हत्या के आरोपी सैनिक की उम्रकैद की सजा 26 जनवरी को होनी थी पूरी, उससे पहले हाईकोर्ट ने कर दिया बरी

कोर्ट ने कहा- आरोपी को तत्काल रिहा किया जाए, यह मामला पूरी तरह से संदिग्ध है, आरोप प्रमाणित नहीं है 

हत्या के आरोपी सैनिक की उम्रकैद की सजा 26 जनवरी को होनी थी पूरी, उससे पहले हाईकोर्ट ने कर दिया बरी

ग्वालियर। हत्या के एक मामले में ग्वालियर जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे एक सैनिक बलबीर सिंह ने जब अपनी सजा पूरी कर ली और 26 जनवरी को उसकी रिहाई होना थी, उसके पहले ही हाईकोर्ट ने उसे दोषमुक्त कर दिया। हाईकोर्ट ने आदेश की कॉपी सेंट्रल जेल के अधीक्षक को भेजने के निर्देश देकर बलबीर सिंह को तत्काल रिहा किए जाने आदेश दिए हैं। न्यायमूर्ति आनंद पाठक एवं न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा ने सैनिक बलवीर सिंह की आपराधिक अपील को स्वीकार करते हुए यह आदेश दिए हैं। इस मामले में अपीलकर्ता बलवीर सिंह की ओर से एडवोकेेट अतुल गुप्ता एवं एआर शिवहरे ने पैरवी की। बलबीर सिंह को 20 मई 2009 को सत्र न्यायालय मुरैना ने हत्या के अपराध में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस आदेश के खिलाफ बलबीर सिंह ने अपील की थी। इस मामले में एक अन्य आरोपी राधेश्याम को न्यायालय ने बरी कर दिया था। इस मामले में राज्य शासन द्वारा एक अन्य अपील राधेश्याम को सत्र न्यायालय द्वारा बरी किए जाने के खिलाफ प्रस्तुत की थी। जिसमें शासन द्वारा उसे भी आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने का निवेदन किया गया था। न्यायालय ने राज्य शासन की इस अपील को भी खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने बलबीर सिंह को दोषमुक्त करते हुए कहा कि यह मामला पूरी तरह से संदिग्ध है। बलवीर सिंह के खिलाफ आरोप प्रमाणित नहीं है इसलिए उसके खिलाफ कोई अपराध नहीं बनता है लिहाजा उसे हत्या के अपराध से दोषमुकत किया जाता है।

घटना 15 साल पुरानी है
घटना 2 जुलाई 2005 की बताई जाती है। बलवीर सिंह व राधेश्याम मृतक सुरेन्द्र के घर गए थे। रिपोर्ट के अनुसार यहां हुए विवाद के बाद चली गोली से सुरेन्द्र की मौत हो गई थी। ग्राम भर्राद जिला मुरैना निवासी बलवीर सिंह यादव व राधेश्याम पर बामौर थाने में हत्या का मामला दर्ज किया गया थाा। बलवीर सिंह को पुलिस ने 29 मई 2006 में गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस ने घटना के ग्यारह माह बाद कट्टा बरामद किया था। इस मामले में हत्या का मकसद ही सामने नहीं आया। अपीलार्थी के अधिवक्ताओं का कहना था कि यह पूरा मामला परिस्थितिजन्य साक्ष्य पर आधारित था। केवल लास्ट सीन थ्योरी के आधार पर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था।