क़तर में भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों की ‘रहस्यमय’ गिरफ़्तारी
क़तर में भारतीय नौसेना के इन पूर्व अधिकारियों की गिरफ़्तारी एक रहस्य बनी हुई है। उनके बारे में क़तर या संयुक्त अरब अमीरात के अख़बारों या दूसरी मीडिया में कहीं कोई ख़बर नहीं है। गिरफ़्तार लोगों में भी सिर्फ़ एक का ही नाम सामने आया है। गिरफ़्तार किए गए लोगों के रिश्तेदार भी ख़ामोश हैं।लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय जिस तरह से उनकी रिहाई और उन्हें भारत वापस लाने की कोशिश कर रही है उससे लगता है कि या मामला ज़रूर कुछ ख़ास है।
8 नवंबर 22। क़तर ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को गिरफ़्तार कर लिया है।
हालांकि अभी तक इस बारे में क़तर की तरफ़ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है कि उन्हें कब और क्यों गिरफ़्तार किया गया है।
भारतीय नौसेना के ये पूर्व अधिकारी क़तर की एक कंपनी 'अल-ज़ाहिरा अल-आलमी कन्सलटेन्सी एंड सर्विसेज़' के लिए काम करते हैं।
यह कंपनी क़तर की नौसेना को प्रशिक्षण और सामान मुहैया कराती है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुरू में तो इस पर कुछ नहीं बोला, लेकिन अब उनका बयान आया है कि क़तर स्थित भारतीय दूतावास गिरफ़्तार भारतीयों को कॉन्सुल सेवा देने की कोशिश कर रहा है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि उन्हें क्यों गिरफ़्तार किया गया है।
इन भारतीयों की गिरफ़्तारी की ख़बर भी बहुत ही रहस्यमय तरीक़े से बाहर आई थी।
25 अक्टूबर को डॉक्टर मैथ्यू भार्गव नाम की एक महिला ने एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने दावा किया था कि भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारी जिन्होंने देश की सेवा की है, वो पिछले 57 दिनों से क़तर की राजधानी दोहा में ग़ैर-क़ानूनी तरीक़े से हिरासत में हैं।
उन्होंने आगे लिखा, "मैं भारत सरकार और उससे संबंधित अधिकारियों से अपील करती हूं कि वो जल्द आवश्यक क़दम उठाएं और इन अधिकारियों को रिहा करवाकर उन्हें क़तर से भारत लाएं।"
उन्होंने अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टैग किया था।
दिलचस्प बात यह है कि अपने ट्विटर अकाउंट में उन्होंने ख़ुद को एक शिक्षाविद और सूफ़ी क़रार दिया है।
उन्होंने कहीं भी यह नहीं बताया कि क़तर में गिरफ़्तार इन भारतीयों से उनका क्या संबंध है।
उन्होंने बाद में भी इस मामले में कई ट्वीट किए।