बिलकिस बानो केस में SC का सवाल, क्यों दिया गया इतने फैसलों का हवाला

बिलकिस बानो केस में SC का सवाल, क्यों दिया गया इतने फैसलों का हवाला
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अजनबी और तीसरे पक्ष दोषियों की सजा और रिहाई को चुनौती नहीं दे सकते। शीर्ष अदालत ने तब याचिकाकर्ताओं को समय दिया और मामले की सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की।

19 अक्टूबर 22। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में 11 दोषियों को दी गई छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुजरात सरकार का जवाब बहुत बोझिल है जिसमें कई फैसलों का हवाला दिया गया है लेकिन तथ्यात्मक बयान गायब हैं।

शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं को गुजरात सरकार के हलफनामे पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया। कोर्ट ने कहा कि वह याचिकाओं पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगी जिनमें 2002 के मामले में दोषियों को सजा में छूट और उनकी रिहाई को चुनौती दी गई है। मामला गुजरात में हुए दंगों से जुड़ा है जिनमें बिलकिस के परिवार के सात लोग मारे गए थे।

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "मैंने ऐसा कोई जवाबी हलफनामा नहीं देखा है जहां निर्णयों की एक श्रृंखला उद्धृत की गई है। तथ्यात्मक बयान दिया जाना चाहिए था। यह बहुत बोझिल जवाब है। उन्होंने पूछा, 'तथ्यात्मक बयान कहां है, दिमाग का उपयोग कहां है?’ पीठ ने निर्देश दिया कि गुजरात सरकार का जवाब सभी पक्षों को उपलब्ध कराया जाए।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अजनबी और तीसरे पक्ष दोषियों की सजा और रिहाई को चुनौती नहीं दे सकते। शीर्ष अदालत ने तब याचिकाकर्ताओं को समय दिया और मामले की सुनवाई के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की।

माकपा की वरिष्ठ नेता सुभाषिनी अली और दो अन्य महिलाओं ने दोषियों को सजा में छूट दिए जाने और उनकी रिहाई के खिलाफ जनहित याचिका दायर की है।

ज्ञातव्य है कि गुजरात सरकार के हलफनामे में कहा गया कि चूंकि याचिकाकर्ता मामले में अजनबी और तीसरा पक्ष हैं, इसलिए उन्हें सक्षम प्राधिकार की ओर से जारी सजा में छूट के आदेश को चुनौती देने का कोई अधिकार नहीं है। राज्य सरकार ने कहा था कि उसका मानना है कि वर्तमान याचिका इस अदालत के जनहित याचिका के अधिकार क्षेत्र के दुरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं है और यह 'राजनीतिक साजिश' से प्रेरित है।

दोषी राधेश्याम ने भी उसे और 10 अन्य दोषियों को सजा में दी गई छूट को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के अधिकारक्षेत्र पर सवाल उठाते हुए 25 सितंबर को कहा था कि इस मामले में याचिकाकर्ता 'पूरी तरह अजनबी' हैं। शीर्ष अदालत ने 25 अगस्त को मामले में 11 दोषियों को मिली छूट को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और गुजरात सरकार से जवाब मांगा था।