इशरत जहां मामले की जांच करने वाले अधिकारी को SC से भी राहत नहीं

गुजरात में इशरत जहां की कथित फ़र्ज़ी मुठभेड़ मामले की जांच करने वाले आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को गृह मंत्रालय ने उनकी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बखऱ्ास्त कर दिया था। इस मामले में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा इस फ़ैसले पर रोक से इनकार के आदेश में हस्तक्षेप करने का इच्छुक नहीं है।

इशरत जहां मामले की जांच करने वाले अधिकारी को SC से भी राहत नहीं
मालूम हो कि अहमदाबाद के बाहरी इलाके में 15 जून, 2004 को गुजरात पुलिस के साथ कथित फर्जी मुठभेड़ में इशरत जहां, जावेद शेख उर्फ प्रणेश पिल्लई, अमजद अली अकबर अली राणा और जीशान जौहर मारे गए थे। इशरत जहां मुंबई के समीप मुंब्रा की 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा थीं। पुलिस ने दावा किया था कि ये चारों लोग गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या करने की आतंकी साजिश रच रहे थे। हालांकि, उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेष जांच टीम ने मुठभेड़ को फर्जी करार दिया था। इसके बाद सीबीआई ने कई पुलिस अधिकारियों के

29 सितंबर 22। उच्चतम न्यायालय ने इशरत जहां मुठभेड़ मामले (ishrat jahan encounter case)में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच में मदद करने वाले वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा को उनकी निर्धारित सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले बर्खास्त करने संबंधी केंद्र के आदेश पर रोक लगाने से इनकार (Refusal to stay the order of the Center)कर दिया।

वर्मा को 30 सितंबर को उनकी निर्धारित सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले 30 अगस्त को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस हृषिकेश रॉय की पीठ ने कहा कि वह दिल्ली उच्च न्यायालय के उस आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है जिसने इस मुद्दे पर केंद्र के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

पीठ ने कहा, ‘पक्षकारों के अधिवक्ताओं को सुना। हम याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर रोक की अवधि बढ़ाने से इनकार करने वाले उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं। यह एक अंतरिम आदेश है।’

पीठ ने कहा, ‘हम निर्देश देते हैं कि याचिका 22 नवंबर को उच्च न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध की जाए। तब तक दलीलें पूरी हो जाएंगी। हम उच्च न्यायालय से अनुरोध करते हैं कि इस मामले का शीघ्र निपटारा करे।’

अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है।

शुरुआत में, वर्मा के वकील ने कहा कि अधिकारी ने 36 साल की सेवा पूरी कर ली है और 30 सितंबर को सेवानिवृत्त होने जा रहे हैं। उन्होंने (वर्मा) आग्रह किया, ‘कम से कम, मुझे सम्मानपूर्वक सेवानिवृत्त होने दो।’

तब पीठ ने कहा, ‘यदि आप न्याय के हकदार हैं, तो आपको यह जरूर मिलेगा(If you deserve justice, you will definitely get it)। आपको कई कष्टों, समस्याओं से गुजरना पड़ा है लेकिन अगर सच्चाई आपके साथ है तो आपको न्याय मिलेगा। चिंता न करें। लेकिन हम इसे अभी नहीं कर सकते।’

वर्मा ने अप्रैल 2010 से अक्टूबर 2011 के बीच इशरत जहां मामले की जांच की थी। गुजरात उच्च न्यायालय ने बाद में जांच सीबीआई को सौंप दी, लेकिन वर्मा अदालत के आदेश पर जांच दल का हिस्सा बने रहे।

जांच में गुजरात के छह पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें आईपीएस अधिकारी पीपी पांडे, डीजी वंजारा, जीएल सिंघल और एनके अमीन शामिल हैं।