पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने कहा- संतों की समाधि एवं मन्दिर भूमि पर हो रहे भूमिपूजन का संत समाज के साथ करेंगे विरोध

मप्र शासन ने पुनर्गठित की रामजानकी ट्रस्ट, विरोध में खुलकर सामने आए मिश्रा, दबाव में शिलान्यास कार्यक्रम हुआ स्थगित

पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा ने कहा- संतों की समाधि एवं मन्दिर भूमि पर हो रहे भूमिपूजन का संत समाज के साथ करेंगे विरोध

ग्वालियर। धर्म स्थल संरक्षण समिति, कार्यालय गंगादास की बड़ी शाला लक्ष्मीबाई कॉलोनी ग्वालियर ने पत्रकारवार्ता के माध्यम से 14 जनवरी 2021 को रामजानकी ट्रस्ट की भूमि पर प्रस्तावित शिलान्यास कार्यक्रम को निरस्त करने के मांग जिला प्रशासन से की एवं चेतावनी दी कि परम्परागत साधु-संत, श्रद्धालु एवं धर्मप्रेमी संयुक्त रूप से श्री रामजानकी मन्दिर सरयू दासजी की बगीची पर अवैधानिक रूप से संतो के बिना अनुमति के मंदिर भूमि को हड़पने के षड़यंत्रो को संत समाज बर्दाश्त नही करेगा। धर्मस्थल संरक्षण समिति के अध्यक्ष श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर रामदास जी महाराज ( दंदरौआ सरकार) एवं धर्मस्थल संरक्षण समिति सचिव स्वामी रामसेवक दास ( महंत बड़ी शाला), पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा, पूर्व विधायक रमेश अग्रवाल, मां कनकेश्वरी देवी भक्ति वेदांत संघ के सचिव पंडित महेश मुद्गल, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश सनाढ्î सभा के अध्यक्ष किशन मुद्गल, धर्मस्थल संरक्षण समिति ग्वालियर मीडिया प्रभारी अशोक जैन, समाजसेवी पंडित रामबाबू कटारे आदि लोग उपस्थित थे। धर्मस्थल संरक्षण समिति ग्वालियर की ओर से भाजपा सरकार के पूर्व मंत्री अनुप मिश्रा ने बताया कि शहर रमटापुरा मौजे में एक प्राचीन धार्मिक स्थान नूरगंज की शाला के नाम से स्थित है, उसी परिसर में श्री रामजानकी मन्दिर है, जो कालांतर में सरयू दास की शाला के नाम से विख्यात हुआ। गुरु-शिष्य परम्पराओ के तहत सतत स्थान का विस्तार होता गया है, इसी श्रृंखला में ये संत कैलाशवासी रत्नदास, प्रेमदास, लक्ष्मीदास, मोहनदास, रामदास, ततपश्चात सरयू दास, दयालदास, हीरादास तथा हरिदास हैं। सभी स्वर्गवासी हो चुके है। वर्तमान में हरिदास के शिष्य कमलदास हैं, जो अभी सरयू दास की बगीची थाटीपुर में सेवारत हैं। सन् 2011-12 में संत परम्परा के तहत सभी ग्वालियर-चम्बल संभाग के संतों ने मिलकर सर्वसम्मति से इस मठ की महंत के लिए श्री श्री 1008 बाबा रामदास महाराज दंदरौआ महाराज को उक्त मन्दिर सुपुर्द किया और स्थान का महंत घोषित किया। यह उक्त मठ मन्दिर रामजानकी ट्रस्ट की परंपरा है। प्राचीनकाल से ही ग्वालियर रियासत द्वारा रामजानकी मन्दिर से अनेकों जमीन मौजा रमटापुरा मौजा गोसुपुर (गांधी रोड़) महलगांव, ग्राम एराया, कछौआ, अकबाई मौजे इत्यादि में मन्दिर हित में लगाई गई जो माफी औकाफ विभाग में आयुक्त ग्वालियर के अधीन होकर रेकॉर्ड में सम्मिलित है। पूर्व मंत्री श्री अनूप मिश्रा ने चेतावनी देते हुए बताया कि ग्वालियर का प्रबुद्ध नागरिक सभी संत महात्माओं को साथ लेकर ग्वालियर चंबल संभाग में ऐतिहासिक स्थलों एवं धार्मिक स्थलों को अतिक्रमण से मुक्त कराने का शीघ्र ही अभियान चलाया जाएगा एवं हिंदू धर्म के किसी भी मंदिर या मठ पर किसी को कब्जा नहीं करने दिया जाएगा। ऐसे किसी भी प्रयास का ग्वालियर का प्रबुद्ध नागरिक कड़ा विरोध करेंगे।

