाक सीमा पर बसे कश्मीर के एक गांव में आतंकियों की बातचीत का खुलासा करना। चूंकि आतंकवादी पाकिस्तानी ऐप के माध्यम से ऐसा कर रहे थे इसलिए ट्रेस करने में साइबर विशेषज्ञों को दिक्कत हो रही थी। कामाक्षी ने अपने कौशल से पहले उस ऐप को खोज निकाला बाद में आतंकवादियों की सही लोकेशन सेना को दी।

लाइफ पर बन रही फिल्म

फिलहाल कामाक्षी डार्क नेट पर ड्रग्स तस्करी और दूसरे काले धंधों का खुलासा करने में लगी हैं। उनकी इस कामयाबी पर धाकड़ फिल्म के निर्माता दीपक मुकुट एक (biopic being made)बायोपिक भी बनाने जा रहे हैं। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रिलीज करने की योजना है।