अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के लिए नागरिकता त्याग रहे हैं भारत के लोग
जानकारों का मानना है कि अक्सर लोग बेहतर जीवन, अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसरों की तलाश में विदेश में बसने का फैसला लेते हैं। 1987 में इस बारे में एक विस्तृत अध्ययन हुआ था कि लोग भारत छोड़ अमेरिका को किन वजहों से चुनते हैं। अमेरिका में बसे भारतीयों पर गहन अध्ययन करने वाले आर्थर डबल्यू हेलवेग ने अपने इस अध्ययन में पाया कि भारत छोड़ने के पीछे धन सिर्फ एक वजह है। उनके मुताबिक यूनिवर्सिटी की पढ़ाई, नौकरी, बच्चों को लालन-पालन, करियर के मौके और रिटारयमेंट जैसे कारणों पर विचार के बाद ही लोग भारत छोड़ने का फैसला करते हैं।
20 जुलाई 22। भारत सरकार ने संसद में कहा है कि साल 2021 में 1.63 लाख से अधिक लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है। नागरिकता छोड़ विदेशों में बसने वालों की पहली पसंद(First choice of foreign settlers) अमेरिका है।
2015 से लेकर 2021 के बीच सात साल की अवधि में 9.24 लाख से अधिक लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी(left Indian citizenship) है। संसद में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा पेश आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में सबसे अधिक 1,63,370 लोगों ने भारत की नागरिकता छोड़ी है।
लोकसभा में गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों से पता चला है कि नागरिकता छोड़ने वाले लगभग आधे भारतीयों ने अमेरिका को चुना। अमेरिकी नागरिक बनने वालों की संख्या 78,284 थी।
पिछले तीन साल के आंकड़े की बात करें तो नागरिकता छोड़ने वालों की संख्या 3.9 लाख से अधिक है। अमेरिका उन 103 देशों में शीर्ष पसंद के रूप में उभर रहा है जहां प्रवासी भारत छोड़ जा बस रहे हैं।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि साल 2020 में 85,256 और साल 2019 में 1,44,017 लोगों ने नागरिकता छोड़ी। अमेरिका के बाद भारतीयों के पंसदीदा देशों की सूची में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और यूके हैं। अमेरिका के बाद बाद 23,533 लोगों ने ऑस्ट्रेलिया में नागरिकता ली जबकि कनाडा में 21,597 और यूके में 14,637 लोग जा बसे।
देश छोड़कर विदेशों की नागरिकता चाहने वालों में सबसे ज्यादा भारतीयः रिपोर्ट
भारत दोहरी नागरिकता की अनुमति नहीं देता है। चीन में रहने वाले 362 भारतीयों ने भी चीनी नागरिकता हासिल की है। वहीं पाकिस्तान में 41 भारतीय नागरिकों ने भी 2020 भारतीय नागरिकता छोड़ दी। एक साल पहले यह संख्या सात थी।
लगभग 326 भारतीयों ने पिछले साल संयुक्त अरब अमीरात में रहते हुए अपनी नागरिकता त्याग दी थी। उन्होंने अल्बानिया, फ्रांस, माल्टा, पाकिस्तान, फिलीपींस, पुर्तगाल, एंटीगुआ, बारबुडा, बहरीन, बेल्जियम, साइप्रस, आयरलैंड, ग्रेनाडा, जॉर्डन, मॉरीशस, नॉर्वे, सिंगापुर, स्पेन, श्रीलंका, वानुअतु जैसे देशों में नागरिकता के लिए आवेदन किया।
मंगलवार और पिछले साल फरवरी में सरकार द्वारा संसद में जारी किए आंकड़ों से पता चलता है कि कुल मिलाकर, 9,32,276 भारतीयों ने 2015 और 2021 के बीच अन्य देशों के पक्ष में अपनी नागरिकता का त्याग किया।
वहीं, नवंबर 2021 में गृह मंत्रालाय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों में कहा गया है कि 2016 और 2020 के बीच 10,645 विदेशी नागरिकों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया, जिनमें से अधिकतम 7,782 पाकिस्तान से और 795 अफगान नागरिक थे। इनमें से 4,177 लोगों को सरकार द्वारा भारतीय नागरिकता प्रदान की गई। गृह मंत्रालय के मुताबिक 2016 और 2020 के बीच 452 "स्टेटलेस" व्यक्तियों ने भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था। यह ज्ञात नहीं है कि कितने लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई और उन्होंने किस क्षेत्र से नागरिकता के लिए आवेदन किया था।
जानकारों का मानना है कि अक्सर लोग बेहतर जीवन, अच्छी शिक्षा और रोजगार के अवसरों की तलाश में विदेश में बसने का फैसला लेते हैं। 1987 में इस बारे में एक विस्तृत अध्ययन हुआ था कि लोग भारत छोड़ अमेरिका को किन वजहों से चुनते हैं। अमेरिका में बसे भारतीयों पर गहन अध्ययन करने वाले आर्थर डबल्यू हेलवेग ने अपने इस अध्ययन में पाया कि भारत छोड़ने के पीछे धन सिर्फ एक वजह है। उनके मुताबिक यूनिवर्सिटी की पढ़ाई, नौकरी, बच्चों को लालन-पालन, करियर के मौके और रिटारयमेंट जैसे कारणों पर विचार के बाद ही लोग भारत छोड़ने का फैसला करते हैं।
वहीं, नवंबर 2021 में गृह मंत्रालाय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों में कहा गया है कि 2016 और 2020 के बीच 10,645 विदेशी नागरिकों ने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया, जिनमें से अधिकतम 7,782 पाकिस्तान से और 795 अफगान नागरिक थे। इनमें से 4,177 लोगों को सरकार द्वारा भारतीय नागरिकता प्रदान की गई। गृह मंत्रालय के मुताबिक 2016 और 2020 के बीच 452 "स्टेटलेस" व्यक्तियों ने भी भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया था। यह ज्ञात नहीं है कि कितने लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई और उन्होंने किस क्षेत्र से नागरिकता के लिए आवेदन किया था।