पीएम मोदी ने किसानों से कहा- बंद नहीं होगी एमएसपी, कुछ लोग कृषि सुधारों पर फैला रहे झूठ का जाल 

किसानों को जमीन जाने का डर दिखाकर कुछ लोग चमका रहे हैं राजनीति

पीएम मोदी ने किसानों से कहा- बंद नहीं होगी एमएसपी, कुछ लोग कृषि सुधारों पर फैला रहे झूठ का जाल 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के किसानों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधन में कहा कि कुछ लोग किसानों के कंधे पर रखकर बंदूक चला रहे हैं। वे कृषि सुधारों पर झूठ का जाल फैला रहे हैं। किसानों को जमीन जाने का डर दिखाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। डैच् न बंद होगी, न खत्म होगी। हम पिछली सरकार से ज्यादा एमएसपी दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि 35 लाख किसानों के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं, इसमें किसी बिचैलिए की भूमिका नहीं है।

मोदी ने कहा- 20-22 साल विमर्श करने के बाद आया नया कृषि कानून
समय हमारा इंतजार नहीं कर सकता। तेजी से बदलते परिदृश्य में भारत का किसान सुविधाओं के अभाव में पिछड़ता जाए, ये ठीक नहीं है। जो काम 25-30 साल पहले हो जाने चाहिए थे, वे अब हो रहे हैं। पिछले 6 साल में सरकार ने किसानों को ध्यान में रखते हुए कई कदम उठाए हैं। नए कानूनों की चर्चा बहुत हो रही है। ये कानून रातों-रात नहीं आए। 20-22 साल से देश की और राज्यों की सरकारों, किसान संगठनों ने इस पर विमर्श किया। कृषि अर्थशास्त्री, वैज्ञानिक इस क्षेत्र में सुधार की मांग करते आए हैं।

किसानों की हिमायतियों ने 8 साल तक स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट दबाई
सरकार बार-बार पूछ रही है कि किस क्लॉज में दिक्कत है, बताइए। इन दलों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। किसानों की जमीन चली जाएगी, इसका डर दिखाकर अपनी राजनीति चमका रहे हैं। जब उन्हें सरकार चलाने का मौका मिला था, तब उन्होंने क्या किया, ये याद रखना जरूरी है। उनका कच्चा चिट्ठा आपके सामने खोलना चाहता हूं। किसानों की बातें करने वाले लोग, झूठे आंसू बहाने वाले लोग कैसे हैं, इसका सबूत स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट है। ये लोग इस रिपोर्ट को 8 साल दबाकर बैठे रहे।

एमएसपी को लेकर सरकार गंभीर है
इन्हें लगा कि सरकार को किसानों पर ज्यादा खर्च न करना पड़े, इसलिए रिपोर्ट को दबाकर रखा। हमारी सरकार किसानों को अन्नदाता मानती है। हमने स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट निकाली। किसानों को लागत का डेढ़ गुना डैच् दिया। किसानों के साथ धोखाधड़ी का उदाहरण कर्जमाफी का वादा है। मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले कहा गया कि कर्ज माफ कर देंगे, लेकिन हुआ कुछ नहीं। राजस्थान के लाखों किसान आज भी कर्जमाफी का इंतजार कर रहे हैं। मैं यही सोचता हूं कि कोई इस हद तक भोले-भाले किसानों के साथ छल-कपट कैसे कर सकता है। एक झूठ बार-बार बोला जा रहा है। मैंने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने का काम हमारी सरकार ने किया। सरकार डैच् को लेकर इतनी गंभीर है कि बुआई से पहले इसकी घोषणा करती है। किसानों को पता चल जाता है कि किस फसल पर कितनी डैच् मिलने वाली है। ये कानून 6 महीने पहले लागू हो चुके थे। डैच् की घोषणा पहले की तरह हुई, खरीद उन्हीं मंडियों में हुई। कानून बनने के बाद डैच् की घोषणा हुई, इसी डैच् पर फसलों की खरीदी हुई। मैं कहना चाहता हूं कि डैच् न बंद नहीं होगी, न खत्म होगी।

गेहूं और धान की खरीद पर किसानों को 8 लाख करोड़ से ज्यादा दिए
हमारी सरकार ने गेहूं और धान की खरीद पर किसानों को 8 लाख करोड़ से ज्यादा दिए। पहले की सरकार में दाल विदेश से मंगाई जाती थी। जिस देश में दाल की सबसे ज्यादा खपत है, वहां के किसानों को तबाह करने में इन लोगों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। किसान परेशान थे, ये लोग मौज ले रहे थे। ये सच है कि कभी प्राकृतिक आपदा या संकट आने पर विदेश से मदद ली जा सकती है, लेकिन हमेशा तो ऐसा नहीं कर सकते।

किसानों को अब खेती के लिए जरूरी पूंजी मिल रही
आज किसानों के खाते में बिना किसी बिचैलिए के 1600 करोड़ जमा कराए गए। टेक्नोलॉजी के कारण ये संभव हुआ है। भारत ने ये जो आधुनिक व्यवस्था बनाई है, दुनियाभर में उसकी चर्चा हो रही है। आज यहां कई किसानों को क्रेडिट कार्ड सौंपे गए हैं। पहले यह हर किसी को नहीं मिलता था। हमारी सरकार ने इसके लिए नियमों में बदलाव किया। अब किसानों को खेती के लिए जरूरी पूंजी मिल रही है। किसानों को अब कर्ज लेने से मुक्ति मिली है।

स्टोरेज व फूड प्रोसेसिंग में मदद करेगा उद्योग जगत
ये बात सही है कि किसान कितनी भी मेहनत कर ले, लेकिन फल-सब्जियों का सही भंडारण न हो तो बहुत नुकसान होता है। ये सिर्फ किसान का नहीं, ये पूरे हिंदुस्तान का नुकसान है। करीब एक लाख करोड़ के फल-सब्जियां इस वजह से बर्बाद हो जाते हैं। पहले इसे लेकर बहुत उदासीनता थी। हमारी प्राथमिकता देश में कोल्ड स्टोरेज का स्ट्रक्चर बनाना है। मैं उद्योग जगत से कहूंगा कि भंडारण, फूड प्रोसेसिंग की व्यवस्था करने के लिए आगे आएं। हो सकता है कि आपकी कमाई कुछ कम हो, लेकिन किसानों का भला होगा।