आयकर एवं ईडी को क्यों नहीं दी जा रही हुंडी ठगी कांड की जांच ?

अभिभाषक डीपी सिंह का कहना है जहाँ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट या आयकर अधिनियम का उल्लंघन हुआ हो तो पुलिस को तत्काल आयकर एवं ईडी विभाग को सूचित करना चाहिए -

आयकर एवं ईडी को क्यों नहीं दी जा रही  हुंडी ठगी कांड की जांच ?
अभिभाषक डीपी सिंह का कहना है जहाँ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट या आयकर अधिनियम का उल्लंघन हुआ है तो पुलिस को तत्काल आयकर एवं ईडी विभाग को सूचित करना चाहिए -

ग्वालियर। दाल बाजार के हुंडी ठगी मामले में जहां एक ओर पुलिस ने आईपीसी की धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर एक आरोपी आशु गुप्ता को गिरफ्तार कर जेल भेजने में देरी नहीं करकर पीठ थपथपाई एवं सट्टा कारोबारी रीतेश उर्फ मोनू गुप्ता को अतिशीघ्र गिरफ्तार करने का भरोसा व्यापारियों को दिया है उसी पुलिस द्वारा इस मामले में किए गए अनियमित  वित्तीय लेनदेन के सामने आने पर भी देश के आयकर विभाग एवं प्रवर्तन निदेशालय को सूचित करना जरूरी नहीं समझा गया है, जबकि इस मामले में जांच के दौरान करोड़ों रुपए का लेन-देन प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सामने आया है। अब पुलिस व्यापारियों की माँग पर आरोपियों की संपत्ति अटैच करने के लिए विधिक राय लेने के लिए विधि विशेषज्ञों  के साथ बैठक कर रही है जबकि ऐसे आर्थिक  मामलों की जाँच के लिये देश का आयकर विभाग एवं ईडी सक्षम एजेंसियाँ हैं ।   

एफआईआर जांच के दौरान यदि अन्य कानूनों जैसे यदि  मनी लॉन्डरिंग एक्ट का उल्लंघन, बगैर लाइसेंस हुंडी का कारोबार या नगद राशि का हुंडी में लिखा जाना अथवा आयकर कानून का उल्लंघन होता है तो पुलिस को क्या कार्रवाई करनी चाहिए, इन सब तमाम सवालों को लेकर लीड स्टोरी की टीम ने जब शहर के वरिष्ठ अभिभाषक डीपी सिंह से चर्चा की तो उन्होंने तमाम नियमों की विस्तार से जानकारी दी।

आयकर विभाग और ईडी को भी देनी चाहिए सूचना-
 अभिभाषक डीपी सिंह ने कहा कि मप्र में मनी लैंडर्स एक्ट -1934 है जो 1 जनवरी 1959 से प्रभावी हुआ है और जिसके प्रभावी होने के बाद कोई भी व्यापार मनी लॉउंड्रिंग एक्ट के प्रावधानों के विपरीत किया जाता है वहाँ मनी लैंडर्स एक्ट -1934 की धारा 11-एफ प्रभावी होती है।परन्तु इस तरह के व्यापार करने का अधिकार उन्हीं  लोगों को होता  है, जो व्यक्ति अथवा संस्था एमपी मनी लैंडर्स एक्ट- 1934 की धारा सेक्शन -11बी के तहत अपना पंजीयन कराकर सर्टिफिकेट लेते हैं। लेकिन सेक्शऩ- 11बी में जो सर्टिफिकेट दिया जाता है, वह एक निश्चित क्षेत्र एवं निश्चित समय सीमा के लिये  होता है, जिसका समय-समय पर नवीनीकरण कराना होता है। उनका ये भी कहना किसी आपराधिक प्रकरण में ऐसी जानकारी सामने आए कि इसमें मनी लैंडर्स एक्ट के तहत व्यापार किया गया और व्यापारियों द्वारा पैसा उधार दिया गया, फर्जी हुंडी तैयार की गई तो फर्जी हुंडी तैयार करना आईपीसी की धारा - 420, 417, 468 एवं व्यापारियों द्वारा तथाकथित हुंडी व्यापारी या हुंडी दलाल के साथ व्यापार किया जाता है तो वह सब आईपीसी की धारा -120 बी के तहत भागीदार होते हैं। जहां पुलिस जांच में यदि यह सब संज्ञान में आता है कि इस तरह के अवैध व्यापार चलते हैं, अवैध हुंडी चलती है तो उसके संबंध में आयकर विभाग की जो गाइड लाइन है कि 20 हजार रुपए से अधिक की रकम के जो लेनदेन होते हैं, वह बैंक के जरिए ही होना चाहिए। यदि वित्तीय लेन-देन बैंक के जरिए अथवा नियमानुसार नहीं है, उसमें यदि वित्तीय संबंध, पैसों की उधारी के संबंध में कोई बात है तो उसके संबंधित विभागों जैसे आयकर विभाग एवं ईडी, जिनको इस तरह के मामलों में लेनदेन की जांच करने का अधिकार होता है, उन्हें जानकारी देनी चाहिए, जिससे इस तरह के व्यापार पर और भी विभागों द्वारा पूर्ण प्रावधानों के तहत उनके विरुद्ध कार्यवाही की जा सके। वहीं यदि फर्जी तरीके से कोई कारोबार चल रहा है तो पुलिस आईपीसी की धाराओं के तहत कार्यवाही करे।