जो मुसलमान दारुल इस्लाम चाहते हैं वो हिंदुस्तान में नहीं रह सकते : डॉ. स्वामी
डॉ. स्वामी ने कहा,”चालीस हजार से ज्यादा मंदिरों को तोड़ा गया था। जिन मंदिरों का कोई विकल्प नहीं है, उसे फिर से वहीं पर बनाया जाना चाहिए। अयोध्या, मथुरा और काशी का कोई विकल्प नहीं है।”
29 जुलाई 22। देश में बढ़ती कट्टरता और धार्मिक असहिष्णुता को लेकर कई तरह के बयानबाजी जारी है। नफरत की राजनीति करने वालों के खिलाफ जनता में भी गुस्सा है। सोशल मीडिया पर भी इसके खिलाफ आवाजें उठ रही हैं। इस मुद्दे पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी (Dr. Subramanian Swamy)का कहना है कि देश में कट्टरता और हिंसा फैलाना गलत है, लेकिन कुछ गलतियां देश के बंटवारे के समय ही हुई थीं।
उन्होंने कहा, “हिंदुओं की भी गलती है। 1947 में यह साफ कर देनी चाहिए थी कि जो मुसलमान दारुल इस्लाम(Darul Islam) चाहते हैं, वो हिंदुस्तान में नहीं रह सकते हैं। ऐसा नहीं हो सकता है कि दारुल इस्लाम भी हो, हिंदुत्व भी होगा और इसमें क्रिश्चियन के जो रास्ते हैं, वह भी हो। किसी को रोकेंगे नहीं, लेकिन आप इसमें हमसे टक्कर मत लीजिए। हमारे भगवान की बुराई मत करिए। हम भी आपके पैगंबर की बुराई नहीं करेंगे।”
आलोचना करना लोकतंत्र का हिस्सा है, भाषा सभ्य होनी चाहिए
उन्होंने कहा, “किसी के ऊपर आक्रमण करें, हिंसा करें यह तो गैरकानूनी है। नुपूर शर्मा को कोई पसंद करे या न करे, यह लोकतंत्र में कोई बड़ी बात नहीं है। यह तो सबका अधिकार हैं, लेकिन भाषा सभ्य होनी चाहिए। आलोचना करना लोकतंत्र का एक हिस्सा है। धमकी देना कि हम तुम्हारा गला काट देंगे, यह हम नहीं मान सकते हैं। और हम इस देश में इसको सहन भी नहीं कर सकते हैं।”
डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि चालीस हजार से ज्यादा मंदिरों को तोड़ा गया था। हम चाहते हैं कि जिन मंदिरों का कोई विकल्प नहीं है, उसे फिर से वहीं पर बनाया जाना चाहिए। अयोध्या में राम पैदा हुए थे, वे कहीं और नहीं पैदा हुए थे, इसलिए उनका मंदिर अयोध्या में ही बनेगा। इसी तरह भगवान कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था तो वहां से मस्जिद हटाकर वहां मंदिर बनना ही चाहिए। ऐसे ही काशी विश्वनाथ का मामला है। उन्हें कहीं और नहीं हटाया जा सकता है। वह वहीं पर ही रहेंगे। कहा कि अयोध्या, मथुरा और काशी का कोई विकल्प नहीं है।
वे बोले, “जो भी तलवार उठाएगा, हिंसा करेगा, उसके साथ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। उसका फायदा, उसका साथ किसी भी राजनीतिक दल को नहीं देना चाहिए। बदला लेना सबसे आखिरी काम है। इससे बचना चाहिए।”