ये हैं दुनिया की सबसे घातक पनडुब्बियां, पलक झपकते ही बरपा देती हैं कहर

पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार है। सबसे पहले प्रथम विश्व युद्ध में इनका जमकर इस्तेमाल हुआ। विश्व की पहली पनडुब्बी एक डच वैज्ञानिक द्वारा सन 1602 में और पहली सैनिक पनडुब्बी टर्टल 1775 में बनाई गई। तब से अब तक पनडुब्बियों की तकनीक और निर्माण में काफी बदलाव आया, तो आइए जानते हैं कि दुनिया की सबसे खतरनाक और घातक पनडुब्बियां कौन सी हैं।

ये हैं दुनिया की सबसे घातक पनडुब्बियां, पलक झपकते ही बरपा देती हैं कहर
यह एक बहुत बड़ा ऑटोमेटिक डिब्बा होता है, जिसमें इंसान रह सकते हैं। पनडुब्बियों ने विश्व का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।

2 जुलाई 22। पनडुब्बी जिसे अंग्रेजी में सबमरीन कहा जाता है, एक प्रकार का जलयान (वॉटरक्राफ्ट) है,  जो पानी के अंदर रहकर काम करता है। यह एक बहुत बड़ा ऑटोमेटिक डिब्बा होता है, जिसमें इंसान रह सकते हैं। पनडुब्बियों ने विश्व का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।

द एस्ट्यूट क्लास ब्रिटेन की रॉयल नेवी की सेवा में परमाणु शक्ति से चलने वाली फ्लीट पनडुब्बियों (SSNs) का नवीनतम वर्ग है। इन पनडुब्बियों का निर्माण बैरो-इन-फर्नेस में बीएई सिस्टम्स सबमरीन द्वारा किया गया है। इसके तहत सात पनडुब्बियां बनाई जानी हैं। इस श्रेणी की पहली पनडुब्बी को 2007 में लॉन्च किया गया था और 2010 में कमीशन किया गया था।

सोरयू क्लास को साल 2009 में जापानी मैरिटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्सेस में शामिल किया गया था। यह एक डीजल इलेक्ट्रिक अटैक सबमरीन है। इसकी लंबाई 275.7 फीट और बीम 29.10 फीट है। सतह पर यह 24 किमी प्रतिघंटा और पानी के अंदर 37 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है। इसकी रेंज 11,297 किलोमीटर है। इसके अंदर 9 ऑफिसर और 56 नौसैनिक रह सकते हैं।

सिएरा वर्ग रूस की काफी महंगी पनडुब्बियों में से एक है। ये रूस की सबसे खतरनाक पनडुब्बियों में से एक है। यह परमाणु-संचालित हमले की पनडुब्बियों की श्रृंखला है। यह वर्ग अपने हल्के और मजबूत टाइटेनियम दबाव पतवार के कारण अद्वितीय है, जो पनडुब्बियों को अधिक गहराई तक गोता लगाने, विकिरणित शोर के स्तर को कम करने और टारपीडो हमलों के प्रतिरोध को बढ़ाने में सक्षम बनाता है। यह सिंगल OK-650 प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर द्वारा संचालित है। सिएरा II वर्ग विशेष रूप से अमेरिकी परमाणु पनडुब्बियों के खिलाफ मिशन को खोजने और नष्ट करने के लिए विकसित किया गया था। इसमें किसी भी अन्य आधुनिक पनडुब्बी की तुलना में एक छोटा टर्निंग सर्कल है।

सीवॉल्फ वर्ग संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना की परमाणु संचालित पनडुब्बी है और तेजी से हमला करने वाली पनडुब्बियों का एक वर्ग है। इसके डिजाइन का काम 1983 में शुरू हुआ। दस साल की अवधि में 29 पनडुब्बियों का एक बेड़ा बनाया जाना था, लेकिन इसे घटाकर 12 पनडुब्बियां कर दी गईं। शीत युद्ध के अंत और बजट की कमी की वजह से आखिरकार सीवॉल्फ वर्ग की केवल तीन पनडुब्बियों को ही बनाया जा सका। सीवॉल्फ-क्लास की हर पनडुब्बी की लागत लगभग 3 बिलियन डॉलर है।

