ग्वालियर स्वर्णरेखा बचाओ आंदोलन हुआ प्रारंभ

ग्वालियर स्वर्णरेखा बचाओ आंदोलन हुआ प्रारंभ

ग्वालियर स्वर्णरेखा बचाओ आंदोलन समिति से जुड़े एक्टिविस्ट एडवोकेट विश्वजीत रतौनिया ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद केंद्रीय जल बोर्ड के निरीक्षण में न तो याचिकाकर्ता यानी उन्हें प्रशासन ने कोई सूचना दी न ही शहर के किसी बुद्धिजीवी को जल आयोग और नर्मदा बेसिन के अधिकारियों के साथ निरीक्षण में बुलाया गया। यह प्रशासन का सरासर उपेक्षा पूर्ण व्यवहार है। उन्होंने आरोप लगाया कि हाईकोर्ट के स्पष्ट निर्देश है कि स्वर्णरेखा नदी के जीर्णोद्धार के लिए इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाए और समाज के सभी वर्गों के बुद्धिजीवी और प्रगतिशील लोगों को इसमें शामिल किया जाए।  जिला प्रशासन ने केवल औपचारिकता के लिए लोगों तक सूचना भिजवाई है जब नर्मदा बेसन और केंद्रीय जल आयोग के अधिकारियों का निरीक्षण हुआ तब वहां कोई भी स्थानीय व्यक्ति इस दल के साथ नहीं था। उन्होंने यहां आयोजित पत्रकार वार्ता में आरोप लगाया कि जल संसाधन विभाग और जिला प्रशासन साल 1982 से अब तक स्वर्णरेखा के जीर्णोद्धार के नाम पर हुए भ्रष्टाचार को दबाना चाहते हैं और 4 जुलाई को होने वाली सुनवाई में कोर्ट को गुमराह करना चाहते हैं। शहर के लोगों को पानी का अधिकार दिलाने के लिए स्वर्णरेखा नदी को पुनर्जीवित करने के लिए,  नदी के तल को कच्चा करने के लिए यह लड़ाई न्यायालय के माध्यम से लड़ रहे हैं l स्वर्णरेखा नदी की पिछली सुनवाई में न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर टिप्पणी की थी कि  शहर मे इस नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ग्वालियर शहर के तमाम बुद्धिजीवी लोगों को इसमें भागीदार बनाया जाए एवं इसे जन आंदोलन के रूप में विकसित किया जाए और अपने आदेश में न्यायालय ने 4 जुलाई तक ग्वालियर कलेक्टर ,नगर निगम आयुक्त ,जल संसाधन विभाग के संयुक्त रोड मैप नदी के विकास के लिए तलब किया है l
बाइट-विश्वजीत रतौनिया, याचिकाकर्ता