डॉक्टरों की जंग: कार्यकारिणी निलंबन पर स्टेट आईएमए और ग्वालियर आईएमए आमने-सामने

डॉक्टरों की जंग: कार्यकारिणी निलंबन पर स्टेट आईएमए और ग्वालियर आईएमए आमने-सामने

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की ग्वालियर कार्यकारिणी निलंबित होने के साथ ही डॉक्टरों के दो गुटों के बीच जंग शुरू हो गई है। अगस्त माह में स्टेट आईएमए ने ग्वालियर के चुनाव को लेकर हाथ पीछे खींच लिए और खुद ही कार्यकारिणी गठन के लिए इलेक्शन कराने का पत्र जारी कर दिया। चार सितंबर को नई कार्यकारिणी के गठन के ठीक बीस दिन बाद ही इसे निलंबित करने का आदेश दे दिया। अब नई कार्यकारिणी द्वारा दिए गए जवाब में उल्लेख किया गया है कि स्टेट आईएमए और ग्वालियर आईएमए से जुड़े कुछ पदाधिकारियों के कहने पर यह गलत निर्णय लिया गया है। ग्वालियर आईएमए के पदाधिकारी इस मामले में अब कोर्ट जाने का भी मूड बना चुके हैं।
ग्वालियर आईएमए की नवीन कार्यकारिणी गठन के लिए गत जुलाई माह से प्रक्रिया शुरू हुई थी। इस दौरान इलेक्टेड प्रेसीडेंट डॉ. पुरुषोत्तम जाजू को बनाने की बात चली थी, लेकिन असिस्टेंट रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटी में दर्ज संस्था के बायलॉज में ऐसा कोई प्रावधान न होने के कारण सीधे तौर पर चुनाव कराए गए। लगभग एक हजार डॉक्टरों की इस संस्था की कार्यकारिणी का गठन गत चार सितंबर को कर दिया गया। इसके ठीक 20 दिन बाद 24 सितंबर को स्टेट आईएमए ने हस्तक्षेप कर डॉ. जाजू की शिकायत को आधार बताकर ग्वालियर आईएमए को निलंबित कर दिया। अब गत 26 सितंबर को ग्वालियर आईएमए ने स्टेट आईएमए को जवाब भेजा है कि ग्वालियर कार्यकारिणी में दखल देने का स्टेट बॉडी को कोई अधिकार ही नहीं है। अब इस मामले में गुटबाजी की बात सामने आ रही है। दरअसल, शहर में सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों की लॉबी के बीच यह रार चल रही है। इसमें जेएएच से जुड़े एक डॉक्टर और एक प्राइवेट डॉक्टर से जुड़े गुट आमने-सामने हैं।

आईएएस-डॉक्टर कंट्रोवर्सी से शुरू हुई फूट

पिछले वर्ष आईएएस अफसरों को सर न कहने के बाद हरकत में आए प्रशासनिक अमले ने एक प्राइवेट अस्पताल को जमींदोज किया था। इस दौरान ग्वालियर आईएमए बैकफुट पर आ गई थी। कई डॉक्टरों को जब प्रशासन ने नोटिस जारी किए, तो डॉक्टर लॉबी में हड़कंप मच गया था। इसके बाद सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों के बीच भी विवाद की स्थिति पैदा हो गई थी। इसी विवाद से बचने के लिए तत्कालीन ग्वालियर आईएमए के प्रेसीडेंट डॉ. नीरज शर्मा ने पद से इस्तीफा दे दिया था और उनकी जगह पर डॉ. सुनील अग्रवाल ने यह जिम्मेदारी संभाली थी।

ये है नई कार्यकारिणी
डॉ. प्रदीप सिंह राठौर-प्रेसीडेंट
डॉ. राहुल अग्रवाल-सेक्रेटरी
डॉ. राहुल सप्रा-असिस्टेंट डायरेक्टर सीजीपी
डॉ. अक्षय निगम और डॉ. कुसुमलता सिंघल-वाइस प्रेसीडेंट
डॉ. संतोष सिंघल-ज्वॉइंट सेक्रेटरी
डॉ. प्रशांत लहारिया-ट्रेजरार

स्टेट बॉडी को अधिकार ही नहीं है
“मुझे ग्वालियर आईएमए का चुनाव कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। संस्था के बायलॉज में इलेक्टेड प्रेसीडेंट का प्रावधान न होने के कारण प्रेसीडेंट पद के लिए नॉमिनेशन मंगाए गए थे। इस दौरान डॉ. पुरुषोत्तम जाजू का कोई नॉमिनेशन नहीं आया था। अब नई कार्यकारिणी काम कर रही है और स्थानीय बॉडी को कोई शिकवा-शिकायत नहीं है, तो स्टेट बॉडी को इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार ही नहीं है। यह तो ग्वालियर आईएमए के अधिकारों का हनन करना है। यह कार्रवाई ही गलत की गई है।”
डॉ. आरकेएस धाकड़, अधीक्षक जेएएच समूह और इलेक्शन ऑफिसर

सारे आरोप गलत हैं
“इलेक्टेड प्रेसीडेंट डॉ. पुरुषोत्तम जाजू की शिकायत के आधार पर स्टेट हेडक्वार्टर ने यह निर्णय लिया है और स्टेट बॉडी को इसका अधिकार है। अभी हमें ग्वालियर आईएमए की कार्यकारिणी का जवाब नहीं मिला है। जहां तक गुटबाजी की बात है, तो ऐसा कुछ भी नहीं है। आरोप-प्रत्यारोप तो लगते रहते हैं, लेकिन इस तरह के सारे आरोप गलत हैं।”
डॉ. मुकुल तिवारी, स्टेट प्रेसीडेंट आईएमए मध्यप्रदेश

मैंने शिकायत नहीं की, बल्कि रिपोर्ट भेजी थी
“मैंने इस मामले में कोई शिकायत नहीं की, बल्कि रिपोर्ट भेजी थी। इसका कारण यह है कि मैं इलेक्टेड प्रेसीडेंट था, लेकिन मुझे न तो चुनाव की कोई जानकारी दी गई और न ही मुझसे कोई सलाह ली गई। मुझसे नॉमिनेशन के बारे में भी नहीं बताया गया था। इस आधार पर स्टेट आईएमए ने यह कार्रवाई की है।”
डॉ. पुरुषोत्तम जाजू, शिकायतकर्ता

हमने जवाब भेज दिया है
“मुझे जानकारी मिली कि ग्वालियर आईएमए के चुनाव हो रहे हैं। इस आधार पर मैंने अपना नॉमिनेशन प्रेसीडेंट पद के लिए भरा था। मुझे बताया गया कि इस पद के लिए कोई और नॉमिनेशन नहीं आया है। इस आधार पर मुझे प्रेसीडेंट चुना गया है। अब नई कार्यकारिणी काम कर रही है और हमने अपनी पहली एक्टिविटी के तौर पर कोरोना वॉरियर्स का सम्मान भी किया है। इस दौरान मुझे किसी ने भी कोई लिखित या अप्रत्यक्ष रूप से कोई शिकायत व आपत्ति दर्ज नहीं कराई है। ऐसे में मैं बतौर प्रेसीडेंट डॉक्टरों, उनके परिवारों और समाज के हित में काम करता रहूंगा। जहां तक स्टेट बॉडी की कार्रवाई की बात है, तो हमने उन्हें अपना जवाब भेज दिया है।”
डॉ. प्रदीप सिंह राठौर, प्रेसीडेंट ग्वालियर आईएमए