अंधविश्वास: महिलाओं को पैरों से रौंदते हैं बैगा, परिजन लगाते माता के जयकारे
29 अक्टूबर 22। छत्तीसगढ़ में कई जगह अंधविश्वास की पराकाष्ठा देखने को मिलती है। ऐसी ही एक प्रथा धमतरी जिले में भी प्रचलित है। यहां के अंगार माता मंदिर में दीपावली के बाद मेला लगता है, इस मेले में संतान प्राप्ति के लिए मनौती मांगने बड़ी संख्या में महिलाएं आती हैं। यह महिलाएं मंदिर के सामने पेट के बल लेट जाती हैं। मंदिर के बैगा इन महिलाओं के ऊपर चलते हैं, इन्हें रौंदते हैं, इससे कई महिलाएं घायल हो जाती हैं। इनके परिजन यह सब खुशी-खुशी देखते रहते है। माता के जयकारे भी लगाते हैं। यहां यह कुप्रथा लंबे समय से अनवरत जारी है।
अंगारमोती माता को आसपास के 52 गांवों के देवी-देवताओं का प्रमुख माना जाता है। जिस कारण से इस मेले में 52 गांव के देवी-देवता शामिल होते हैं। संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं दूर-दूर से आती हैं।
परंपरा के अनुसार, दिवाली के बाद पड़ने वाले पहले शुक्रवार को मड़ई मेले का आयोजन होता है। इस बार शुक्रवार को करीब 300 महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए इस मेले में शामिल हुईं। बड़ी बात ये थी कि इन महिलाओं में बड़ी लिखी महिलाएं भी शामिल हैं लेकिन इस परंपरा का निर्वाहन करती हैं। कई महिलाओं का कहना है कि ये हमारे लिए आस्था और विश्वास की परंपरा है इसका अधुनिकता से कोई संबंध नहीं है।
छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में आयोजित होने वाले मड़ई मेले में संतान प्राप्ति की इच्छा लेकर आई महिलाएं पीठ के बल लेट जाती हैं और उनके ऊपर से बैगा चलकर जाते हैं। यहां ऐसी मान्यता है कि बैगा के ऊपर देवी का वास होता है और जो महिला बैगा के पैरों से कुचली जाती है उसे देवी का आशीर्वाद मिलता है। उसके संतान प्राप्ति की इच्छा पूरी होती है। महिलाओं को पैरों से रौंदा जाता है और इसके साथ ही उनके पेट पर भगत (स्थानीय लोकगीत) भी गाए जाते हैं।