ट्रांसजेंडर की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला: बच्चा गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण-पत्र जरूरी नहीं

शादी कर कोई एकल माता-पिता भी हिंदू दत्तक व रखरखाव अधिनियम-1960 के तहत ले सकते हैं बच्चा गोद

ट्रांसजेंडर की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला: बच्चा गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण-पत्र जरूरी नहीं

इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार यानी गत दिवस एक ट्रांसजेंडर की अपील पर एक महत्वपूर्ण आदेश दिया। खंडपीठ ने कहा कि बच्चे को गोद लेने के लिए विवाह प्रमाण-पत्र यानी मैरिज सर्टिफिकेट जरूरी नहीं है। हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम-1956 की धारा 7 और 8 के अनुसार दत्तक ग्रहण करने के लिए शादी या शादी के रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता नहीं है। वहीं कोई एकल माता-पिता भी हिंदू दत्तक और रखरखाव अधिनियम-1960 के तहत बच्चा गोद ले सकते हैं। गोद लेने की प्रक्रिया में शादी के लिए रजिस्टर्ड कराने की भी आवश्यकता नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक ट्रांसजेंडर को गोद लेने की प्रक्रिया में उन्हें बताया गया कि उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट की आवश्यकता होगी। इसके लिए उन्हें हिंदू विवाह अधिनियम का हवाला दिया गया। इस पर दंपती ने दिसंबर 2021 में वाराणसी में हिंदू विवाह के उप-रजिस्ट्रार को ऑनलाइन आवेदन किया, लेकिन ट्रांसजेंडर से शादी होने के कारण रजिस्ट्रेशन में परेषानी आई और दोनों ने इस संबंध में हाईकोर्ट से अपील की।