मालदीव के पास न के बराबर जमीन, फिर भी यहां हर साल आते हैं लाखों लोग

मालदीव का नाम मन में आते ही पहली तस्वीर जो दिमाग में आती है, वह खूबसूरत ओवरवाटर लक्जरी विला, सफेद रेत से घिरे भव्य समुद्र तट और हैरतंगेज वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी है। मालदीव छुट्टियों के लिए दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में शुमार है। लोग बड़ी संख्या में स्कूबा डाइविंग करने के लिए भी मालदीव पहुंचते हैं।

मालदीव के पास न के बराबर जमीन, फिर भी यहां हर साल आते हैं लाखों लोग
लोग बड़ी संख्या में स्कूबा डाइविंग करने के लिए भी मालदीव पहुंचते हैं। इतनी बड़ी तादाद में अंडर वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी होने के बावजूद वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक इसके पानी के नीचे के पारिस्थितिक तंत्र के बारे में बहुत कुछ सीखना बाकी है।

1 सितंबर 22। दुनिया मे एक से बढ़कर एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन हैं। कुछ तो इतने खूबसूरत हैं कि हर किसी की इच्छा इन जगहों की घूमने की होती है। लेकिन, क्या आपको पता है कि भारत का एक पड़ोसी देश ऐसा भी है, जिसके 99 फीसदी हिस्से में समुद्र है। इस देश के कुल क्षेत्रफल का 1 फीसदी पर ही जमीन है, जहां आबादी निवास करती है। इसके बावजूद इस देश को देखने के लिए देश-दुनिया से हर साल लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते हैं। जी हां! इस देश का नाम है मालदीव(Maldives)।

मालदीव के समुद्रों के बारे में बहुत कम जानकारी

मालदीव का नाम मन में आते ही पहली तस्वीर जो दिमाग में आती है, वह खूबसूरत ओवरवाटर लक्जरी विला, सफेद रेत से घिरे भव्य समुद्र तट और हैरतंगेज वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी है। मालदीव छुट्टियों के लिए दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित स्थानों में शुमार है। लोग बड़ी संख्या में स्कूबा डाइविंग करने के लिए भी मालदीव पहुंचते हैं। इतनी बड़ी तादाद में अंडर वॉटर स्पोर्ट्स एक्टिविटी होने के बावजूद वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी तक इसके पानी के नीचे के पारिस्थितिक तंत्र के बारे में बहुत कुछ सीखना बाकी है।

हाई-टेक सबमर्सिबल से समुद्र छानेंगे वैज्ञानिक

अब मालदीव सरकार और ब्रिटेन के समुद्री अनुसंधान संस्थान नेकटन ने अभी तक न खोजे गए इलाकों में समुद्री अनुसंधान का काम शुरू किया है। इसे नेकटन मालदीव मिशन नाम दिया गया है जो 4 सितंबर को लॉन्च होगा। इसमें मालदीव और विदेशों के वैज्ञानिकों की टीम शामिल है, जो दो हाई-टेक सबमर्सिबल का उपयोग करके 30 मीटर से नीचे व्यापक शोध करने की योजना बना रही है। इनमें से एक सबमर्सिबल तो समुद्र की नीचे 1000 मीटर की गहराई तक जा सकता है। इसका उद्देश्य मालदीव को वैश्विक जलवायु संकट के प्रभाव को कम करने में मदद करना है।

समुद्र का स्तर बढ़ा तो तबाह हो जाएगा मालदीव

नेकटन के एक बयान में कहा गया है कि मालदीव 99 फीसदी हिस्सा महासागर है। इसके पास अपने कुल क्षेत्रफल का मात्र एक फीसदी ही जमीन है, जो समुद्र के सतह से औसतन 1.5 मीटर ऊपर उठा है। ऐसे में ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण अगर समुद्र का स्तर बढ़ता है तो मालदीव (Maldives will be destroyed if sea level rises)का बचा खुचा इलाका भी समुद्र में डूब जाएगा। ऐसे में पानी के नीचे की जानकारियों को जुटाकर समय रहते ही व्यापक बचाव योजना के लिए मालदीव की सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। शोध में मिले डेटा का विश्लेषण कर वैज्ञानिक महत्वपूर्ण जानकारियां जुटा सकते हैं।

भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम है मालदीव

90 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला मालदीव हिंद महासागर के क्षेत्र में भारत के लिए रणनीतिक रूप से अहम देश है। यही कारण है कि भारत की पहली कोशिश मालदीव को अपने पाले में करने की होती है। मालदीव की जलसीमा से सबसे नजदीक स्थित भारतीय द्वीप मिनीकॉय की दूरी मात्र 100 किलोमीटर है। जो कि लक्षद्वीप की राजधानी कावरत्ती से लगभग 400 किलोमीटर दूर है। केरल के दक्षिणी बिंदू से मालदीव के इस द्वीप की दूरी मात्र 600 किलोमीटर ही है। ऐसे में अगर मालदीव में चीन की मौजूदगी बढ़ती है तो यह भारत के लिए बड़ा खतरा बन सकता है।

चीन ने मालदीव को कर्ज के जाल में फंसाया

भारत के वैश्विक स्तर पर बढ़ते साख से घबराए चीन ने हिंद महासागर में स्थित कई देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा रखा है। इसमें मालदीव भी शामिल है। चीन ने मालदीव (China trapped in debt trap)को बड़े पैमाने पर कर्ज दिया है। मालदीव में सत्ता परिवर्तन से पहले 2016 में चीन समर्थित सरकार ने बीजिंग को 4 मिलियन डॉलर में Feydhoo finolhu द्वीप को लीज पर सौंप दिया था। यह द्वीप मालदीव की मुख्य भूमि से कुछ दूर स्थित है। इसकी गोपनीयता को बनाए रखने के लिए चीन ने बाहरी लोगों के आने पर प्रतिबंध भी लगा रखा है।