जुबैर पर गंभीर आरोप, SC ने सिर्फ यूपी मामले में ही दी है आंशिक राहत

ऑल्ट न्यूज़ के पत्रकार और फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को हेट स्पीच के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट से पांच दिनों की सशर्त अंतरिम जमानत मिल गई है, लेकिन उन्हें फिलहाल दिल्ली पुलिस की हिरासत में रहना होगा। इस दौरान मोहम्मद ज़ुबैर न तो कोई ट्वीट करेंगे और न ही दिल्ली को छोड़ कर कहीं जा सकेंगे।

जुबैर पर गंभीर आरोप, SC ने सिर्फ यूपी मामले में ही दी है आंशिक राहत
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि जुबेर को सीतापुर में दर्ज केस में अंतरिम राहत दी गई है और इस आदेश का दिल्ली में दर्ज केस से मतलब नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि छानबीन पर कोई रोक नहीं है। साथ ही अंतरिम रिलीफ सिर्फ यूपी केस में ही दी गई है।

9 जुलाई 22। सुप्रीम कोर्ट ने ऑल्ट न्यूज के को फाउंडर मोहम्मद जुबैर को यूपी में दर्ज धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में अंतरिम राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के सीतापुर में दर्ज धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मामले में पांच दिन के लिए अंतरिम जमानत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने जुबेर को इस मामले से जुड़े कोई टि्वट करने पर रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके महेश्वरी की बेंच ने जूबेर की याचिका पर नोटिस जारी कर मामले को रेग्युलर बेंच के सामने लिस्ट करने को कहा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जुबेर की उस याचिका को खरिज कर दी थी जिसमें उन्होंने एफआईआर रद्द करने की गुहार लगाई थी साथ ही जमानत अर्जी खारिज करने के खिलाफ गुहार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया है कि जुबेर को सीतापुर में दर्ज केस में अंतरिम राहत दी गई है और इस आदेश का दिल्ली में दर्ज केस से मतलब नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि छानबीन पर कोई रोक नहीं है। साथ ही अंतरिम रिलीफ सिर्फ यूपी केस में ही दी गई है।

जुबेर के खिलाफ सीतापुर इकाई के हिंदू शेर सेना प्रेसिडेंट भगवान शरण ने शिकायत की थी और उस आधार पर जुबेर के खिलाफ आईपीसी की धारा-295 ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के मकसद से जानबूझकर दुर्भावना से काम करना) और आईटी एक्ट की धारा-67 के तहत केस दर्ज किया गया था। बाद में आईटी एक्ट का केस ड्राप कर दिया गया और आईपीसी की धारा-153 ए लगाया गया है। जुबेर को एक अन्य ट्विट के जरिये धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में 27 जून को दिल्ली पुलिस केस दर्ज कर जुबेर को गिरफ्तार किया था।

जुबेर के वकील ने कहा: आरोप स्वीकार भी कर लिया जाए तो भी यह केस नहीं बनता 
जुबेर के वकील ने कहा कि यह सही कैसे हो सकता है। टि्वट में धार्मक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का केस नहीं बनता है। अगर आरोप स्वीकार भी कर लिया जाए तो भी यह केस नहीं बनता है। धर्म के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला गया तो फिर केस कैसे बनेगा। जिन लोगों ने नफरत वाले भाषण दिए उन्हें जमानत मिल चुकी है। जिन्होंने उनको उजागर किया उन्हें जेल भेजा गया यह सब देश में क्या हो रहा है। जुबेर ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का कोई काम नहीं किया और न ही वैमनस्यता को बढ़ावा दिया। मामले में आईपीसी की धारा-153 और नफरत वाले भाषण का केस नहीं बनता है। उसने धर्म के खिलाफ कुछ नहीं बोला है।

स़ॉलिसिटर जनरल ने कहा...देश को अस्थिर करने वाला एक्ट किया
इस दौरान सॉलिसिटर जनरल ने यूपी सरकार की ओर से कहा कि यह मामला सिर्फ एक टि्वट का नहीं है बल्कि वह सिंडिकेट में शामिल है और कई ट्विट किए हैं और वह देश को अस्थिर करने वाले काम किए हैं। जुबेर इस मामले में सिंडिकेट में शामिल है। लगातार वह ट्विट करता रहा है। वह देश को अस्थिर करने के काम मेंलगा हुआ है और इस एंगल की जांच की जा रही है। यह मामला सिर्फ एक केस में टि्वट का नहीं है। क्रिमिनल कंडक्ट की जांच हो रही है। वह आदतन अपराधी है। भारत विरोधी देशों से डोनेशन लेने के एंगल की जांच हो रही है।

जांच अधिकारी के वकील ने कहा कि जुबेर पर आईपीसी की धारा-295 ए और आईपीसी की धारा-153 ए का केस बनता है उसने धार्मिक नेता को नफरत का सौदागर कहा है। अगर सच्चे इंसान होते तो वह पुलिस को शिकायत करते न कि ट्विट करते। इससे पहले कॉलिन ने यह भी कहा कि जुबेर को जान का खतरा है। इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वह पुलिस प्रोटेक्शन में है तो खतरा कैसे हो सकता है।