पटाखों पर दीपावली के दिन प्रतिबंधित करना हास्यपद,कार्यवाही हुई तो सरकार को भुगतना होंगे परिणाम.

उच्चतम न्यालय का आदेश का पालन करना हम सभी का दायत्व है,लेकिन एक वर्ष पूर्व उच्चतम न्यालय का आदेश के पालन मे दीपवाली वाले दिन पटाखों की बिक्री पर रोक लगा देना यह हास्यपद और तुगलकी फरमान है, क्योंकि इस व्यापार मे करोड़ो रूपये का निवेश होता है और यह व्यापार लाइसेंस प्रक्रिया के अंतर्गत होता है जिसके आदेश जिला दण्डधिकारी द्वारा दिए जाते है और यह लाइसेंस लेने के बाद व्यापारी इसमें करोड़ो रूपये का निवेश करते है और लाखो रुपया सरकार को GST और अन्य करो के रूप मे चुकाते है.

TLS ग्वालियर:-धनतेरस  के दिन अचानक से फटाको पर प्रतिबंध का एक तुगलकी आदेश जारी किया गया है, जिसमे माननीय उच्चतम न्यालय के 29 अक्टूबर 2021 के आदेश के संदर्भ मे मप्र शासन के गृह विभाग द्वारा 20 अक्टूबर 2022 को एक ज्ञापन के माध्यम से जिला प्रशासन द्वारा 22 अक्टूबर 2022 धनतेरस दीपवाली के दिन शाम को 6.30 बजे एक तुगलकी आदेश जारी कर ग्वालियर जिले मे पटाखों पर प्रतिबंध लगाया गया है, जो न तो व्यवहारिक है न इसका पालन करवाया जा सकता है, जिसकी MPCCI ने पुनः विचार की मांग की है.
MPCCI अध्यक्ष विजय गोयल मानसेवी सचिव डॉ प्रवीण अग्रवाल सहित सयुंक्त अध्यक्ष प्रशांत गंगवाल उपाध्यक्ष पारस जैन सयुंक्त मानसेवी सचिव ब्रजेश गोयल कोषाध्यक्ष वसंत अग्रवाल ने कहा है की उच्चतम न्यालय का आदेश का पालन करना हम सभी का दायत्व है, लेकिन एक वर्ष पूर्व उच्चतम न्यालय का आदेश के पालन मे दीपवाली वाले दिन पटाखों की बिक्री पर रोक लगा देना यह हास्यपद और तुगलकी फरमान है, क्योंकि इस व्यापार मे करोड़ो रूपये का निवेश होता है और यह व्यापार लाइसेंस प्रक्रिया के अंतर्गत होता है जिसके आदेश जिला दण्डधिकारी द्वारा दिए जाते है और यह लाइसेंस लेने के बाद व्यापारी इसमें करोड़ो रूपये का निवेश करते है और लाखो रुपया सरकार को GST और अन्य करो के रूप मे चुकाते है
पदाधिकारियों ने इस पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा की पूरे एक वर्ष पहले सुप्रीम कोर्ट कोई आदेश पालन करती है और मप्र सरकार के गृह विभाग द्वारा लाइसेंसी प्रक्रिया पूर्ण होने और व्यापारियों द्वारा करोडो रूपये का इन्वेस्टमेंट करने के बाद एक SOP जारी की जाती है जिसपर त्यौहार वाले दिन जिला प्रशासन प्रतिबंध के आदेश लगा देता है जिससे ऐसा प्रतीत होता है की मप्र सरकार और उनके नुमाइंदो ने आँखे बंद करके निर्णय लिए जा रहे है, यदि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सरकार गंभीर होती तो वह इस पर समय रहते उचित कदम उठाती जिससे इसका पालन करने मे आमजन के साथ व्यापारी भी सहयोग प्रदान करते
MPCCI के पदाधिकारियों ने कहा इस व्यापार मे वह गरीब लोग भी जुड़े हुए है जो वर्ष भर इस त्यौहार का इंतजार करते है और छोटी छोटी पूंजी लगाकर अपने परिवार का भरण पोषण करते है, और अपने बच्चों की दीपावली मनाते है यदि समय रहते सरकार यह कदम उठा लिया जाता तो यह छोटे छोटे व्यापारी इस व्यापार को नहीं अपनाते वहीं लाखो लोग अपने घरो पर त्यौहार के दिन आतिशबाजी चलाने के लिए ले गए है जिसको वह गंगा जी मे विसर्जित नहीं करेंगे, तब इसका पालन अब कैसे सम्भव है यह विचारणीय बिंदु है,
चेमबर ऑफ़ कॉमर्स ने कहा है की एक और पूरा शहर खुदा पड़ा है जिससे आमजन सारे दिन धूल उड़ने के कारण गंभीर बीमारियों का सामना कर रहा है और यह धूल गंभीर रूप से पर्यावरण को दूषित कर रही है और दूसरी और मात्र औपचारिकता पूर्ण करने के लिए ऐसे आदेश गलत समय पर जारी किये जा रहे है जो सरकार की नाकामी को उजागर करते है
MPCCI ने इस आदेश पर मप्र सरकार और जिला प्रशासन से गंभीरता से विचार करने व सुप्रीम कोर्ट को जिस समस्या के लिए यह आदेश जारी करना पड़ा उस समस्या के निदान के लिए गंभीर चिंतन के साथ आमजन के सहयोग से इस पर उचित समय पर निर्णय लेना चाहिए यदि ऐसा नहीं किया गया तो MPCCI एक आपात काल बैठक कर दीपावली को काले होने से रोकने के लिए ठोस रणनीति तय कर उस हिसाब से आगे बढ़ेगा .