सुप्रीम कोर्ट का फैसला : आपराधिक मामला दर्ज हो जाने से अधिकारों से नहीं किया जा सकता वंचित

मुकदमा दर्ज हो जानेे मात्र से नौकरी के नियुक्ति से नहीं किया जा सकता है इनकार

सुप्रीम कोर्ट का फैसला : आपराधिक मामला दर्ज हो जाने से अधिकारों से नहीं किया जा सकता वंचित

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए अपने आदेश में कहा कि किसी शख्स के खिलाफ किसी अपराध का केस दर्ज होने पर ही उसके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के एक कांस्टेबल भर्ती के उम्मीदवार की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि अगर उम्मीदवार किसी आपराधिक मामले से बरी हो गया तो केवल इसलिए नौकरी में नियुक्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है कि उस पर मुकदमा चलाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के एक मामले में कांस्टेबल भर्ती के एक उम्मीदवार ऐसे उम्मीदवार की नियुक्ति का निर्देश दिया, जिसकी उम्मीदवारी इस आधार पर खारिज कर दी गई थी कि उसे हाईकोर्ट से मामले में राहत नहीं मिली थी। इसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल किया था। सुप्रीम कोर्ट में प्रमोद सिंह किरार की तरफ से दलील दी गई कि साल 2013 में कांस्टेबल भर्ती में उनका चयन हुआ था, लेकिन 2001 में दर्ज दहेज उत्पीड़न के मामले के आधार पर उनकी पात्रता खारिज कर दी गई थी, जबकि 2006 में ही वे समझौते के आधार पर इस मामले से बरी हो गए थे।