दर्रा आदमख़ेल : यहां घर घर बनाए जाते हैं एके-47 जैसे खतरनाक हथियार
दर्रा आदमख़ेल में कई तरह के छोटे हथियार बनाये जाते हैं, जिनमें 30 बोर, 32 बोर, आठ एमएम, सात एमएम, कलाश्निकोव और शिकार में इस्तेमाल होने वाले हथियार बनाये जाते हैं। इस आधुनिक युग में भी कारीगर हथियार बनाने का ज़्यादातर काम हाथ से ही करते हैं।ओवैस मीर कलाश्निकोव के कारीगर हैं। उनके मुताबिक़, "कुछ लोगों ने जेनरेटर और सोलर सिस्टम की व्यवस्था की हुई है लेकिन यह सबके लिए मुमकिन नहीं है। यहां के कारीगर वो हथियार बनाते हैं जिनका सरकार क़ानूनी परमिट या लाइसेंस जारी करती है, जिसमें 9 एमएम, 30 बोर पिस्टल, कलाश्निकोव, रिपीटर्स, एम 16 और शिकार में इस्तेमाल होने वाले हथियार शामिल हैं।"
2 जून 22। दर्रा आदमख़ेल में ऐसा कोई घर नहीं मिलेगा, जहां अवैध हथियार न बनाए जाते हों। यह हथियार मामूली कट्टे बंदूक नहीं होते हैं, बल्कि दुनिया की सबसे घातक हथियारों के डुप्लीकेट होते हैं। सस्ते हथियार चाहने वालों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं है।
यहा रहने वाले 40 वर्षीय महमूद अफ़रीदी अपने दो बेटों और भाइयों के साथ अपने ही घर में एक छोटी सी फैक्ट्री में राइफ़ल में इस्तेमाल होने वाली गोलियों की मैगज़ीन बनाने का काम करते हैं।यह महमूद अफ़रीदी की आमदनी का पुश्तैनी ज़रिया है। बचपन में जब वह स्कूल में पढ़ते थे, उस समय भी वह अपना आधा दिन अपने पिता के साथ इसी काम में लगाते थे और इसी वजह से वह दसवीं कक्षा तक भी अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके।
अब उनके बेटे भी इसी पेशे में लगे हुए हैं लेकिन महमूद चाहते हैं कि उनके बेटे उच्च शिक्षा प्राप्त करें और कोई दूसरा काम करें, महमूद के अनुसार यह नामुमकिन नहीं है लेकिन मुश्किल ज़रूर है।
प्रांतीय राजधानी पेशावर से लगभग 30 किलोमीटर उत्तर पश्चिम में स्थित दर्रा आदमख़ेल, एक पूर्व क़बायली क्षेत्र है, यह इलाक़ा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छोटे हथियार बनाने के लिए जाना जाता है।
इस क्षेत्र में घरों और बाज़ारों में हथियार बनाए जाते हैं। हथियारों का यह कारोबार यहां पिछले कई दशकों से चल रहा है लेकिन अब तक इस कारोबार को क़ानूनी दर्जा नहीं दिया गया है।
मई 2018 में, क़बायली क्षेत्रों के एकीकरण से पहले और बाद में, सरकार की तरफ़ से इस उद्योग को क़ानूनी दर्जा देने के लिए कई योजनाओं की घोषणा हुई, लेकिन कोई भी लागू नहीं हो सकी।
पिछली बार ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के मुख्यमंत्री महमूद ख़ान ने 31 सितंबर, 2019 को दर्रा आदमख़ेल का दौरा किया था, तब उन्होंने स्थानीय बुजुर्गों और राजनीतिक नेताओं के अनुरोध पर घोषणा की थी कि सरकार पूरे दर्रा आदमख़ेल क्षेत्र को इकोनॉमिक ज़ोन का दर्जा देगी।
ख़ैबर पख़्तूनख़्वा के मुख्यमंत्री के उद्योग और व्यापार मामलों के विशेष सहायक अब्दुल करीम ख़ान ने बताया कि दर्रा आदमख़ेल इकोनॉमिक ज़ोन के लिए अखवारल क्षेत्र के 'आज़ाद मेला' स्थान पर 400 कनाल (ज़ीमन नापने का एक तरीका) ज़मीन की निशानदेही कराई गई थी।
अब्दुल करीम ख़ान का कहना है कि दर्रा आदमख़ेल को इकोनॉमिक ज़ोन का दर्जा देने के लिए 11 कोर, प्रांतीय गृह मंत्रालय, जिला प्रशासन और स्थानीय ज़िम्मेदारों की एक समिति काम कर रही है, लेकिन हथियार निर्माण के कार्य पर नज़र रखना और अवैध ख़रीद बिक्री को रोकना बेहद मुश्किल काम है।
क़बायली इलाक़ों के ख़ैबर पख़्तूनख़्वा में एकीकरण के बाद, हथियार निर्माण उद्योग और इनकी ख़रीद बिक्री में क़ानूनी अड़चने सामने आना शुरू हो गई हैं।
शाहनवाज़ अफ़रीदी पिछले 30 साल से छोटे हथियारों का कारोबार करते हैं, लेकिन दर्रा आदमख़ेल को इकोनॉमिक ज़ोन बनाने के लिए सरकार की ओर से चल रही प्रक्रिया का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि स्थानीय उद्योगपतियों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया है। उका कहना है कि इसकी वजह से व्यापारी समुदाय बाहर से थोपे गए फ़ैसलों को मानने के लिए तैयार नहीं है।
पदाधिकारी के अनुसार, "इस परियोजना को सरकार ने इस वजह से रद्द कर दिया था क्योंकि दर्रा आदमख़ेल में हथियारों के कारोबार से जुड़े लोगों ने अपने क्षेत्र से बाहर जाने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था, कि वे नई मशीनरी और प्लांट ख़रीदने का ख़र्च उठाने में समर्थ नहीं हैं। बड़ी संख्या में घर की महिलाएं और बच्चे भी इस कारोबार से जुड़े हुए हैं।"
दर्रा आदमख़ेल में कई तरह के छोटे हथियार बनाये जाते हैं, जिनमें 30 बोर, 32 बोर, आठ एमएम, सात एमएम, कलाश्निकोव और शिकार में इस्तेमाल होने वाले हथियार बनाये जाते हैं। इस आधुनिक युग में भी कारीगर हथियार बनाने का ज़्यादातर काम हाथ से ही करते हैं।ओवैस मीर कलाश्निकोव के कारीगर हैं। उनके मुताबिक़, "कुछ लोगों ने जेनरेटर और सोलर सिस्टम की व्यवस्था की हुई है लेकिन यह सबके लिए मुमकिन नहीं है। यहां के कारीगर वो हथियार बनाते हैं जिनका सरकार क़ानूनी परमिट या लाइसेंस जारी करती है, जिसमें 9 एमएम, 30 बोर पिस्टल, कलाश्निकोव, रिपीटर्स, एम 16 और शिकार में इस्तेमाल होने वाले हथियार शामिल हैं।"