रूसी वैक्सीन को लेकर खड़ा हुआ विवादः 42 दिन में सिर्फ 38 लोगों पर ट्रायल, उनमें भी नजर आए साइड इफेक्ट
कोरोनावायरस संक्रमण से लड़ने के लिए तैयार की गई रूसी वैक्सीन को लेकर विवाद शुरू हो गया है। इस वैक्सीन के फर्जी होने का दावा किया जा रहा है। 11 अगस्त को दुनिया की पहली कोरोना वैक्सीन के रजिस्ट्रेशन के दौरान पेश किए दस्तावेजों से कई खुलासे हुए हैं। दस्तावेजों के मुताबिक वैक्सीन कितनी सुरक्षित है, इसे जानने के लिए पूरी क्लीनिकल स्टडी हुई ही नहीं। रिपोर्ट के अनुसार ट्रायल के नाम पर 42 दिन में सिर्फ 38 वॉलंटियर्स को वैक्सीन की डोज दी गई। ट्रायल के तीसरे चरण पर भी कोई जानकारी सामने नहीं आई है। रूसी सरकार का दावा था कि वैक्सीन के कोई साइड इफेक्ट नहीं दिखे, जबकि दस्तावेज बताते हैं कि 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए हैं। ट्रायल के 42वें दिन भी 38 में से 31 वॉलंटियर्स इन साइडइफेक्ट से जूझते दिखे। वॉलंटियर्स को डोज लेने के बाद कई तरह दिक्कतें हुईं। पिछले कई दिनों से डब्ल्यूएचओ भी इस वैक्सीन पर सवाल उठा रहा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है। ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता पर भरोसा करना मुश्किल है।
दावों को झुठला रहे हैं दस्तावेज
-रशिया के रक्षा मंत्रालय के मुताबिक वैक्सीन ट्रायल के जो नतीजे सामने आए हैं, उनमें बेहतर इम्युनिटी विकसित होने के प्रमाण मिले हैं। किसी वॉलंटियर में निगेटिव साइड इफेक्ट नहीं देखने को मिले, जबकि दस्तावेजों के मुताबिक जिन वालंटियर्स को वैक्सीन दी गई, उन्हें बुखार, शरीर में दर्द, शरीर का तापमान बढ़ना, इंजेक्शन वाली जगह पर खुजली होना और सूजन जैसे साइड इफेक्ट दिखे। इसके अलावा ऊर्जा महसूस न होना, भूख न लगना, सिरदर्द, डायरिया, गले में सूजन, नाक का बहना जैसे साइड इफेक्ट कॉमन थे।
-रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा-हम वैक्सीन तैयार करने में दूसरों से कई महीने आगे चल रहे हैं। इसी महीने में बड़े स्तर पर तीन और ट्रायल किए जाएंगे। फिर रजिस्ट्रेशन के बाद राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वैक्सीन से जुड़े सभी जरूरी ट्रायल पूरे हो गए हैं, लेकिन रूस ने अब तक वैक्सीन के जितने भी ट्रायल किए हैं, उससे जुड़ा साइंटिफिक डाटा पेश नहीं किया। तीसरे चरण का ट्रायल किया है या नहीं, इस पर भी शक जताया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने रूस द्वारा बनाई गई कोरोना की वैक्सीन को लेकर कई तरह की आशंकाएं जताई हैं।
- जो भी वैक्सीन के ट्रायल चल रहे हैं, शोधकर्ता इससे जुड़ा डेटा और अहम जानकारियां शेयर कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ को भी हर जानकारी दी जा रही है, लेकिन रूसी वैक्सीन में मामले में ऐसा नहीं है। ट्रायल से जुड़ी जानकारी सिर्फ बयानों में ही सामने आई है। इसे साझा नहीं किया गया। इस पर डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है। ऐसे में इस वैक्सीन की सफलता और सुरक्षा पर भरोसा करना मुश्किल है।