ऑस्कर वर्ग, सोवियत परियोजना 949 ग्रेनाइट और परियोजना 949 ए एंटे के तहत डिज़ाइन किए गए परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल पनडुब्बियों की एक श्रृंखला है। ये वर्तमान में रूसी नौसेना के साथ सेवा में हैं। हालांकि कुछ पनडुब्बियों को परियोजना 949AM के रूप में अत्याधुनिक बनाए जाने की योजना है, ताकि उनकी सेवा जीवन का विस्तार किया जा सके और युद्ध क्षमताओं को बढ़ाया जा सके।

वर्जीनिया वर्ग, जिसे SSN-774 के रूप में भी जाना जाता है, संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना में सेवा में परमाणु-संचालित क्रूज मिसाइल फास्ट-अटैक पनडुब्बियों का एक वर्ग है। इसे जनरल डायनेमिक्स इलेक्ट्रिक बोट (ईबी) और हंटिंगटन इंगल्स इंडस्ट्रीज द्वारा डिज़ाइन किया गया है। वर्जीनिया-क्लास यूनाइटेड स्टेट्स नेवी की नवीनतम पनडुब्बी मॉडल है।

ये रूस की अत्याधुनिक न्यूक्लियर पावर्ड अटैक सबमरीन है। इसे रूस में यासेन के नाम से जाना जाता है। इसे पश्चिमी देश ग्रेनी क्लास बुलाते हैं। इसकी लंबाई 457 फीट और बीम 43 फीट का है। सतह पर यह 37 किलोमीटर प्रतिघंटा और पानी के अंदर 52 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से चलती है।

लॉस एंजिल्स वर्ग की पनडुब्बियां संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना के साथ सेवा में परमाणु-संचालित फास्ट अटैक सबमरीन (SSN) है।  2020 तक, लॉस एंजिल्स वर्ग की 32  पनडुब्बियां कमीशन में हैं। ये  दुनिया के किसी भी अन्य वर्ग से अधिक और अमेरिकी नौसेना की तेज हमले वाली पनडुब्बियों में शुमार हैं। इस वर्ग की पनडुब्बियों के नाम अमेरिकी कस्बों और शहरों के नाम पर रखे गए हैं।

अकुला वर्ग, रूस की परमाणु-संचालित हमला पनडुब्बियों (SSNs) की एक श्रृंखला है, जिसे पहली बार सोवियत नौसेना द्वारा 1986 में तैनात किया गया था।  प्रोजेक्ट 971 को सोवियत संघ द्वारा शुकुका-बी नाम दिया गया था, लेकिन प्रमुख जहाज के-284 के नाम पर पश्चिमी देशों द्वारा इसे अकुला नाम दिया गया था। रक्षा विश्लेषक नॉर्मन पोल्मर के अनुसार, 1985 में पहली पनडुब्बी के प्रक्षेपण ने सभी को पश्चिमी देशों को हिला दिया था, क्योंकि पश्चिमी खुफिया एजेंसियों ने सोवियत संघ से अगले दस वर्षों तक ऐसी पनडुब्बी बनाने की उम्मीद नहीं की थी।

परमाणु संचालित पनडुब्बियों के ओहियो वर्ग में संयुक्त राज्य नौसेना की 14 बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियां (एसएसबीएन) और चार क्रूज मिसाइल पनडुब्बियां (एसएसजीएन) शामिल हैं। ओहियो-श्रेणी की पनडुब्बियां अमेरिकी नौसेना के लिए बनाई गई अब तक की सबसे बड़ी पनडुब्बियां हैं। ये दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी पनडुब्बियां हैं, जो रूसी नौसेना के सोवियत द्वारा डिजाइन किए गए 48,000 टन टाइफून वर्गऔर 24,000 टन बोरी वर्ग के बाद सबसे बड़ी मानी जाती हैं। ओहियो में एक समय में काफी सारी मिसाइलें तैनात की जा सकती हैं।