मुस्लिमों में जाति से टेंशन में आजम, हमलों में तीखापन और तेवर बरकरार
भले आजम बीमार हैं, लेकिन हमलों में तीखापन और तेवर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। आजम अपने उम्मीदवार को जिताने की कोशिश में हैं, लेकिन इसी बीच रामपुर के घमासान में मुसलमानों के बीच जाति का मसला खूब जोर पकड़ रहा है।
19 जून 22। रामपुर में माहौल चुनावी है। तमाम राजनीतिक रंग बनते-बिगड़ते दिखने लगे हैं। चुनावी माहौल में हर उम्मीदवार अपने पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास करता दिख रहा है। वहीं, रामपुर का चुनाव एक बार फिर आजम खान बनाम भारतीय जनता पार्टी बनता दिख रहा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव रामपुर के चुनावी मैदान से गायब हैं। विधानसभा चुनाव में जिस आजम खान की कमी लोगों को खल रही थी, वह अब चुनावी मैदान में दिखने लगी है। भले आजम बीमार हैं, लेकिन हमलों में तीखापन और तेवर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। आजम अपने उम्मीदवार को जिताने की कोशिश में हैं, लेकिन इसी बीच रामपुर के घमासान में मुसलमानों के बीच जाति का मसला खूब जोर पकड़ रहा है।
आजम खान ने आसिम राजा को उम्मीदवार बनाया है। नामांकन के आखिरी दिन पत्नी तंजीन फात्मा के साथ समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंच कर आजम खान ने उन्हें उम्मीदवार घोषित किया। इसके बाद से ही तय हो गया कि खुद की ओर से खाली की गई सीट को वापस पाने के लिए आजम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे। लेकिन, जैसे ही मुस्लिम समाज के बीच जाति का मसला आया है, उसने आजम की टेंशन बढ़ा दी है। दरअसल, चुनावी मैदान में आसिम रजा के शमसी होने की बात उठ रही है। इसको लेकर एक माहौल बनाया जा रहा है। आजम खान ने इस मुद्दे को काफी गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा है कि आसिम राजा को शमसी कहे जाने की बात ठीक नहीं है।
आजम को नुकसान की है चिंता
सपा उम्मीदवार को शमसी बताए जाने से मुस्लिम वोट बैंक में बंटवारा होने का खतरा बनता दिख रहा है। आजम खान की चिंता है कि मुस्लिमों में जाति की बात उभरी तो इससे सबसे अधिक नुकसान उन्हें झेलना पड़ेगा। चुनाव में आजम इस बार अपनी अहमियत को बनाए रखने की लड़ाई लड़ रहे हैं। ऐसे में हार के हर बिंदू को वे दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, आजम खान अपने खिलाफ दर्ज कराए गए केस में भी मुस्लिम समुदाय का हाथ होने की बात कर ताना भी मार रहे हैं। पिछले दिनों सपा कार्यालय पर चुनावी भाषण में आजम ने कहा कि हुकूमत से तो शिकायतें कम हैं। मुझ पर मुकदमा लगाने वालों में 99 फीसदी तो वह हैं, जिनके माथे पर नमाज के निशान हैं। ऐसे में वे एक वर्ग को भावनात्मक रूप से साधने की कोशिश करते दिख रहे हैं।
निशाने पर नवाब खानदान भी
आजम के निशाने पर रामपुर का नवाब खानदान भी है। इसका कारण चुनावी मैदान से गायब नवाब परिवार का आजम के खिलाफ हमलावर होना है। माना जा रहा है कि आसिम रजा की जाति की बात को इसी तरफ से उछाला गया है। ऐसे में आजम भी तल्ख तेवर में कहते दिखते हैं कि 3 हजार वोट पाने वालों की औलादें खुद को नवाब लिखती हैं। रामपुर में इससे अधिक तो थर्ड जेंडर के लोग होंगे। नवाबों के साथ नर्तकियों के नाचने की बात करते हैं। हालांकि, नवाब काजिम अली खान की ओर से जवाब भी आया है। उन्होंने कहा कि आजम खान को भूलने की बीमारी हो गई है। सैफई में नाच को रामपुर का बता रहे। ऐसे में बिना मैदान में खड़े ही नवाब परिवार चुनावी मैदान में माहौल को गरमाए हुए है।
भाजपा उम्मीदवार पर भी हैं हमलावर
आजम खान अब भाजपा उम्मीदवार घनश्याम लोधी पर भी हमलावर हैं। कह रहे हैं कि भाजपा ने हमारे मुकाबले में ऐसे उम्मीदवार को उतारा है, जिसे हेलिकॉप्टर से टिकट मंगवाकर एमएलसी बना दिया। वे घनश्याम लोधी को अहसान फरामोश बताने की कोशिश करते दिखते हैं। वहीं, घनश्याम लोधी भी आजम को अब जवाब दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्चा भरने में डेढ़ घंटा होने की वजह से हेलिकॉप्टर से बी फॉर्म आया था। आजम समझ लें कि मैं उनका बंधुआ मजदूर नहीं हूं। रामपुर सीट पर आजम के लिए मुकाबला प्रतिष्ठा का विषय है। वहीं, भाजपा इस सीट को एक बार फिर अपने नाम करने का प्रयास करती दिख रही है।