इस genius एनिमल की इंटरनेशनल मार्केट में है भारी डिमांड, जानें वजह

इस genius एनिमल की इंटरनेशनल मार्केट में है भारी डिमांड, जानें वजह
मार्मोसेट छोटे बंदर हैं जो दक्षिण अमेरिकी वर्षावनों में पाए जाते हैं। इनकी 20 से अधिक प्रजातियां हैं। ये आकार में इतने छोटे होते हैं कि आदमी के हाथ में आराम आ सकते हैं। ये देखने में काफी हद तक गिलहरी जैसे होते हैं। इनमें सीखने की क्षमता बहुत अधिक होती है।

17 अक्टूबर 22। मिजोरम पुलिस ने हाल ही में म्यामांर से तस्करी कर लाए जा रहे 140 से अधिक प्रजाति के जानवरों को पकड़ा है। इन जानवरों में दो अनोखे जानवर भी शामिल हैं। आकार इतना छोटा की आदमी के हाथों में आसानी से आ जाए। देखने में बेहद ही प्यारे, इन्हें देखकर आप यकीन नहीं कर पाएंगे कि यह बंदर प्रजाति का जानवर है। मार्मोसेट मुख्य रूप से दक्षिण अमेरिका के उष्णकटिबंधीय वर्षावनों में पाए जाते हैं। इसके अलावा मध्य अमेरिका में कुछ प्रजातियां पाई जाती हैं। इनकी 20 से अधिक प्रजातियां बताई जाती हैं। इनकी एक प्रजाति पिग्मी मार्मोसेट है। ये दुनिया के सबसे छोटे बंदर हैं। पूरी तरह से विकसित होने पर इनका वजन केवल 100 ग्राम। ये छोटे लेकिन बहुत प्यारे होते हैं।

बीमारियों पर रिसर्च में होता है यूज

मानव रोग और उम्र बढ़ने पर होने वाली बीमारियों पर रिसर्च के लिए मार्मोसेट का आमतौर पर यूज किया जाता है। इसकी वजह है कि उनका शरीर मनुष्यों से बहुत मिलता जुलता होता है। इंटरनेशनल मार्केट में इनकी बहुत मांग है। इसलिए तस्करों की नजर इन पर रहती है। भारत में हालांकि, बंदर को पालना गैरकानूनी होता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत में मार्मोसेट की कीमत 2 से 5 लाख रुपये तक है। इसलिए इनकी तस्करी होती है।

सफेद कान वाला मार्मोसेट

कॉमन मर्मोसेट, को सफेद कान वाले मर्मोसेट के रूप में भी जाना जाता है। इसका चेहरा छोटे बालों से ढका होता है। उनके कोट ग्रे होते हैं, उनकी पूंछ में गहरे और हल्के छल्ले होते हैं। उनके कानों में सफेद गुच्छे होते हैं। इनके पंजे उन्हें पेड़ की छाल को पकड़ने और शाखाओं और पेड़ों के बीच झूलने में मदद करते हैं। उनका औसत जीवनकाल 12 वर्ष है। इनका वजन लगभग 230-450 ग्राम है। इनकी पूंछ की लंबाई 25 से 40 सेंटीमीटर होती है। इनकी लंबाई लगभग 15 से 25 सेंटीमीटर होती है।

गर्म जलवायु की जरूरत

मार्मोसेट ज्यादातर पेड़ों से रस और गोंद खाते हैं, लेकिन वे पत्तियों, फलों, बीजों और फूलों के साथ-साथ कीड़े, घोंघे, छिपकली, मेंढक और बच्चे भी खाते हैं। ये ऐसे जंगली जानवर हैं जिनकी बहुत विशिष्ट जरूरते हैं। पालतू जानवर के रूप में रखे गए मर्मोसेट के लिए जंगली जैसा जटिल और समृद्ध वातावरण प्रदान करना असंभव है। ये ट्रॉपिकल जानवर हैं जिन्हें गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है।

जल्दी ही ऊब जाते हैं मार्मोसेट

मार्मोसेट अपने परिवेश में अलग ही महकते हैं। इसलिए घर में रखने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। ये अत्यधिक बुद्धिमान प्राणी हैं जो आसानी से ऊब जाते हैं। इससे इन्हें शीघ्र तनाव हो सकता है। ये अत्यधिक सोशल होते हैं। जंगल में ये लोग स्थिर सामाजिक समूह बनाते हैं। इसलिए इन्हें अकेला रखना क्रूर और अप्राकृतिक है।

आमतौर पर जुड़वां बच्चों को देते हैं जन्म

मार्मोसेट आमतौर पर जुड़वा बच्चों को जन्म देते हैं। यह एक दुर्लभ चीज है। अन्य सभी प्राइमेट प्रजातियां आमतौर पर एक समय में केवल एक शिशु को जन्म देती हैं। कभी-कभी उनके एक या फिर तीन बच्चे भी होते हैं लेकिन ऐसा बहुत कम होता है। इनका अपवाद गोएल्डी का बंदर है। इसमें जुड़वां बच्चे नहीं होते हैं। इनका गर्भकाल चार से छह महीने का होता है। नर मर्मोसेट अक्सर संतानों के मुख्य देखभाल करने वाले होते हैं। यह अपने परिवार के प्रति वफादार रहते हैं। मादा मार्मोसेट की तरफ से लुभाए जाने पर भी वे अपने परिवार को नहीं छोड़ते हैं।