कोर्ट ने 115 करोड़ रुपए जमा करने को कहा, आदेश से गायब कर दी यह लाइन

कोर्ट ने 115 करोड़ रुपए जमा करने को कहा, आदेश से गायब कर दी यह लाइन
ध्यान रहे कि मद्रास हाई कोर्ट ने 29 अगस्त को मामले की सुनवाई पूरी की थी और 1 सितंबर को ओपन कोर्ट में उसने आदेश पारित किया था। हाई कोर्ट ने ओपन कोर्ट में जो फैसला सुनाया था, उसे वेबसाइट पर अपलोड किया गया जिसे याचिकारकर्ता ने डाउनलोड किया। हालांकि, कुछ दिनों बाद वेबसाइट पर नई कॉपी अपलोड कर दी गई जो पहली वाली से इतर है। साथ ही, आदेश की सर्टिफाइड कॉपी भी पहले अपलोड की गई कॉपी से अलग है।

25 सितंबर 22। आपने एक-से-बढ़कर एक अनोखे अपराध के बारे में सुने होंगे, लेकिन यह मामला बिल्कुल अलहदा है। क्या आप कभी सोच सकते हैं कि कोर्ट रूम में जज कुछ फैसला सुनाएं और वो वादी-प्रतिवादी के पास पहुंचते-पहुंचते कुछ और हो जाए? ऐसा हुआ है मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court)के ऑर्डर के साथ। हाई कोर्ट के ऑर्डर की जो प्रमाणित कॉपी मुकदमा लड़ रहे दोनों पक्षों को दी गई, वो असली ऑर्डर से अलग थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस फर्जीवाड़े पर हैरानी जताई और बेहद गंभीरता से लिया है। देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह बिल्कुल असामान्य स्थिति है। उसने मद्रास हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार से कहा है कि वो इस मामले की जांच करे और रिपोर्ट एक बंद लिफाफे में सौंपे।

सुप्रीम कोर्ट को दिखाईं दोनों कॉपियां(Copies shown to Supreme Court)

सुप्रीम कोर्ट के दो जजों जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बीवी नागरत्न की बेंच ने हाई कोर्ट रजिस्ट्रार को जांच का ऑर्डर दिया है। हाई कोर्ट में दायर संबंधित मुकदमे में एक पक्ष के वकील के सुब्रमणियन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को ही बदल दिया गया। वकील ने सुप्रीम कोर्ट बेंच के सामने मद्रास हाई कोर्ट की दोनों कॉपियां पेश कीं- एक जो हाई कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई और दूसरी हाई कोर्ट की तरफ से मुहैया कराई गई सर्टिफाइड कॉपी। वकील ने शीर्ष अदालत से को बताया कि दोनों कॉपियों में कई महत्वपूर्ण अंतर हैं।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने वकील के दावे को सही पाया। उसने आदेश में कहा, 'याचिकाकर्ताओं की शिकायत के गुण-दोषों का आकलन करने से पहले इस मामले की हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल के स्तर से जांच हो। प्रतिवादी भी हमारे सामने अपना पक्ष रख सकते हैं।' सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वो अगली सुनवाई में जांच रिपोर्ट पर विचार करेगी।

1 सितंबर को पारित हुआ था आदेश(Order was passed on 1st September)

हाई कोर्ट के ऑर्डर में हुए बदलावों को सुप्रीम कोर्ट की नजर में लाते हुए वकील के सुब्रमणियन ने कहा कि दूसरे पक्ष को अन्नानगर के बैंक में 115 करोड़ रुपये जमा करवाने का निर्देश नई कॉपी से हटा दिया गया। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, 'हमने आदेश की दोनों कॉपियां देखी हैं। कुछ पैराग्राफ साफ तौर पर गायब है जो अब हाई कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है।'