गजा, पूजा, मारिशा व कृष्णा पहुंचे एसटीआर, 1600 किमी का सफर तय कर कर्नाटक से आए 4 गजराज मेहमान

मटकुली के अजनाढाना हाथी कैंप में नारियल, गन्ना, चावल व खरबूजा का करेंगे भोजन

गजा, पूजा, मारिशा व कृष्णा पहुंचे एसटीआर, 1600 किमी का सफर तय कर कर्नाटक से आए 4 गजराज मेहमान

नर्मदापुरम। कर्नाटक से आने वाले 4 मेहमान गजराज सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंच आए हैं। आज शुक्रवार सुबह 5 बजे ट्रक से हाथियों को मटकुली के पास परासपानी बेरिया के पास उतारा गया, इसके बाद उन्हें अजनाढाना हाथी कैंप लाया गया। कर्नाटक से आए 4 हाथियों में 2 नर, 2 मादा है, जिनके नाम गजा, पूजा, मारिशा, कृष्णा है। हाथी नागपुर, छिंदवाड़ा होते हुए मटकुली लाए गए थे। चारों हाथियों को एक माह तक यहीं पर रखा जाएगा। इनके साथ कर्नाटक से महावत भी आए हैं, मप्र के महावतों को ट्रेनिंग देंगे। कर्नाटक के बंदीपुर टाइगर रिजर्व रामपुर हाथी कैंप से 4 हाथियों को लेकर एसटीआर की टीम 29 नवंबर को दोपहर 2 बजे रवाना हुई थी। 62 घंटे में टीम ने करीब 1600 किमी का सफर तय किया है। हाथियों को लाने को लेकर एसटीआर की टीम पिछले एक महीने से जुटी थी। 32 सदस्यीय टीम चार हाथियों को चार ट्रक में लेकर आई। ट्रकों के आगे-पीछे एसटीआर, लोकल फॉरेस्ट और पुलिस द्वारा पॉयलेटिंग की गई। रास्ते में जंगल और नेशनल पार्क कोर एरिया पर जगह-जगह हाथियों को रात में ठहरने की व्यवस्था की गई है। टीम नर्मदापुरम आने तक हाथियों की लोकेशन सांझा करेगी। इसे विभाग रिकॉर्ड में भी दर्ज करेगा। मैसूर, बेंगलूरु, नागपुर होते हुए सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंचे। इस दौरान चार गाड़ियों में सुरक्षा व्यवस्था के साथ डॉक्टरों की टीम मौजूद थी, जो लगातार हाथियों की मॉनीटरिंग कर रही थी। इस दौरान हाथियों को भोजन में नारियल, गन्ना चावल, खरबूजा भी दिए जाएंगे।

एसटीआर में अभी 6 हाथी हैं, लक्ष्मी व सिद्धनाथ वन्यप्राणियों की निगरानी में गए कूनो
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में वर्तमान में 6 हाथी हैं। सबसे छोटा हाथी विक्रम है। सबसे बुजुर्ग हथिनी अजुंगम है। एसटीआर में 4 हाथी एक ही परिवार के सदस्य हैं। प्रिया और सिद्धनाथ का बेटा विक्रम और बेटी लक्ष्मी है। लक्ष्मी और सिद्धनाथ कूनो में अफ्रीकन चीतों की निगरानी में गए हैं।