गांधी रोड की भूमि सरयूदास की बगीची के नाम से जानी जाती है
धर्मस्थल संरक्षण समिति ग्वालियर ने बताया कि महंत सरयुदास के बाद श्री दयाल दास के उपरांत महंत श्री हरिदास एवं अन्य सन्त लोग रहे। सन 1969-70 में श्री हरिदास ने एक लोकन्यास ट्रस्ट का( रामजानकी मन्दिर) का गठन किया। सन 1970 में न्यास के अध्यक्ष वे स्वयं थे व सन्त श्री हरिदास जी उपाध्यक्ष रहे। न्यास के पंजिकृत कार्यालय रमटापूरा में रहा है। गांधी रोड की भूमि सरयूदास की बगीची के नाम से जानी जाती है वहा महंत सरयूदास जी भगवान शनि मन्दिर, साधना गुफा, पक्षी विहार, गौशाला, बगीची एवं सन्तो की समाधि का निर्माण कराया। धर्म स्थल संरक्षण समिति ग्वालियर ने बताया कि उक्त मन्दिर न्यास का गठन मन्दिर की पूजा अर्चना एवं संरक्षण तथा सम्पत्तियो की सुरक्षा तथा धार्मिक कार्य अनवरत गति से चलते रहे इसी उद्देशय से सन्तो ने उक्त ट्रस्ट के गठन किया था। साधु संत ही मन्दिर के मुखिया होते रहे। सन 2011- 12 में सम्पूर्ण सन्त समाज ने एकत्रित होकर श्री दंदरौआ महाराज जी को मन्दिर का महंत घोषित किया एवं मन्दिर की पूजा अर्चना पूर्वत निरन्तर प्रारम्भ रही। वर्तमान में कुछ समय पूर्व श्री रामजानकी मन्दिर न्यास के नियम उद्देश्य एवं परम्पराओ को दरकिनार करते हुए जिला प्रशासन ने नवीन पुनर्गठित ट्रस्ट में जिन लोगो को शामिल किया वह इस योग्य नही है तथा ट्रस्ट के जो बाइलॉज है उसके भी विपरीत  है। ट्रस्ट के गठन केवल सन्तो की सहमति से ही किया जा सकता है। इस भूमि ट्रस्ट बगीची पर नव नियुक्त ट्रस्टियो ने मन्दिर निर्माण की घोषणा 14 जनवरी 2021 को भूमि पूजन के साथ करने की है जो पूर्णतः अवैधानिक है। ऐसे सार्वजनिक स्थल को सील करने का प्रयास एवं ताला बन्दी का बगिया परिसर में करने का प्रयास अवैधानिक है।

समिति का कहना है- नवनिर्मित ट्रस्टीजन में कोई भी व्यक्ति न ही संत परम्परा का है, न ही इस योग्य है
धर्म स्थल संरक्षण समिति ग्वालियर ने बताया कि नवनिर्मित ट्रस्टीजन में कोई भी व्यक्ति न ही सन्त परम्परा का है न ही इस योग्य है। जिला प्रशासन ने ट्रस्ट के पुनर्गठन के विषय मे कोई भी आमजन व परम्परा के के साधु सन्त का निजीतौर पर या समाचार पत्र के माध्यम से किसी भी प्रकार की सूचना नही दी गयी। इस कारण कथित नवीन ट्रस्ट के गठन पूर्णतः अनुचित उद्देश्यों के लिए किया गया है अर्थात इनकी मंशा पर पूरे सन्त समाज को संदेह है जिसे सभी धर्मप्रेमी एवं श्रद्धालु एवं सन्त समाज मे रोष व्याप्त है। धर्म स्थल संरक्षण समिति ग्वालियर ने कहा कि इसमें हस्तक्षेप कर ट्रस्ट के पुनर्गठन के सम्बंध में कई गयी अवैधानिक कार्यवाही को समाप्त करके बगीची की भूमि, समाधिस्थल, शनी मन्दिर, पक्षी विहार, आदि को संरक्षण देकर यथावत सन्तो को सौंपे जाने का आदेश देने का कष्ट करें एवं 14 जनवरी को प्रस्तावित भूमि पूजन कार्यक्रम को तत्काल निरस्त करने का आदेश प्रदान करे अन्यथा महानगर का सन्त समाज , सभी धर्म प्रेमी एवं प्रबुद्ध नागरिक जन होने वाले भूमि पूजन का कड़ा विरोध करेंगे। इस दौरान भूमि संबंधित एवं संत परंपराओं में हुए निर्णय की सत्यापित प्रतिया भी वितरित की गई। वहीं जिला प्रशासन द्वारा पुनर्गठित रामजानकी मंदिर ट्रस्ट के शिलान्यास कार्यक्रम के विरोध की चेतावनी के बीच ट्रस्ट से जुड़े अरविंद दुदावत ने कहा है कि तैयारियां पूरी न होने के कारण 14 जनवरी मकर संक्रांति पर होने वाला प्रस्तावित अयोध्या की तर्ज पर श्रीराम मंदिर शिलान्यास कार्यक्रम स्थगित कर दिया गया है।